Gurugram News: ED ने एम3एम की 300 करोड़ रुपये की करीब 88.29 एकड़ जमीन को किया जब्त
ईडी ने यह जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआइआर के आधार पर शुरू की। इस एफआईआर में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तत्कालीन निदेशक निदेशक त्रिलोक चंद गुप्ता आरएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (आरएसआइपीएल) और 14 अन्य कालोनाइजर कंपनियों का नाम शामिल है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से एम3एम बिल्डर तथा सहयोगी कंपनी आरएस इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर शिकंजा कसते हुए गुरुग्राम में करीब 300 करोड़ रुपये की 88.29 एकड़ जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। यह जमीन हरियाणा के गुरुग्राम जिले के हरसरू तहसील के बांस हरिया गांव में स्थित है। ईडी की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत कार्रवाई की गई है।
ईडी ने यह जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआइआर के आधार पर शुरू की। इस एफआईआर में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तत्कालीन निदेशक निदेशक त्रिलोक चंद गुप्ता, आरएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (आरएसआइपीएल) और 14 अन्य कालोनाइजर कंपनियों का नाम शामिल है।
आरोपियों ने लाइसेंस प्राप्त कर धोखाधड़ी से लाभ उठाया
यह मामला विभिन्न भू-मालिकों, आम जनता और हरियाणा राज्य/हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को धोखा देने का है। आरोप है कि आरोपितों ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 और 6 के तहत अधिसूचना जारी करवाई जिससे भू-मालिकों को उनकी भूमि कालोनाइजर कंपनियों को बाजार मूल्य से कम दर पर बेचने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद आरोपियों ने अधिसूचित भूमि पर लाइसेंस प्राप्त कर धोखाधड़ी से लाभ उठाया।
ईडी की जांच में पाया गया कि आरएसआइपीएल के प्रमोटर बसंत बंसल और रूप बंसल ने एफआइआर में नामित व्यक्तियों के साथ मिलकर 10.35 एकड़ भूमि पर व्यावसायिक कालोनी स्थापित करने के लिए अवैध रूप से लाइसेंस प्राप्त किए। लाइसेंस प्राप्त करने के बाद उन्होंने व्यावसायिक कालोनी का विकास नहीं किया और बाद में 726 करोड़ रुपये की भारी कीमत पर लाइसेंस धारी भूमि और कंपनी की संपत्तियों को रेलीगेयर ग्रुप की सहयोगी इकाई लोवे रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया।
एम3एम कानून का पालन करने वाली कंपनी है
इस धोखाधड़ी से 300.15 करोड़ रुपये की अवैध आय उत्पन्न हुई, जिसे आरएसआइपीएल से निकालकर प्रमोटरों और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में भेजा गया। बाद में एम3एम समूह की कंपनियों के संचालन और व्यावसायिक खर्चों में उपयोग किया गया। मामले में आगे की जांच जारी है। इस बारे में एम3एम के प्रवक्ता का कहना है कि एम3एम कानून का पालन करने वाली कंपनी है। यह आरोप स्पष्ट रूप से गलत और निराधार है। जो लेन-देन हुए हैं, उनकी गलत व्याख्या की गई है। बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।