एसडीएम की जांच में सरपंच केशराम दोषी
लाकडाउन के दौरान बिना अनुमति के नीमका ग्राम पंचायत द्वारा 62 लाख रुपये मास्क व सैनिटाइजर बांटने के मामले में एसडीएम ने सरपंच को दोषी माना है।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 19 Aug 2020 05:01 PM (IST)
जासं, फरीदाबाद : लाकडाउन के दौरान बिना अनुमति के नीमका ग्राम पंचायत द्वारा 62 लाख रुपये मास्क व सैनिटाइजर पर खर्च करने के मामले की जांच एसडीएम बड़खल पंकज सेतिया ने पूरी कर ली है। एसडीएम ने सरपंच केशराम को दोषी माना है। इसकी रिपोर्ट जिला उपायुक्त यशपाल यादव को भेज दी गई है। अब जिला उपायुक्त तय करेंगे कि सरपंच के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी है। क्या था पूरा मामला
मार्च के आखिरी सप्ताह से शुरू हुए लाकडाउन के दौरान नीमका गांव की ग्राम पंचायत ने 62 लाख रुपये के मास्क व सैनिटाइजर की खरीद दिखाई है। इसके लिए ग्राम सचिव विजयपाल ने भुगतान भी कर दिया। इस मामले की जांच खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी पूजा शर्मा ने भी की थी। उसने भी सरपंच और ग्राम सचिव विजयपाल को दोषी माना था। ग्राम सचिव को निलंबित किया जा चुका है, लेकिन जिला उपायुक्त ने मामले की गहनता से जांच के लिए मामला एसडीएम बड़खल पंकज सेतिया को सौंप दिया था। नियमानुसार किसी भी ग्राम पंचायत को यदि बैंक में जमा रुपये की ब्याज की राशि 50 लाख से अधिक मिलती है तो उसे एफडी करानी होती है जो सरपंच केशराम ने नहीं कराई। दूसरी बिना जिला उपायुक्त की अनुमति के 62 लाख रुपये के मास्क व सैनिटाइजर बांट दिए। दोनों प्रकार से सरपंच दोषी हैं। मैंने सरपंच पर कार्रवाई के लिए जिला उपायुक्त को रिपोर्ट सौंप दी है।
-पंकज सेतिया, एसडीएम बड़खल। हां, यह तो हमारी गलती रही है कि हमने अनुमति नहीं ली लेकिन उस समय कोरोना का कहर इतना था कि मास्क-सैनिटाइजर जल्दी बांटने जरूरी थे। उस दौरान सरकारी कार्यालय बंद थे, लोग बाहर आ-जा नहीं रहे थे। इसलिए यह काम कर दिया। हमने जनहित में घर-घर जाकर मास्क व सैनिटाइजर बांटे हैं। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।
-केशराम, सरपंच नीमका गांव।
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