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श्रीशीतला माता मंदिर में दर्शन दूसरे राज्यों से भी आते हैं भक्त

श्रीशीतला माता मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारतकालीन शीतला माता का ऐतिहासिक मंदिर शहर के विकास का साक्षी रहा है। मंदिर के साथ पूरे हरियाणा ही नहीं पूरे देश की आस्था जुड़ी हुई है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 06 Oct 2021 03:34 PM (IST)
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श्रीशीतला माता मंदिर में दर्शन दूसरे राज्यों से भी आते हैं भक्त

श्रीशीतला माता मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारतकालीन शीतला माता का ऐतिहासिक मंदिर शहर के विकास का साक्षी रहा है। मंदिर के साथ पूरे हरियाणा ही नहीं पूरे देश की आस्था जुड़ी हुई है। आज गुरुग्राम की पहचान बड़ी-बड़ी कंपनियों के कारपोरेट कार्यालय से जुड़ गई है, लेकिन प्राचीन काल में गुरुग्राम की पहचान शीतला माता मंदिर ही थी। गुरु द्रोण की भूमि के कारण इसे प्राचीन काल से ही गुरुग्राम कहा जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर गुडगांव कर दिया गया। शीतला माता मंदिर को गुड़गांव वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो श्रद्धालुओं का शीतला माता के दर्शनों के लिए हर समय आना रहता है। पर साल में दो बार शीतला माता मंदिर में मेला लगता है। मेले के दौरान शीतला माता मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

मंदिर का इतिहास

शहर का प्राचीन मंदिर शीतला माता मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है। मां शीतला को गुरु द्रोण की पत्नी कृपी का रूप कहा जाता है। माता कृपी का आशीर्वाद भगवान कृष्ण ने भी लिया था। द्रोणाचार्य का आश्रम यहीं था। बताया जाता है कि मुगल काल में माता कृपी के मूर्ति को तालाब में फेंक दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि जिसे बाद में गुड़गांव गांव के एक श्रद्धालु सिगा को सपने में माता शीतला के दर्शन हुए। उसने तालाब से मूर्ति निकलवाई। सिगा के पास बहुत सारी जमीन थी। मां के प्रति अपार श्रद्धा थी। उन्होंने मंदिर बनवाया। प्राचीन मंदिर के मुख्य द्वार को अब नया रूप दिया गया है। सरकार व अधिकारियों ने कई बड़ी कंपनियों के सहयोग से मुख्य द्वार को भव्य बनाया गया है। मंदिर की विशेषता

मंदिर का विशाल परिसर, ब्रह्मा सरोवर आदि मंदिर के आकर्षण के केंद्र हैं। मंदिर परिसर में शनि, भैरव मंदिर, राधा कृष्ण, राम दरबार, हनुमान, मां दुर्गा समेत सभी देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर हैं। श्रद्धालु अपने बच्चों के पहली बार बाल उतरवाने (मुंडन) के लिए यहां पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में बने तालाब का विशेष महत्व है। माता के दर्शन के बाद मंदिर में मिट्टी छंटाई भी भक्तों के लिए विशेष है। इसके अलावा इस तालाब में अब पूर्वांचल के प्रमुख त्यौहार छठ मैया की पूजा भी होने लगी है। छठ मैया की पूजा के लिए शीतला माता मंदिर परिसर में बने सरोवर को विशेष रूप से सजाया जाता है। ऐसे पहुंचें मंदिर: गुरुग्राम रेलवे स्टेशन से मंदिर के लिए आटो या सिटी बस से जाया जा सकता है। स्टेशन से मंदिर करीब तीन किलोमीटर दूर है। बस से आने वाले लोग गुरुग्राम बस स्टैंड से दो किलोमीटर दूर आटो या सिटी बस से पहुंच सकते हैं।

कोविड-19 के चलते सरकार के सभी दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है। 24 घंटे चिकित्सकों की टीम मंदिर परिसर में उपलब्ध रहेगी। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए 100 सिपाही और 50 महिला पुलिसकर्मी जिला प्रशासन ने तैनात किए हैं। इसके अलावा बाहर यातायात व्यवस्था देखने के लिए भी अलग से पुलिस की व्यवस्था है।

यज्ञदत्त शर्मा, मंदिर अधिकारी

नवरात्र के दौरान रविवार, सोमवार और मंगलवार को शीतला माता मंदिर के कपाट 24 घंटे श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खुले रहेंगे। ज्यादा भीड़ भाड़ ना हो इसलिए 24 घंटे दर्शन खोलने की व्यवस्था की गई है। बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सुविधा उपलब्ध रहेगी। श्रद्धालु को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। इसके लिए वालंटियर व स्वयंसेवी संस्था के सदस्य मंदिर परिसर में तैनात रहेंगे।

परमिदर कटारिया, सदस्य, श्री माता शीतला श्राइन बोर्ड