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हरियाणा में 12 वर्षों में फसलों के भाव हुए दोगुने, फिर भी किसानों की नहीं सुधरी हालत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार गत 12 वर्षों में फसलों के भाव दोगुने हो गए। कई फसल तो ऐसी हैं जिनके भाव ढाई से तीन गुणा हो चुके हैं। लेकिन 5 से 7 एकड़ के किसान का खेती से गुजारा मुश्किल हो गया है। वजह फसल उत्‍पादन सामग्री में मंहगाई।

By Rajesh KumarEdited By: Manoj KumarUpdated: Fri, 21 Oct 2022 04:18 PM (IST)
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फसल पैदावार होने में खर्च बढ़ने से आ रही परेशानी, रासायनिक उर्वरक हुए महंगे
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : किसान की आर्थिक हालत प्रतिदिन खराब होती जा रही हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गत 12 वर्षों में फसलों के भाव दोगुने हो गए। कई फसल तो ऐसी हैं जिनके भाव ढाई से तीन गुणा हो चुके हैं। लेकिन 5 से 7 एकड़ के किसान का खेती से गुजारा मुश्किल हो गया है। इसकी कई वजह है। सबसे अधिक परेशानी खेती में जुताई से लेकर बीज व उर्वरक तक के भाव कई गुणा बढ़ गए। हालांकि सरकार कई फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदती है तो इससे किसानों को फायदा मिला हुआ है। अन्यथा हालत बदतर हो जाते। वहीं सरसों व बासमती धान ने किसानों अच्छी कमाई से भी हुई है। किसानों का कहना है कि फसलों के भाव गत 7 वर्षों में फसलों के भाव अधिक बढ़े है, लेकिन महंगाई भी बढ़ी है।

डीजल के भाव बढ़े है। इससे खेतों में जुताई महंगी हुई है। वहीं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खेती करना अब आसान नहीं है। खेती में समझ से अच्छा प्रबंधन होता है। खेती में अब कीट की पहचान जरूरी हो गई है, अन्यथा अनेक किसान अंधाधुंध कीटनाशक का छिड़काव करते हुए भारी नुकसान उठा रहे है। वहीं कृषि विभाग का पिछले कुछ वर्षों से कार्य का स्वरूप बदल गया है। अब इस विभाग से अनुदान की योजनाओं का लाभ लेने के लिए ही किसान अधिकारियों से संपर्क करते है। खेती संबंधित संवाद बंद हो गया।

सरकार के न खरीदने से मूंग, मूंगफली व चना को नहीं मिलता समर्थन मूल्य

प्रदेश व केंद्र सरकार द्वारा चंद फसलों की सरकारी खरीद होती है। जिनका किसानों को समर्थन मूल्य मिलता है, वहीं तीन से चार फसलों का मार्केट भाव समर्थन मूल्य से अधिक होता है। बाकी फसल की लागत निकालना किसानों के लिए मुश्किल हो गया है। सबसे अधिक परेशानी दलहनी फसलों में आ रही है। केंद्र सरकार हर हजारों टन दलहन का आयात करती है, लेकिन यहां के किसानों की फसल नहीं खरीदी जाती।

नकली बीज से बढ़ी परेशानी

सबसे अधिक परेशानी किसानों को नकली बीज से आ रही है। गत वर्ष कई जगह सरसों के बीज के साथ काटन के बीज में नकली आ रहे है। नकली बीज बेचने पर अधिक जुर्माने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में सबसे अधिक नकली बीज का कारोबार होता है। कृषि विभाग के अधिकारी भी उन बीज का सैंपल नहीं लेते जो नकली होने की आशंका होती है। गत वर्ष प्रदेश में सरसों व कपास की फसल नकली बीज की भेंट चढ़ गई थी।

मनरेगा से खेती में जोड़ने से मजदूरों व किसान दोनों का होगा फायदा

खेती का लाभदायक बनाने के लिए सरकार को कई प्रयास करने होंगे। जिसमें से एक मनरेगा को खेती के साथ जोड़ना ही होगा। इससे किसान व मनरेगा मजदूर दोनों को फायदा मिलेगा। किसान मजदूर को सरकार से मिलने वाली दिहाड़ी से अलग भी रुपये देने के लिए तैयार होते है, लेकिन मनरेगा योजना के बाद किसानों को मजदूरी की परेशानी आ रही है। किसान संगठनों की मांग है कि सरकार मनरेगा में एक परिवार को 100 दिवस की बजाए 150 कार्य दिवस का रोजगार दे, लेकिन इसमें खेती के कार्य भी जोड़े। अब पराली की समस्या खेती से मनरेगा जुड़ी होती तो आती ही नहीं। जो रुपये किसान को दिए गए है, उतने रुपये मनरेगा मजदूरों को दिए जाते तो पराली का प्रबंधन आसानी से हो जाता।

सरकारी खरीद वाली फसलों का बढ़ गया रकबा

जिले में कभी हर प्रकार की फसलें होती थी, लेकिन अब जिले में किसान उन्हीं फसलों को अधिक बोता है। जिनकी सरकारी खरीद होती है। जिनमें खरीफ में धान व रबी में गेहूं प्रमुख फसल रह गई। पानी की समस्या वाले क्षेत्रों में किसान नरमे की खेती करते है। जबकि डेढ़ दशक पहले तक जिले में मूंग, बाजरे, सरसों व चन्ने का रकबा भी खूब था। लेकिन अब सरसों को छोड़ दे तो बाकी फसलों का रकबा कुछ एकड़ तक सीमित रह गया।

गत 12 वर्षों में इस तरह बढ़े फसलों के भाव

वर्ष 2010-11 2014-15 2017-18 2018-19 2021-22 2022-23 2023-24

परमल 1030 1400 1590 1770 1960 2060 --

बाजरा 880 1250 1425 1950 2250 2350 --

मक्का 880 1310 1425 1700 1870 1962 -

मूंग 3170 4600 5575 6975 7275 7755 -

काटन 3000 3750 4020 5150 5726 6080 -

मूंगफली 2300 4000 4450 4890 5550 5850 -

सुरजमुखी 2350 3750 4100 5388 6015 6400 -

गेहूं 1120 1450 1735 1840 2015 2015 2125

जौ 780 1150 1410 1440 1635 1635 1735

चना 2100 3175 4400 4620 5230 5230 5335

सरसों 1850 3100 4000 4200 5050 5050 5450

ये अनाज की फसले

धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी व जौ।

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दलहनी फसलें :

चना, अरहर, उड़द व मूंग।

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तिलहन फसलें :

सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी व तिल

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व्यवसायिक फसल :

कपास व गन्ना

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