Dussehra 2024: फतेहाबाद में 65 फीट के रावण के पुतले का दहन, बुराई पर अच्छाई की जीत का मनाया जश्न
दशहरा 2024 में फतेहाबाद ने 65 फीट ऊंचे रावण के पुतले के दहन के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया गया। पिछले साल की गलतियों से सबक लेते हुए सर्वसमाज कमेटी ने इस बार क्रेन की मदद से पुतलों को खड़ा किया। विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया ने कहा कि रावण दहन हमें याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली हो उसका अंत होना तय है।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। जिलेभर में दशहरा पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया। जिले में विभिन्न जगहों पर रावण के पुतलों का दहन किया गया। फतेहाबाद के नए शहर थाने के साथ स्थित मेला ग्राउंड में इस बार 65 फीट उंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। इसके साथ ही मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का भी दहन किया गया।
क्या हुआ था पिछली बार?
इतना ही नहीं, इस बार सर्वसमाज कमेटी ने पिछले साल की गलतियों से सबक लेते हुए पुतलों को इस बार क्रेन की मदद से खड़ा करवाया है। पिछली बार रावण दहन से पहले ही रावण का मेन पुतला गिर कर टेढ़ा हो गया। लाख प्रयास के बावजूद उसे सीधा नहीं किया जा सका था, जिसके चलते मुख्यातिथि को टेढ़े पुतले को ही आग लगानी पड़ी थी।
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शहर में मुख्य कार्यक्रम होने के कारण लोगों की भीड़ भी अधिक रही। ऐसे में पुलिस को कंट्रोल करना पड़ा। शाम के समय रावण के पुतले का दहन किया गया। ऐसे में बाद में लोगों को घरों तक पहुंचने में दिक्कत हुई। पहले लघु सचिवालय के सामने रावण के पुतले का दहन किया जाता था। शहर के मुख्य बाजारों से होकर निकली शोभा यात्रा सर्वसमाज कमेटी द्वारा रावण दहन से पहले सभी कलाकारों को साथ लेकर पूरे शहर में शोभायात्रा निकाली।
विधायक ने शोभायात्रा को दिखाई हरी झंडी
इस शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाते हुए विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया ने कहा कि रावण दहन हमें ये याद दिलाता है कि बुराई जितनी मर्जी शक्तिशाली नजर आती हो, लेकिन आखिर में उसका अंत होना तय है। विधायक दौलतपुरिया ने कहा कि धर्म की राह पर चलने वाले हमेशा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तरह युगों-युगों तक याद रखे जाते हैं, जबकि असत्य की राह पर चलने वालों का रावण के समान अंत होता है।इसके बाद शोभायात्रा थाना रोड, जवाहर चौक, फव्वारा चौक, लालबत्ती चौक से होते हुए जीटी रोड, लघुसचिवालय के सामने मेला ग्राउंड तक पहुंची। यहां पर सर्वसमाज कमेटी के सदस्यों ने कलाकारों का स्वागत किया। इस दौरान श्रीराम और रावण की सेनाओं के बीच काल्पनिक युद्ध भी हुआ और अंत में श्रीराम बने कलाकारों ने अग्रिबाणों से रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों को अग्रि के हवाले कर दिया।
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