Abdul Kalam Death Anniversary: रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे मिसाइलमैन
APJ Abdul Kalam Death Anniversary मिसाइलमैन के नाम से ख्यात पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। उनका सपना साकार करने को देश तेजी से अग्रसर है। जिस तरह से प्रयास किए जा रहे हैं आने वाले कुछ वर्षों के भीतर ही देश रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
By Aditya RajEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 27 Jul 2023 09:18 AM (IST)
गुरुग्राम [आदित्य राज]। APJ Abdul Kalam Death Anniversary :मिसाइलमैन के नाम से ख्यात पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर देखना चाहते थे।
उनका सपना साकार करने को देश तेजी से अग्रसर है। जिस तरह से प्रयास किए जा रहे हैं आने वाले कुछ वर्षों के भीतर ही देश रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा। देश को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना ही मिसाइलमैन के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
83 वर्ष की उम्र में मेघालय में हुआ था निधन
ये विचार असिस्टेंट चीफ आफ एयर स्टाफ (वेपंस) की जिम्मेदारी संभाल चुके एयर वाइस मार्शल (रिटा.) एके सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई 2015 को मेघालय में उनकी मृत्यु 83 साल की उम्र में हुई। अंतिम समय में भी वह लोगों को राष्ट्र की मजबूती के लिए प्रेरित कर रहे थे।राष्ट्रपति बनने से पहले जब डॉ. कलाम केंद्र सरकार में सलाहकार थे तो वह बेंगलुरु स्थित डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) में पहुंचे थे। उस समय भी वह रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनना होगा, चर्चा करते दिखे।
"रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनना चाहिए"
राष्ट्रपति रहने के दौरान इसके ऊपर काफी जोर दिया। राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी वह विभिन्न मंचों से रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनना चाहिए, उदगार व्यक्त करते रहे। उनके सपने को केंद्र सरकार साकार कर रही है।डीआरडीओ के पास काफी क्षमता है। केंद्र सरकार ने उसकी क्षमता का उपयोग करना शुरू कर दिया है। सी-295 विमान के अधिकतर कंपोनेंट देश में बनाने की बात चल रही है। यह दर्शाता है कि देश रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में काफी बढ़ चुका है। कुछ साल पहले तक सबकुछ बाहर से ही मंगाया जाता है।
निजी क्षेत्र में कई कंपनियां हथियारों के उत्पादन को लेकर आगे आई हैं। यह सुखद संकेत है। देश के भीतर मिसाइलों से लेकर रडार तक का उत्पादन शुरू हो चुका है। छोटे-छोटे हथियार भी विदेश से मंगाते थे।अब देश में बनने लगे हैं। हथियारों के उत्पादन से न केवल देश मजबूत होगा बल्कि रोजगार के नए-नए अवसर सामने होंगे। कलाम का मानना था कि विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में आने के लिए देश का अधिकतर क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है।
खासकर रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है। आर्थिक मजबूती के साथ सामरिक मजबूती के ऊपर भी जोर देना आवश्यक है। जब दोनों क्षेत्र में मजबूत होते हैं तभी दुनिया आपकी बात सही तरीके से सुनती है।दुनिया में कई देश हैं जो आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत हैं, लेकिन उनकी बात कोई सुनने को तैयार नहीं क्योंकि वे सामरिक दृष्टि से मजबूत नहीं हैं। सामरिक दृष्टि से मजबूती दूसरों को दबाने के लिए नहीं बल्कि आत्मसम्मान के लिए जरूरी है। दूसरों की रक्षा करने के लिए जरूरी है।
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