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दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे की रेलिंग तक दुरुस्त नहीं, फिर कहां खर्च हो रहे 40 करोड़ रुपये?

Gurugram News नालों की सफाई न होने से हल्की वर्षा होते ही सर्विस लेन जगह-जगह तालाब बन जाती है। झाड़सा चौक सहित कई जगह एक्सप्रेस-वे के ऊपर भी पानी जमा हो जाता है। नरसिंहपुर के सामने पिछले कई सालों से हल्की वर्षा होते ही एक्सप्रेस-वे पर इतना पानी जमा हो जाता है कि पूरी शहर की व्यवस्था प्रभावित हो जाती है।

By Aditya Raj Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 07 Jul 2024 11:36 AM (IST)
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दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे की रेलिंग क्षतिग्रस्त स्थिति में है। फोटो- जागरण

आदित्य राज, गुरुग्राम। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे के रखरखाव के नाम पर भारी गड़बड़झाले की आशंका है। रखरखाव के ऊपर हर साल 40 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने का दावा किया जा रहा है। यदि इतने पैसे खर्च किए जा रहे हैं फिर रेलिंग तक दुरुस्त क्यों नहीं। रात में एक्सप्रेस-वे की अधिकतर स्ट्रीट लाइटें बंद रहती हैं। सर्विस लेन ही नहीं मुख्य मार्ग पर भी जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं।

एनसीआर में दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे को सबसे व्यस्ततम एक्सप्रेस-वे माना जाता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिरहौल बार्डर से प्रतिदिन औसतन तीन लाख से अधिक वाहन निकलते हैं। इसके बाद भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) एक्सप्रेस-वे के रखरखाव को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा।

एक्सप्रेस-वे के अधिकतर अवैध कट किए गए बंद

जब कोई हादसा होता है या फिर शिकायत मंत्रालय तक पहुंच जाती है तो कुछ समय सक्रियता दिखाई जाती है। ऊपर तक शिकायत पहुंचने पर एक्सप्रेस-वे के अधिकतर अवैध कट गत वर्ष बंद कर दिए, गए लेकिन अन्य विषयों के ऊपर ध्यान नहीं।

सबसे दयनीय हालत रेलिंग एवं नालों की है। न रेलिंग दुरुस्त करने पर ध्यान दिया जा रहा है और न ही नालों की सफाई पर। झाड़सा चौक से शंकर चौक के नजदीक ही दोनों तरफ 30 से अधिक जगह रेलिंग टूटी है। लाेग कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं।

लोग अब सवाल करने लगे हैं कि आखिर रखरखाव के नाम पर करोड़ों रुपये कहां खर्च किए जा रहे हैं। उद्योग विहार इलाके में संचालित औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले राजेश कुमार, जयंत सिंह, धर्मेंद्र राणा एवं अभिनव वर्मा कहते हैं कि रात में एक्सप्रेस-वे की स्ट्रीट लाइटें अक्सर बंद रहती हैं। जगह-जगह रेलिंग टूटने से हर पल हादसा होने की आशंका रहती है। कई बार हादसे हो भी चुके हैं।

किसी दिन बड़ा हादसा होगा फिर रखरखाव के ऊपर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा। एनएचएआइ के अधिकारी का कहना है कि जल्द ही रेलिंग को दुरुस्त कराया जाएगा। सालाना रखरखाव के नाम पर 40 करोड़ रुपये से अधिक खजाने से निकालने के बाद भी रेलिंग तक दुरुस्त क्यों नहीं तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं।

सालाना 200 करोड़ रुपये की टोल वसूली

दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे के खेड़कीदौला टोल प्लाजा से प्रतिदिन औसतन 75 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं। इन वाहनों से सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये की वसूली होती है। हर साल टोल दर में कुछ न कुछ बढ़ोतरी ही की जाती है लेकिन सुविधाएं बढ़ाने के ऊपर ध्यान नहीं।

फास्टैग रीड सिस्टम तक बेहतर नहीं। जब तक वाहन काफी नजदीक नहीं आते हैं तब तक सिस्टम फास्टैग रीड ही नहीं करता है। इस वजह से पीक आवर के दौरान यानी सुबह आठ बजे से 11 बजे तक एवं शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक दोनों तरफ ट्रैफिक का दबाव रहता है।

इसे देखते हुए टोल प्लाजा हटाने की मांग वर्षों से चल रही है। न एनएचएआइ सुविधाएं बढ़ाने के ऊपर ध्यान दे रहा है और न ही टोल प्लाजा हटाने को ही तैयार है।

दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक का दबाव काफी अधिक है। ऐसे में एक्सप्रेस-वे के रखरखाव पर लगातार गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। रेलिंग तक दुरुस्त न होना दर्शाता है कि रखरखाव के ऊपर बेहतर तरीके से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मैं इस बारे में एनएचएआइ के चेयरमैन को पत्र लिखूंगा। लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

- निशांत कुमार यादव, उपायुक्त, गुरुग्राम

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