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BJP के लिए हरियाणा की यह हॉट सीट बनी बड़ी चुनौती, 10 से अधिक नेता टिकट के लिए कर रहे मारामारी

हरियाणा चुनाव 2024 से पहले गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के लिए टिकट बंटवारा एक बड़ी चुनौती बन गया है। 10 से अधिक दावेदार टिकट पाने की रेस में हैं और हर हाल में जीत हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं। पार्टी संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेताओं को एकजुट करने में जुटे हैं। भाजपा के लिए इस बार किसी भी क्षेत्र में टिकट देना आसान नहीं है।

By Aditya Raj Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 02 Sep 2024 09:14 PM (IST)
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भाजपा के लिए गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में नेताओं को टिकटों को देना एक बड़ी चुनौती।

आदित्य राज, गुरुग्राम। भाजपा के लिए गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में नेताओं को टिकटों को देना एक बहुत बड़ी चुनौती है। यहां पर 10 से अधिक दावेदार टिकट पाने वालों की रेस में ही नहीं, बल्कि हर हाल में टिकट पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। जहां जिससे सिफारिश की उम्मीद है, वहां पहुंच रहे हैं। जिन्हें लग रहा है कि वे टिकट की दौड़ में पिछड़ जाएंगे वे दबी जुबान से यह कहने लगे हैं कि पार्टी से न सही तो निर्दलीय ही किस्मत आजमाएंगे लेकिन लड़ेंगे जरूर।

ऐसे नेताओं काे संभालने के लिए पार्टी संगठन ने सक्रियता बढ़ा दी है। सूत्र बताते हैं कि कुनबे को संभालने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी नेताओं से कहा जा रहा है कि जिसे टिकट मिलेगा, उसे सभी को मिलकर साथ देना है।

गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़

प्रदेश में गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है। पिछले दो बार से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। इस वजह से दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। इनमें मुख्य रूप से विधायक सुधीर सिंगला, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा, व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक नवीन गोयल, खेल प्रकोष्ठ के सह-संयोजक मुकेश शर्मा पहलवान, एनजीओ प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक व उद्योगपति बोधराज सीकरी शामिल हैं।

बीजेपी के सभी नाम एक से बढ़कर एक

वहीं, इनमें महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऊषा प्रियदर्शी, पूर्व जिलाध्यक्ष गार्गी कक्कड़, जिला उपाध्यक्ष व पूर्व पार्षद सीमा पाहूजा, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा, पूर्व पार्षद कपिल दुआ, पूर्व पार्षद सुभाष सिंगला, विश्व हिंदू परिषद के गुरुग्राम विभाग के अध्यक्ष ईश्वर मित्तल, रामअवतार गर्ग बिट्टू, वरिष्ठ अधिवक्ता हरकेश शर्मा एवं मनीष मित्तल के नाम शामिल हैं। दो-तीन नाम और हैं जो मजबूत दावेदार हैं।

पार्टी के लिए एक पर सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण

वे पर्दे के पीछे से टिकट पाने की दौड़ में शामिल हैं। सभी की क्षेत्र में पहचान है। इस वजह से पार्टी के लिए किसी एक का चयन करना इस बार चुनौती भरा कार्य है। कुछ नेता चुनाव प्रचार को लेकर इतना आगे बढ़ चुके हैं कि वे पीछे नहीं हट सकते। उन्हें लगता है कि यदि चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उनका कई साल से बनाया नेटवर्क ध्वस्त हो जाएगा। जिसे टिकट मिलेगा मजबूरन लोग उसके साथ हो जाएंगे। इस स्थिति ने भाजपा के रणनीतिकारों को परेशान कर रखा है।

निर्दलीय उतरने से पार्टी को होगा नुकसान

रणनीतिकारों को पता है कि टिकट का बंटवारा होते ही एक-दो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सामने आ सकते हैं। इससे पार्टी को भारी नुकसान होगा। इस समय पार्टी के लिए एक-एक सीट महत्वपूर्ण है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इस बार किसी भी क्षेत्र में टिकट देना भाजपा के लिए आसान नहीं है। सभी क्षेत्रों में कई ऐसे दावेदार हैं जो कई साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें कई दावेदारों को चुनाव लड़ने से रोकना संभव नहीं। भाजपा नहीं तो दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। यदि दूसरी पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय भी लड़ सकते हैं।

भाजपा में घमासान से कांग्रेस में खुशी

सूत्र बताते हैं कि भाजपा में टिकट को लेकर चल रहे घमासान से कांग्रेस में खुशी है। कांग्रेस का मानना है कि चुनाव में भाजपाई आपस में टकराएंगे, ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी आसानी से निकल जाएंगे। दावेदारों की लंबी फौज होने की वजह से भाजपा में भीतरघात की भी आशंका दिख रही है। इसका लाभ भी कांग्रेस को होगा।

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में अधिक अंतर से जीत-हार नहीं होती है। ऐसे में भीतरघात होने पर या पार्टी का ही कोई मजबूत नेता यदि निर्दलीय खड़ा हो जाता है तो संंबंधित पार्टी को भारी नुकसान हो जाता है। कभी कांग्रेस में ऐसी स्थिति होती थी, अब भाजपा में है।

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