Gurugram Crime: वारदात के दिन 16 साल से एक दिन कम थी आरोपी की उम्र, बाल सुधार गृह भेजा गया
राजेंद्रा पार्क थाना क्षेत्र के सेक्टर-107 स्थित सिग्नेचर सोसायटी में एक 16 वर्षीय लड़के ने अपने पड़ोस में रहने वाली नौ वर्षीय बच्ची की कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद उसके शव को जलाने का प्रयास किया। इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। जांच में सामने आया है कि वारदात के दिन उसकी उम्र 16 वर्ष से एक दिन कम थी।
विराट त्यागी, गुरुग्रामl राजेंद्रा पार्क थाना क्षेत्र के सेक्टर-107 स्थित सिग्नेचर सोसायटी में नौ साल की बच्ची की गला दबाकर कर हत्या करने और बाद में आग लगाने के आरोपित किशोर की उम्र वारदात के दिन सोमवार को 16 साल से एक दिन कम थी। मंगलवार को वह 16 साल का हुआ है।
राजेंद्रा पार्क थाना पुलिस ने पूछताछ के बाद मंगलवार को आरोपित किशोर को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पेश किया। इस दौरान उससे जानकारी ली गई। मामले में अभी और जानकारी लेने के लिए आरोपित को बोर्ड की तरफ से दो दिन के लिए सुरक्षात्मक हिरासत में भेजा गया है।
इस दौरान वह बाल सुधार गृह में रखा जाएगा। कानूनविदों के अनुसार वारदात के दिन 16 साल से एक दिन कम उम्र होने से आरोपित पर वयस्क मानकर केस नहीं चलाया जा सकता है।
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16 से 18 की उम्र में चल सकता है वयस्क के रूप में मामला
जघन्य अपराध में अगर आरोपित की उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच में होती है तो उसकी मानसिक क्षमता टेस्ट और आइक्यू टेस्ट के आधार पर आरोपित की मनोदशा को समझकर अदालत वयस्क के रूप में मामला चलाने की अनुमति दे सकती है।
मामले की सुनवाई तक बाल सुधार गृह में रहेगा आरोपित
16 साल से कम उम्र होने पर आरोपित पर मामला जुवेनाइल जस्टिस के समक्ष चलेगा। इस दौरान आरोपित नाबालिग को सेफ होम्स या बाल सुधार गृह में ही रखना होगा।
मामले की सुनवाई के दौरान अगर वह 18 साल का हो भी जाता है तो उसको सेफ होम्स या बाल सुधार गृह में ही रखना होगा। अगर मामले में बोर्ड आरोपित को दोषी मानते हुए सजा देता है तो भी उसको सेफ होम्स या बाल सुधार गृह में रखना होगा।
प्रिंस हत्याकांड में भी आरोपित को माना गया वयस्क
आठ सितंबर 2017 में एक प्राइवेट स्कूल में सात वर्षीय प्रिंस (अदालत द्वारा दिया गया नाम) की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। सीबीआइ ने मामले की जांच करते हुए आरोपित नाबालिग भोलू (अदालत द्वारा दिया गया नाम) काे गिरफ्तार किया गया था।
एक मेडिकल बोर्ड गठित करके भोलू के मनोवैज्ञानिक और आइक्यू टेस्ट के आधार पर उसे वयस्क माना गया था। जिस पर अदालत ने वयस्क मानकर केस चलाने की अनुमति दी थी।
आरोपित के विरुद्ध पूरा मामला जुवेनाइल जस्टिस के समक्ष ही चलेगा। मामले की सुनवाई पूरी होने तक उसको सेफ होम्स या बाल सुधार गृह में ही रखा जाएगा। आरोपित से पूछताछ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों के सामने ही होगी।
-राहुल चौहान, क्रिमिनल मामलों के जानकार अधिवक्ता
पुलिस प्रशासन में नियुक्त चाइल्ड वेलफेयर अधिकारी ही आरोपित से पूछताछ करेगा। उस दौरान आरोपित के पास कोई भी अधिकारी पुलिस वर्दी में नहीं रह सकता है। इस मामले में अधिकतम तीन साल की सजा का प्रविधान है।
-सुशील टेकरीवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता