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फतेहाबाद: प्रमोशन व रिटायरमेंट के चलते बीते चार सालों में कम हो गए 40 पटवारी, प्रभावित हो रहा काम; जल्द भर्ती की मांग

फतेहाबाद में बीते चार साल में 40 पटवारियों के पद प्रमोशन और रिटायरमेंट के चलते खाली हो गए। वहीं कुछ वीआरएस ले लिए। जिसके बाद अब स्थिति ये है कि पांच गांव में एक पटवारी है। यही कारण है कि जमीन पैमाइश जमाबंदी से लेकर मुआवजा वितरण तक के कार्य रुके हुए हैं। लोगों के मांग है कि गांव के लिए पटवारी जरुरी है जिसके लिए जल्द भर्ती हो।

By Rajesh KumarEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sat, 02 Dec 2023 04:38 PM (IST)
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फतेहाबाद में प्रमोशन व रिटायरमेंट के चलते बीते चार सालों में कम हो गए 40 पटवारी।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। पटवारी एक ऐसा कर्मचारी हैं जिसकी हर समय किसी ने किसी कार्य को लेकर आमजन को जरूरत पड़ती रहती है। लेकिन पटवारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। अब जिले में महज 60 पटवारी ही 161 पदों पर कार्यरत है। यानी हर पटवारी के पास साथ लगते सर्कल का अतिरिक्त चार्ज जबरदस्ती से दिया हुआ है।

पिछले चार साल में 40 पटवारियों के पद प्रमोशन व रिटायरमेंट के चलते खाली हो गए। कर्मचारी यूनियन के अनुसार पांच पटवारी व कानूनगो तो काम के बोझ के चलते वीआरएस ले गए। वैसे भी जिले में 301 गांव यानी प्रत्येक पांच गांवों में एक पटवारी। ऐसे में पटवारी आमजन को सहज उपलब्ध नहीं होते। इस महीने में कानूनगो के पांच पदों के लिए प्रमोशन होनी है, वहीं दो पटवारी सेवानिवृत्त पर है। ऐसे में इसी साल के अंत तक पटवारी के पद घटकर 53 ही रह जाएगी।

पटवारियों का वेतन बढ़ाया लेकिन नहीं हुई भर्ती

पटवारी की कमी से खुद पटवारी ही जूझ रहे है। एक तो बढ़ते काम का बोझ, दूसरा ऑनलाइन कामकाज की अनिवार्यता से पटवारी मानसिक रूप से परेशान है। पटवारी व कानूनगो एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उसमें दो प्रमुख मांग थी एक खाली पदों पर भर्ती दूसरी वेतनवृद्धि। सरकार ने पटवारियों का वेतन बढ़ा दिया, लेकिन खाली पदों पर भर्ती नहीं की। उसके बाद से भी अब अधिक पद खाली है, लेकिन यूनियन भर्ती के लिए फिर से आंदोलन करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।

इसकी वजह है कि जब राजस्व विभाग में जो पटवारी व कानूनगो कार्यरत है। उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक आने वाले दो से तीन सालों में सेवानिवृत्त होने है। ऐसे में उम्र के इस बढ़ाव में वे प्रदर्शन करना नहीं चाहते।

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राजस्व के अलावा इनकम व जाति प्रमाण पत्र बनाने की जिम्मेदारी

वैसे अब पटवारियों को जमीन जायदाद से जुड़े कार्य करने के अलावा दूसरे प्रकार के भी कार्य करने पड़ते है। इनकम व जाति प्रमाण पत्र तो ऑनलाइन बनते है, लेकिन पटवारी के हस्ताक्षर के बिना नहीं बनते। वहीं फसल अवशेष प्रबंधन से लेकर इस तरह के अनेक कमेटियों के सदस्य पटवारी बनाए हुए है। जिनमें सही से कार्य न करने पर नोटिस तुरंत जारी होता है। खुद की निर्धारित जमाबंदी, इंतकाल, तकसीम व अन्य कार्य चाहे एक साल लेट हो जाए, लेकिन उसमें कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन अवशेष अधिक जले तो एसडीएम व डीसी तुरंत नोटिस जारी कर देते है।

सिंचाई विभाग में रिटायर्ट कर्मचारियों के भरोसे किसानों के फैसले

राजस्व विभाग की तरह ही सिंचाई विभाग में भी पटवारियों की कमी बनी हुई है। वहां पर 114 पदों में से 24 पदों पर पटवारी कार्यरत हैं। हालांकि वहां पर सेवानिवृत्त पटवारियों को दोबारा नौकरी पर रखकर काम चलाया जा रहा है। इसके अलावा आउटसोर्सिंग से भी कर्मचारी रखे हुए है। सिंचाई विभाग में किसानों से पानी व खाल से जुड़े केस की पैरवी इन पटवारियों के भरोसे है। सैकड़ों केस अब भी लंबित है।

32 हजार पदों की भर्ती अटकी, उसमें पटवारी के पद भी शामिल

तमाम विभागों व बोर्डों में कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया पिछले एक साल से लंबित है। करीब 32 हजार पदों के लिए भर्ती होनी है। उसमें पटवारी की भर्ती भी शामिल है। राजस्व विभाग के लिए सरकार कौशल निगम के तहत भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की। इसके तहत आवेदन लेकर सरकार ने छोड़ दिए। ऐसे में अधिक परेशानी आ रही है। आमजन की मांग है कि जब तक सरकार पक्की भर्ती न करे, तब तक कौशल विकास निगम के तहत पटवारी रखे जाए।

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