दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर चलने वाले सावधान, तय स्पीड से अधिक तेज दौड़ाएंगे वाहन तो सीधे घर पहुंचेगा चालान
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (Delhi Mumbai Expressway) पर 15 अक्टूबर के बाद 120 किलोमीटर प्रतिघंटे से अधिक रफ्तार में वाहन चलाना महंगा पड़ेगा। अधिक रफ्तार होते ही चालान हो जाएगा। इसके लिए व्हीकल स्पीड डिडक्शन सिस्टम (वीएसडीएस VSDS) विकसित करने का काम 10 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। अलीपुर से फिरोजपुर झिरका तक और अलवर से दौसा तक सिस्टम विकसित करने का काम पूरा हो चुका है।
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (Delhi Mumbai Expressway) पर 15 अक्टूबर के बाद 120 किलोमीटर प्रतिघंटे से अधिक रफ्तार में वाहन चलाना महंगा पड़ेगा। अधिक रफ्तार होते ही चालान हो जाएगा। इसके लिए व्हीकल स्पीड डिडक्शन सिस्टम (वीएसडीएस, VSDS) विकसित करने का काम 10 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।
अलीपुर से फिरोजपुर झिरका तक और अलवर से दौसा तक सिस्टम विकसित करने का काम पूरा हो चुका है। केवल फिरोजपुर झिरका से अलवर के बीच का कुछ हिस्सा बाकी है। 10 किलोमीटर के अंतराल पर सिस्टम विकसित किया जा रहा है।
अलीपुर से दौसा तक का हिस्सा है चालू
जिले में सोहना के नजदीक गांव अलीपुर से लेकर मुंबई तक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे विकसित किया जा रहा है। इसका अलीपुर से लेकर राजस्थान में दौसा तक का हिस्सा 12 फरवरी से चालू किया जा चुका है। अधिकतम स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित है, लेकिन अधिकतर वाहन 150 किलोमीटर से भी अधिक रफ्तार में दौड़ रहे हैं।
9 हजार चालान हुए
राजस्थान इलाके में यानी अलवर से दौसा तक इंटरसेप्टर की सुविधा उपलब्ध है। इसके माध्यम से अब तक नौ हजार वाहनों का चालान किया जा चुका है। प्रतिदिन दो से तीन हादसे हो रहे हैं। कई लोगों की मौत हो चुकी है।
रफ्तार अधिक होते ही कंट्रोल रूम को जाएगा मैसेज
इसे देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई, NHAI) पूरे रूट पर वीएसडीएस विकसित करने पर जोर देना शुरू कर दिया है। सिस्टम के चालू होने के बाद निर्धारित रफ्तार से अधिक होते ही नंबर प्लेट एनएचएआई के कंट्रोल रूम में दिख जाएगी।
कंट्रोल रूम को आगे ट्रैफिक पुलिस के सिस्टम से ऑनलाइन जोड़ दिया जाएगा। इस तरह जैसे ही किसी की वाहन की रफ्तार अधिक होगी, चालान हो जाएगा। सिस्टम विकसित करने के साथ ही राजस्थान इलाके की तरह ही हरियाणा इलाके में भी ट्रैफिक पुलिस से इंटरसेप्टर से नजर रखने को कहा गया है, ताकि कहीं भी वाहनों की रफ्तार 120 किमी से अधिक न हो सके।
एनएचएआई के परियोजना निदेशक मुकेश कुमार मीणा का कहना है कि 15 अक्टूबर के बाद वाहनों की रफ्तार में काफी हद तक नियंत्रण लग जाएगा। ऑनलाइन चालान सीधे लोगों के पास पहुंचेगा।
ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर भी किया जाएगा सुधार
एक्सप्रेस-वे पर प्रतिदिन दो से तीन हादसे हो रहे हैं। इसे देखते हुए एनएचएआई ने ऑडिट कराया है। रिपोर्ट कुछ दिनों के भीतर आने की उम्मीद है। प्रारंभिक तौर पर ऑडिट में भी वाहनों की अधिक रफ्तार ही हादसों के लिए मुख्य कारण के रूप में सामने आई है।
वाहनों की रफ्तार इतनी अधिक रहती है कि जब तक चालक संभलते हैं तब तक हादसा हो जाता है। पिछले महीने नूंह इलाके में रोल्स रायस की स्पीड इतनी अधिक थी कि टैंकर में टकराने के बाद उसमें आग लग गई थी।
एक्सप्रेस-वे पर अब तक हुए बड़े हादसे
13 फरवरी: एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के अगले ही दिन राजस्थान के दौसा इलाके में हादसा हुआ था। स्विफ्ट डिजायर कार आगे चल रहे जुगाड़ वाहन से टकरा गई थी। कार की रफ्तार इतनी अधिक थी कि टक्कर होते ही पलट गई थी। हादसे में दो लोग घायल हुए थे।
15 फरवरी: गुरुग्राम इलाके में गांव लोहटकी के पास एक ट्रैक्टर ट्राली में पीछे से तेज रफ्तार पिकअप ने टक्कर मार दी थी। टक्कर इतनी तेज थी कि ट्राली सड़क किनारे जा पलटी थी। हादसे में पिकअप चालक को काफी चोट लगी थी।
दो जुलाई: पलवल इलाके में एक तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर फ्लाईओवर के पिलर से टकरा गई थी। हादसे में कार सवार चार दोस्तों की मौके पर ही मौत हो गई थी। चारों युवक उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। कार के सामने एक कुत्ते के आने से अनियंत्रित हुई थी।
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22 अगस्त: नूंह इलाके में तेज रफ्तार रोल्स रॉयस (फैंटम मॉडल) कार ने डीजल कैंटर में टक्कर मार दी थी। इससे टैंकर पलट गया था। टैंकर चालक व सहायक की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोल्स रायस में सवार कुबेर ग्रुप के निदेशक विकास मालू के साथ ही उनका पीएसओ व चालक भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। टक्कर इतनी भीषण थी कि अति सुरक्षित माने जाने वाली रोल्स रॉयस में भी आग लग गई थी।
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(इनके अलावा भी कई बड़े हादसे हो चुके हैं, जिनमें काफी लोगों की मौत हो चुकी है।)