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... जब बल्लभगढ़ विधानसभा से अटक गई थी योगेश शर्मा की टिकट, पढ़ें चौधरी देवीलाल व भगवत दयाल का 1987 का रोचक किस्सा

हरियाणा विधानसभा चुनाव की वोटिंग होने में कुछ दिनों का समय बचा है। ऐसे में सभी दल अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ विधानसभा से 1987 का एक रोचक किस्सा है। जिसमें चौधरी देवीलाल और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व.पंडित भगवत दयाल का जिक्र है। इस कहानी में जुलाई 1985 तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संत हरचंद लोगोंवाल के बीच समझौते का भी जिक्र है।

By Subhash Dagar Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Tue, 27 Aug 2024 02:19 PM (IST)
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टिकट कटने की आशंका के बावजूद फतह हासिल करने में सफल हुए थे योगेश। जागरण फोटो

सुभाष डागर, बल्लभगढ़। (Haryana Chunav 2024) विधानसभा के 1987 के चुनाव में बल्लभगढ़ से लोकदल की टिकट पर पेच फंस गया था। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व.पंडित भगवत दयाल शर्मा ने अपने कोटे में लेकर योगेश शर्मा को टिकट दिया था।

चुनाव प्रचार के बीच में पंडित भगवत दयाल शर्मा लोकदल छोड़ कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। टिकट को बदल कर स्वामी शक्तिवेश को समर्थन देने की चर्चा हो शुरू हो गई थी। तब यह किस्सा बड़ा रोचक रहा था।

देवीलाल और भाजपा नेता मंगलसेन ने जमकर किया था विरोध 

चंडीगढ़, अबोहर फाजिल्का उसके साथ 104 गांव पंजाब को दिए जाने को लेकर जुलाई 1985 तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संत हरचंद सिंह लोगोंवाल के बीच में एक लिखित समझौता हुआ था। इस समझौते का लोकदल नेता देवीलाल और भाजपा नेता डा. मंगलसेन ने जम कर विरोध किया और पूरे हरियाणा में न्याय युद्ध के नाम से व्यापक आंदोलन चलाया।

आंदोलन की सफलता को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा भी चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) के साथ जुड़ गए। जब विधानसभा चुनाव 1987 में हुए तो चौधरी देवीलाल ने प्रदेश में छह विधानसभा सीट पर पंडित भगवत दयाल शर्मा को टिकट देने के लिए कह दिया। पंडित भगवत दयाल शर्मा ने बल्लभगढ़ से टिकट योगेश शर्मा को दे दिया।

जबकि लोकदल की टिकट के दावेदारों में कर्मचारी यूनियन नेता सुभाष सेठी, लोकदल के जिलाध्यक्ष नेतराम डागर, भाई राजदेव शर्मा, स्वामी शक्तिवेश प्रमुख रूप से शामिल थे। योगेश शर्मा को टिकट दिए जाने का कर्मचारी नेता सुभाष सेठी समर्थकों ने कुछ विरोध किया, लेकिन बाद में चौधरी देवीलाल के कहने पर विरोध शांत हो गया।

योगेश शर्मा ने देवीलाल से की थी मुलाकात

स्वामी शक्तिवेश ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र जमा कर दिया। पंडित भगवत दयाल शर्मा जब चुनाव प्रचार पूरे जोर पर था, तो वह बीच में अपने पुत्र राजेश शर्मा के दबाव में आकर कांग्रेस में शामिल हो गए। एक बार योगेश शर्मा को उम्मीदवार के रूप में बदले जाने की आशंका के बादल मंडराने लगे।

तब स्वामी शक्तिवेश को समर्थन दिए जाने की चर्चा भी चली थी। दावेदार स्वामी शक्तिवेश को देवीलाल के पास लेकर गए थे। योगेश शर्मा ने भी चौधरी देवीलाल से मिलकर अपनी विश्वसनीयता जताई।

देवीलाल ने बाद में कह दिया कि पंडित भगवत दयाल (Pandit Bhagwat Dayal Sharma) भले ही कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, लेकिन योगेश शर्मा उनके उम्मीदवार हैं। तब पंडित योगेश शर्मा ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

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