संपत सिंह को हराकर देवीलाल की आंधी रोकने वाले पूर्व विधायक रण सिंह बेनीवाल का निधन, पंचकूला में ली अंतिम सांस
Ran Singh Beniwal Death तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल के करीबी रहे पूर्व विधायक रणसिंह बेनीवाल पिछले कुछ सालों से राजनीति में सक्रिय नहीं थे। संयोग देखिये जिन देवीलाल के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर रण सिंह बेनीवाल ने अपना कब्जा जमाया था उन्हीं देवीलाल के पोते द्वारा शुरू की गई जननायक जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रण सिंह बेनीवाल के राजनीतिक उत्तराधिकारी उनके भतीजे रविंद्र बैनीवाल हैं।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। Ran Singh Beniwal Passes Away भट्टूकलां के पूर्व विधायक रण सिंह बेनीवाल (90) का निधन हो गया है। उन्होंने अपनी अंतिम सांस पंचकूला में अपनी बेटी के निवास पर ली। रण सिंह बेनीवाल 1980 में हुए भट्टूकलां उपचुनाव में विजयी हुए थे। उस उपचुनाव को देवीलाल की आंधी रोकने वाला उपचुनाव कहा जाता है। इस उपचुनाव में उन्होंने लोकदल के तत्कालीन दिग्गज नेता संपत सिंह को तकरीबन दस हजार मतों से हराया था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल के करीबी रहे पूर्व विधायक रणसिंह बेनीवाल पिछले कुछ सालों से राजनीति में सक्रिय नहीं थे। संयोग देखिये, जिन देवीलाल के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर रण सिंह बेनीवाल ने अपना कब्जा जमाया था, उन्हीं देवीलाल के पोते द्वारा शुरू की गई जननायक जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रण सिंह बेनीवाल के राजनीतिक उत्तराधिकारी उनके भतीजे रविंद्र बैनीवाल हैं।
उनका अंतिम संस्कार शनिवार शाम उनके पैतृक गांव ठुइयां में किया गया। इस मौके पर अनेक राजनीतिक एवं सामाजिक दिग्गज भी मौजूद रहे।
संपत सिंह बोले- मेरे सबसे शरीफ प्रतिद्वंदी थे रण सिंह बैनीवाल'
दिवंगत रण सिंह बैनीवाल ने अपने जीवनकाल में इकलौता विधानसभा चुनाव साल 1980 में हुआ उपचुनाव जीता था। इस उपचुनाव में उन्होंने लोकदल के दिग्गज नेता प्रोफेसर संपत सिंह को तकरीबन दस हजार वोटों से हराया था। उनके निधन के बाद दैनिक जागरण ने संपत सिंह से बात की तो उन्होंने रण सिंह बैनीवाल को अपना सबसे शरीफ प्रतिद्वंदी बताया।
संपत सिंह ने कहा कि उपचुनाव के दौरान भजनलाल मुख्यमंत्री थे, वो चुनाव भजनलाल वर्सेस संपत सिंह हो गया था। संपत सिंह बताते हैं कि इस चुनाव के बाद वो कई बार एक दूसरे से मिले और हमेशा रण सिंह बैनीवाल उनसे अपनेपन से ना केवल मिलते थे, बल्कि काफी देर तक बतियाते भी थे। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों वो किसी काम से गांव ठुइयां गए थे, तो वो उनके निवास पर गए थे, लेकिन तब वो पंचकूला में अपनी बेटी के निवास पर चले गए थे।