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पटौदी रोड रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं का टोटा

ऐतिहासिक पटौदी रोड रेलवे स्टेशन को रेलवे अधिकारियों की उदासीनता के चलते भाजपा सरकार में भी अच्छे दिनों का इंतजार है। पटौदी रोड रेलवे स्टेशन दिल्ली-रेवाड़ी रेलखंड का गुरुग्राम के बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। यहां से 35 से 36 हजार दैनिक यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं। इसके बाद भी सुविधाएं बढ़ाने पर जोर नहीं है। इस स्टेशन पर सुविधाओं के अभाव का कारण स्टेशन को दिया गया गलत दर्जा है। रेलवे ने स्टेशन को डी श्रेणी का दर्जा दिया था जबकि स्टेशन की आय के हिसाब से इसे बी श्रेणी का दर्जा दिया जाना चाहिए। यदि रेलवे नियमाुनसार आय के हिसाब से इसे दर्जा दे तो स्टेशन पर काफी सुधार एवं नए निर्माण हो सकते हैं।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 15 Jun 2018 07:01 PM (IST)
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पटौदी रोड रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं का टोटा

संवाद सहयोगी, पटौदी: ऐतिहासिक पटौदी रोड रेलवे स्टेशन को रेलवे अधिकारियों की उदासीनता के चलते भाजपा सरकार में भी अच्छे दिनों का इंतजार है। पटौदी रोड रेलवे स्टेशन दिल्ली-रेवाड़ी रेलखंड का गुरुग्राम के बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। यहां से 35 से 36 हजार दैनिक यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं। इसके बाद भी सुविधाएं बढ़ाने पर जोर नहीं है।

इस स्टेशन पर सुविधाओं के अभाव का कारण स्टेशन को दिया गया गलत दर्जा है। रेलवे ने स्टेशन को डी श्रेणी का दर्जा दिया था जबकि स्टेशन की आय के हिसाब से इसे बी श्रेणी का दर्जा दिया जाना चाहिए। यदि रेलवे नियमानुसार आय के हिसाब से इसे दर्जा दे तो स्टेशन पर काफी सुधार एवं नए निर्माण हो सकते हैं। नहीं है कोई प्रतीक्षालय

स्टेशन की हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां से रेलयात्री प्रथम श्रेणी तक में भी यात्रा करते हैं परंतु स्टेशन पर प्रथम श्रेणी की तो बात ही दूर द्वितीय श्रेणी का भी प्रतीक्षालय नहीं है। शेड एवं बेंचों की कमी

प्लेटफार्म पर समुचित लंबाई का शैड तक भी नहीं है। यही नहीं स्टेशन पर बठने की समुचित बैंच भी नहीं है। इससे यात्रियों को वर्षा एवं धूप में खुले में ही खड़े होकर रेलगाड़ी का इंतजार करना पड़ता है। न पानी है न सुविधाएं

रेलवे स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं का भी नितांत अभाव है। स्टेशन पर मीठे पानी तक की समुचित व्यवस्था नहीं है। रेलवे नलकूप का पानी खारा है। किसी समाजसेवी ने प्लेटफार्म- 1 पर अवश्य वाटरकूलर लगा रखा है जिसमें रेलवे के नलकूप का नहीं अपितु वाटर सप्लाई का पानी आता है परंतु उसमें सारा दिन पानी नहीं रहता है। स्टेशन पर कोई चाय पानी तक कोई स्टाल तक शौचालय केवल प्लेटफार्म नंबर एक पर ही है। अंडरपास बनाने की नहीं मानी गई मांग

दिल्ली-रेवाड़ी रेल लाइन हेलीमंडी नगर को दो भागों में बांट देती है-पश्चिमी भाग जटौली एवं पूर्वी भाग हेलीमंडी। स्टेशन के प्लेटफार्म से सटा जटौली फाटक दोनों भागों को जोड़ने का एक मात्र साधन है। स्टेशन पर अमूमन बड़ी मालगाडि़यां आकर खड़ी हो जाती हैं एवं कई बार दिन भर भी खड़ी रहती हैं। इससे यह फाटक खुल नहीं पाता है। ऐसे में स्कूली बच्चों सहित महिलाओं एवं बुजुर्गों को भी नगर के एक भाग से दूसरे भाग की ओर आने जाने के लिए मालगाड़ी के पहियों के नीचे से होकर आना जाना पड़ता है। इससे दुर्घटना का हमेशा भय बना रहता है। जटौली-हेलीमंडी के लोग यहां पर अंडरपास बनाने की मांग को लेकर धरना भी दे चुके हैं एवं आला अधिकारियों से लेकर क्षेत्र के सांसद तक से कई बार गुहार लगा चुके हैं परंतु उनके आवाज नक्कारखाने में तूती के समान सिद्ध हुई है।  यह भी समस्या

- बीकानेर एवं पूजा एक्सप्रेस का ठहराव न होने से नाराज हैं लोग

- नई रेलगाड़ी देना तो दूर रहा 22 डिब्बों वाली पैसेंजर ट्रेन के स्थान पर चला दी 12 डिब्बों वाली डीएमयू

 -नहीं हुआ आरक्षण व्यवस्था में सुधार।

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