फतेहाबाद में मूंगफली व कुल्फी बेचते हैं पाक के पूर्व सांसद, भारतीय नागरिकता की उम्मीद से हुए खुश
पाकिस्तान के एक पूर्व सांसद हरियाणा के फतेहाबाद में रह रहे हैं और यहां वह मूंगफली व कुल्फी बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने से वह बेहद खुश हैं।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 14 Dec 2019 09:05 AM (IST)
फतेहाबाद, जेएनएन। बेनजीर भुट्टो के शासनकाल में पाकिस्तान में सांसद रहे डिवायाराम हरियाणा के फतेहाबाद में रह रहे हैं। पाकिस्तान में प्रताडि़त किए जाने के बाद वह वहां से जान बचाकर फतेहाबाद के गांव रतनगढ़ पहुंचे। वह सर्दियों में मूंगफली तो गर्मियों में कुल्फी बेचकर अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं। संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने से डिवायाराम बहुत खुश हैं और जश्न मना रहे हैं। इससे उनको खुद और परिवार को भारत की नागरिकता की उम्मीद है।
इस विधेयक के पास होने के बाद उनको उम्मीद जगी है कि भारत की नागरिकता पाकर अब उनके परिवार का भी राशन कार्ड बनेगा और वे सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का भी लाभ उठा सकेंगे। जागरण से बातचीत में डिवायाराम ने बताया कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों के लिए कुछ सीट रिजर्व रहती है। बेनजीर भुट्टो अपने पिता की मौत के बाद जब राजनीति में आई थीं तो उन्होंने अपने क्षेत्र में उनके स्वागत में भाषण दिया था।
डिवायाराम ने बताया कि इससे खुश होकर भुट्टो ने रिजर्व सीट से उसे सांसद बना दिया। वह बताते हैं कि सांसद बनने के बाद उनके परिवार की मुसीबत अधिक बढ़ गई। इससे खफा मुस्लिम समाज के लोगों ने 15 दिन बाद ही उनके परिवार की एक लड़की का अपहरण कर लिया और उन्हें पद छोडऩे के लिए धमकियां भी दीं।डिवायाराम ने बताया कि उनका यह मामला पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। डिवायाराम बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज ने भी उन्हें समझौता करने और धर्म परिवर्तन कर मामला खत्म करने की नसीहत दी। इसके बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण लेने का निर्णय लिया।
-----------मुसलमानों की प्रताडऩा के कारण छोड़ा पाकिस्तानमूलत: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लहिय्या जिले के गांव 150 चक पीडी के निवासी डिवायाराम अपने परिवार के साथ जनवरी 2000 में एक महीने के वीजा पर भारत आए थे। शुरुआत में रोहतक जिले के कलानौर व रोहतक शहर में रहे। वीजा समाप्त हुआ तो उन्होंने तत्कालीन रोहतक के डीसी से समक्ष पेश होकर अर्जी दी कि वह और उनका परिवार किसी भी सूरत में पाकिस्तान नहीं जाना चाहता।
उस दौरान बजरंग दल व अन्य हिंदू संगठनों ने उनकी मदद की। उपायुक्त ने भी उन्हें वहां रहने की छूट दे दी। इसके बाद वे वर्ष 2006 में रोहतक से फतेहाबाद के रतिया कस्बे के निकट गांव रतनगढ़ में आकर रहने लगे। पिछले 13 सालों से वहीं रह रहे हैं। ------------------------बोले- पाकिस्तान में 25 बीघा जमीन छोड़कर आया हूं
74 वर्षीय डिवायाराम परिवार के 12 सदस्यों के साथ गांव रतनगढ़ में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में उनके परिवार के पास 25 बीघे जमीन थी, लेकिन मुस्लिम समुदाय व उनके मौलवियों के प्रताडि़त करने से उन्हें पाकिस्तान छोडऩा पड़ा। वे मुसलमान बनाने के लिए गोवंश का मांस खाने के लिए दबाव बनाते। जब उन्होंने मुस्लिम धर्म अपनाने से मना कर दिया तो कई तरह से शोषण करना शुरू कर दिया।
डिवायाराम का कहना है कि वहां की सरकार भी उन्हें शह देती थी तो मजबूरन जमीन व घर छोड़कर भारत आना पड़ा। उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि भारत में उनके लिए कोई तो ऐसा प्रधानमंत्री बनेगा जो उनके हकों के लिए आवाज उठाएगा। अब वे खुश हैं कि उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी।
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