Surajkund Mela: पर्यटकों को भा रही थीम स्टेट गुजरात की शिल्पकला और सांस्कृतिक समृद्धि
37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को थीम स्टेट गुजरात की सांस्कृतिक समृद्धि और शिल्प कला खूब भा रही है। पर्यटक गुजरात की शिल्प कला की कृतियों को खरीद रहे हैं। गुजराती कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी सराहना कर रहे हैं। मेला परिसर में गुजरात का अपना घर बना है। जहां गांव धोरडो की संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता काे दर्शाया गया है।
अनिल बेताब, फरीदाबाद। 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को थीम स्टेट गुजरात की सांस्कृतिक समृद्धि और शिल्प कला खूब भा रही है। पर्यटक गुजरात की शिल्प कला की कृतियों को खरीद रहे हैं। गुजराती कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी सराहना कर रहे हैं। मेला परिसर में गुजरात का अपना घर बना है। जहां गांव धोरडो की संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता काे दर्शाया गया है।
विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार हासिल कर चुके इस गांव के सांस्कृतिक परिवेश को जानने के लिए भी पर्यटकों में उत्सुकता नजर आई। पर्यटक यहां बिताए गए पलों को यादगार बनाने के लिए सेल्फी लेते नजर आ रहे हैं। गुजरात के अपना घर के बाहर भी सोमवार को कुछ ऐसा ही नजारा था।
गुजरात के कच्छ में हर वर्ष नवंबर में होने वाले रण उत्सव की मेजबानी यह गांव धोरड़ो ही करता है। जो क्षेत्र की पारंपरिक कला, संगीत और शिल्प को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक उत्सव है।
कापर बेल का ओम का उच्चारण कर रहा आकर्षित
गुजरात जाेन में असगर के स्टाल नंबर 106 पर कापर बेल से निकलता ओम का उच्चारण पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। भुज, कच्छ से आए शिल्पी असगर मेले में कापर, स्टील,आयरन तथा एल्यूमीनियम क मिश्रण से बेल बनाते हैं। वह अपने स्टाल पर बेल पर जब पटिया (वुडन हथौड़ा)से चोट करते हैं तो उससे ओम के उच्चारण जैसी आवाज निकलती है।
ऐसे ही उनके पास कापर का वाद्य यंत्र भी है। जिसके बजाने पर अलग-अलग सुर निकलते हैं। उनके पास झूमर बर्ड भी है। 2500 रुपये लेकर 10 हजार कीमत के उत्पाद हैं। अपने उत्पादों को लेकर पहली बार मेले में आए हैं, मगर उनका सालाना कारोबार आठ से 10 लाख रुपये है। यह कला उन्होंने अपने पिता नूर माेहम्मद लोहार से सीखी है। उनके उत्पादों की मांग दिल्ली,लखनउऊ के अलावा अमेरिका, लंदन, आस्ट्रेलिया तथा थाईलैंड में भी है। उनके यहां 50 से अधिक कारीगर हैं।
प्रेम रस में पर्यटक हुए सराबोर
मेले की चौपाल पर गुजरात के कलाकारों ने गायन, वादन व नृत्य कला के बेहतरीन प्रदर्शन से दिन भर पर्यटकों का मनोरंजन किया। अहमदाबाद से आए कलाकारों ने गुजरात की अस्मिता को उजागर करती मिस्र रास की शानदार प्रस्तुति दी। मिश्र रास राधा-कृष्ण के प्रेम बंधन का प्रतीक है। यह रास द्वारका नगरी में रब्बारी समाज के लोगों द्वारा भगवान श्री कृष्ण और राधा के प्रेम की याद में किया जाता है। गुजराती कलाकारों द्वारा पेश की गई मिस्र रास की शानदार प्रस्तुति से मुख्य चौपाल पर बैठे पर्यटक झूमते रहे।
अफ्रीका के कलाकारों ने भी जमाया रंग
अफ्रीका के पश्चिमी देश के कलाकारों ने तालकुट डांस से रंग जमाया। कीनिया के कलाकारों ने बंबासा और किर्गिस्तान के कलाकारों ने शानदार नृत्य कला की प्रस्तुति दी। ऐसे ही छोटी चौपाल पर हुए रंगारंग कार्यक्रम कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग की अधिकारी रेनू हुड्डा व सुमन डांगी की उपस्थिति में किए गए। पुष्पा शर्मा द्वारा नृत्य, अनूप व तनू शर्मा द्वारा हरियाणवी लोक नृत्य, सुशील शर्मा ने सूफी गायन तथा वेद वमन ने रागनी और वेवल ने बैंड की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।
दूसरी बार थीम स्टेट बना गुजरात
- 2024- सूरजकुंड मेले में दूसरी बार गुजरात को थीम स्टेट बनाया गया है।तंजानिया भागीदार देश है। वर्ष 1997 में गुजरात की थीम स्टेट के रूप में भागीदारी रही थी।
- 2023- थीम स्टेट पूर्वोत्तर राज्य, पार्टनर कंट्री- शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) से जुड़े देश।
- 2022- थीम स्टेट जम्मू-कश्मीर, पार्टनर कंट्री-उज्बेकिस्तान।
- 2021 में कोरोना संकट के चलते मेले का आयोजन नहीं हो पाया था।
- 2020 में हिमाचल थीम स्टेट, उज्बेकिस्तान मेले का भागीदार देश
- 2019 में थीम स्टेट महाराष्ट्र, थाईलैंड पार्टनर कंट्री
- 2018 में थीम स्टेट उत्तर प्रदेश, किर्गिस्तान पार्टनर कंट्री
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