Fatehabad News: अभी शुरू नहीं होगा पशु मेला, अधिकारी शर्तें हटाने को तैयार नहीं; कर्मचारियों की कमी बन रही बाधा
फतेहाबाद जिले में अभी पशु मेला जल्द शुरू होने के कोई आसार नहीं है। हालांकि मंत्री मेला शुरू करवाने के आदेश दे चुके हैं जबकि अधिकारी शर्तें हटाने को तैयार नहीं हैं। पशु मेला का टेंडर में दो साल का अनुभव शर्तें हटाने की मंत्री मांग कर चुके हैं। शर्तें हटाने के लिए डीसी की अध्यक्षता में कमेटी फैसला करेगी। अधिकारी खुद भी मेला लगाने के लिए तैयार नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। पशु मेला अब जल्द शुरू नहीं होगा। इसकी वजह है कि पशु मेला लगाने के लिए अधिकारी खुद तैयार नहीं है। वे न तो मेले के टेंडर देने पर लगाई गई शर्त को हटाना चाहते। न ही खुद कर्मचारियों के अभाव में मेला शुरू कर रहे। बेशक पंचायती राज मंत्री देवेंद्र बबली ने जिला परिषद की बैठक में पशु मेला शुरू करने के आदेश दिए थे। लेकिन मेला डीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी को करना है। जब तक मंत्री डीसी आदेश नहीं देते तब तक मेला शुरू नहीं होगा।
इसकी वजह है कि मेला लगेगा या नहीं। यह डीसी तय करते है। किसी प्रकार के नियमों में बदलाव डीसी की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली कमेटी को करना है। टेंडर जारी करते समय दो वर्ष के अनुभव वाली फर्म की मांग करनी है या नहीं। जब तक डीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी निर्णय नहीं लेगी।तब तक टेंडर में अनुभव की योग्यता का प्रावधान नहीं हटेगा। बिना हटे मेला भी शुरू नहीं होगा। इसकी वजह है कि पशु मेले का टेंडर जिले से ही संबंधित कोई व्यक्ति लेना चाहता है। इसके लिए अनुभव की शर्त हटाने के लिए मंत्री देवेंद्र बबली ने पार्षदों की सिफारिश पर अधिकारियों को निर्देश दिए थे।
कई गांवों में लग रहे पशु मेले, होती है मनमानी
फतेहाबाद के रतिया रोड पर रंगाई नाले के पास लगने वाला सरकारी पशु मेला बंद हुआ तो जगह जगह गांवों में अवैध तरीके से पशु मेले लगने शुरू हो गए। वहां पर नियमों की अनदेखी तो होती ही है, वहीं पशुपालकों की भैंस का रेट सही से नहीं लगाया जाता। ऐसे में सरकारी पशु मेला शुरू होने से सरकार के साथ आम पशुपालक को भी फायदा होगा।पशु मेले से एक हजार से अधिक लोगों को मिलता है रोजगार
पशु मेले से प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर क्षेत्र के एक हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। यह रोजगार वाहन चालकों के अलावा पशु मेला में विभिन्न प्रकार के स्टाल लगाने वालों को भी मिलता है। इसके अलावा पशु मेले में अनेक ऐसे व्यापारी होते है जो पशुओं को बिकवाने के नाम पर दलाली करते है। उनको भी रोजगार मिलता है। पशु मेले में जिले की अकेले कैंटर यूनियन ही नहीं, ग्रामीणों क्षेत्रों में टाटा एस व पिकअप चलाने वालों को भी रोजगार मिलता है। लेकिन अब पशु मेला बंद होने से परेशानी आ रही है।
ये भी पढ़ें: Farmers Protest: ट्रैक्टर की जगह दिल्ली कूच के लिए किसानों ने बनाया नया प्लान, सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन के फूले हाथ-पांव
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।