Air Pollution: सांस लेने लायक नहीं NCR की हवा, नारनौल में सबसे ज्यादा प्रदूषण; फरीदाबाद में भी बिगड़े हालात
दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर में प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिल रही है। हर दिन हवा में जहर घुलता जा रहा है। एनसीआर को प्रदूषण से राहत नहीं मिल रही है। बृहस्पतिवार को नारनौल सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा है। फरीदाबाद भी प्रदूषण के मामले में किसी से कम नहीं रहा है। फरीदाबाद 424 एक्यूआई के साथ दूसरे नंबर पर रहा।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। एनसीआर को प्रदूषण से राहत नहीं मिल रही है। बृहस्पतिवार को नारनौल सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, शाम को पांच बजे नारनौल में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 435 दर्ज किया गया। वहीं फरीदाबाद 424 एक्यूआई के साथ दूसरे नंबर पर रहा। गुरुग्राम में 357 और सोनीपत का एक्यूआइ 349 रहा।
सांस लेने लायक नहीं हवा
गुरुग्राम की सुबह स्माग में लिपटी रही और सुबह साढे सात बजे तक दृश्यता भी प्रभावित हुई। दस नवंबर को हुई हल्की वर्षा के बाद स्माग छंट गया था और हवा साफ हो गई थी, लेकिन दीपावली पर हुई आतिशबाजी के बाद से एक्यूआई खराब श्रेणी का दर्ज किया जा रहा है और हवा सांस लेने लायक नहीं है।
वाहनों से निकला धुआं, धूल और आतिशबाजी के कारण कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाईआक्साईड, नाइट्रोजन आक्साईड सहित अन्य गैसें सांसों में जहर घोल रही हैं। लोग आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी और सिर दर्द आदि लक्षणों के मरीज भी बढ़ रहे हैं। तापमान में गिरावट आने, नमी बढ़ने तथा हवा नहीं चलने के कारण प्रदूषण छंट नहीं रहा है।
क्या होता है स्माग
स्मोक और फाग से मिलकर स्माग बनता है। तापमान कम होने पर नमी या कोहरे में धूल, धुआं और जहरीली गैसें मिलकर स्माग पैदा करती हैं। स्माग जमीन से थोड़ा ऊपर छा जाता है, जिससे शरीर पर दुष्प्रभाव होने के साथ विजिबिलिटी यानी दृश्यता भी कम हो जाती है।
एक्यूआई स्वास्थ्य पर प्रभाव
- 0-50 कोई दुष्प्रभाव नहीं
- 51-100 संवेदनशील लोगों को सांस लेने में हल्की तकलीफ
- 101-150 आंखों में जलन, सांस और दिल के मरीजों के लिए खतरनाक
- 151-200 सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
- 201 -300 घर के अंदर रहने की सलाह
- 301-500 अति प्रदूषित, स्वास्थ्य के लिए अलर्ट
सड़कों पर पानी छिड़ककर खानापूर्ति
गुरुग्राम सहित पूरे एनसीआर में स्माग की परत छाई हुई है। विभाग सड़कों और पड़ों पर पानी छिड़ककर खानापूर्ति कर रहे हैं। टूटी सड़कों से धूल उड़ रही है। ऐसी सड़कों की मरम्मत नहीं की गई है। सड़कों पर वाहनों के निकलने के दौरान धूल उड़ती है, सड़कों की सफाई नहीं हो रही है।
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गुरुग्राम में पिछले 37 दिन से नगर निगम के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कई जगहों पर कूड़े को उठाने की बजाय आग लगाई जा रही है। खुले में कूड़ा जलाने, तंदूर और कोयला आदि जलाने के कारण भी प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। सड़कों के किनारे सीएंडडी वेस्ट यानी मलबा पड़ा हुआ है।
सड़कों पर मैनुअल सफाई यानी झाडू से सफाई को पूरी तरह बंद कर मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों से सफाई करवाई जा रही है। सड़कों पर पानी का छिड़काव करने वाले दमकल वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। -विजय चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गुरुग्राम।