गुरुग्राम से दिल्ली की कनेक्टिविटी कैसे होगी बेहतर? लाखों वाहन चालकों को राहत के लिए बन रहा प्लान
थ्री लेयर एलिवेटेड हाईवे विकसित कर पांच किलोमीटर के अंतराल पर इंटरचेंज यानी जंक्शन की सुविधा पर जोर देना होगा। सभी जंक्शन क्लोवरलीफ की तरह बनाने होंगे ताकि किसी भी तरफ से आने वाले वाहन पूरी स्पीड के साथ आगे दूसरी तरफ निकल जाएं। इससे कहीं भी ट्रैफिक का दबाव नहीं दिखाई देगा। कई शहरों में भी थ्री लेयर एलिवेटेड रोड बनाने के ऊपर जोर दिया जा रहा है।
आदित्य राज, गुरुग्राम। आईटी, आईटी इनेबल्ड, टेलीकाम, ऑटोमोबाइल से लेकर मेडिकल टूरिज्म सेक्टर में विश्वस्तरीय पहचान बनाने वाली साइबर सिटी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से बिल्कुल सटी हुई है। इसके बाद भी एक-दूसरे इलाके में जाने-आने से पहले दस बार सोचना पड़ता है। इसके पीछे मुख्य कारण दोनों इलाकों को जोड़ने वाली सभी सड़कों पर ट्रैफिक का भारी दबाव है।
पीक ऑवर ही नहीं बल्कि 24 घंटे सड़कों पर वाहनों का दबाव है। दोनों के बीच इतनी जगह भी नहीं बची कि एक भी नई सड़क बनाई जा सके। ऐसे में जानकारों का मानना है कि थ्री लेयर एलिवेटेड हाईवे विकसित करने पर तत्काल प्रभाव से जोर देना होगा। इसमें जितनी देरी की जाएगी, उतनी ही समस्याएं विकराल होती चली जाएंगी। वैसे तो दिल्ली-गुरुग्राम को कई सड़कें आपस में जोड़ती हैं, लेकिन इनमें सबसे मुख्य है दिल्ली-जयपुर हाईवे।
5 लाख वाहन रोजाना क्रॉस करते हैं सिरहौल बॉर्डर
यह दिल्ली-गुरुग्राम के बीच लाइफ लाइन के रूप में है। हाईवे पर दिल्ली में धौलाकुआं से लेकर हरियाणा-राजस्थान सीमा तक ट्रैफिक का दबाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसमें से भी धौलाकुआं से लेकर आइएमटी मानेसर तक ट्रैफिक का दबाव सबसे अधिक है। दबाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन औसतन साढ़े चार से पांच लाख वाहन सिरहौल बॉर्डर को क्रॉस करते हैं।
द्वारका एक्सप्रेस-वे के पूरी तरह चालू होने के बाद केवल 30 प्रतिशत तक ट्रैफिक का दबाव कम होने की उम्मीद है। ऐसे में दिल्ली-जयपुर हाईवे को एलिवेटेड हाईवे के रूप में विकसित करना ही समस्या का स्थायी समाधान है। इसके लिए अलग से जमीन की व्यवस्था भी नहीं करनी होगी।
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