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Gurugram: चिंटेल्स पैराडिसो सोसाइटी के टावर-जी के फ्लैटों को 15 दिन में खाली करने का आदेश, जानिए पूरा मामला

सेक्टर-109 स्थित चिंटेल्स पैराडिसो सोसाइटी के टावर जी के असुरक्षित घोषित होने के बाद जिला प्रशासन ने टावर जी के निवासियों को 15 दिन के भीतर फ्लैट खाली कराने के आदेश जारी किए है। पहले सोसाइटी के डी ई एफ चावर असुरक्षित थे।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 14 Jun 2023 12:59 AM (IST)
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चिंटेल्स पैराडिसो सोसाइटी के टावर-जी के फ्लैटों को 15 दिन में खाली करने का आदेश, जानिए पूरा मामला
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। सेक्टर-109 स्थित चिंटेल्स पैराडिसो सोसाइटी के टावर जी के असुरक्षित घोषित होने के बाद जिला प्रशासन ने टावर जी के निवासियों को 15 दिन के भीतर फ्लैट खाली कराने के आदेश जारी किए है। बीते सप्ताह आईआईटी दिल्ली द्वारा टावर ए और जी की रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी गई थी, जिसमें टावर जी को रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित कर दिया गया है।

डीसी एवं जिला प्रबंधन प्राधिकरण अध्यक्ष निशांत कुमार यादव ने मंगलवार को ये आदेश जारी किए। वहीं सोसाइटी आरडब्ल्यूए अध्यक्ष राकेश हुड्डा का कहना है कि यह समय बहुत कम है और कम से कम फ्लैट खाली कराने के लिए एक माह का समय दिया जाना चाहिए।

पहले ये टावर थे असुरक्षित

सोसाइटी के टावर डी, ई, एफ के बाद भी अब जी टावर भी असुरक्षित घोषित हो चुका है। टावर डी पूरी तरह से खाली है। बीते सप्ताह डीटीपी एन्फोर्समेंट मनीष यादव ने टावर ई, एफ में रहने वाले 19 परिवारों को आपदा प्रबंधन के तहत फ्लैट खाली करने के लिए अंतिम नोटिस देते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी थी, जिसके बाद अधिकांश लोगों ने फ्लैट खाली कर दिए।

टावरों में केवल चार परिवार

इन दोनों टावरों में केवल चार परिवार ही बचे हैं। जिला प्रशासन की तरफ से बार-बार अपील की जा रही है कि जो टावर रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित कर दिए गए हैं, उनमें रहना खतरे से खाली नहीं है। इसीलिए जी-टावर के फ्लैट मालिकों को भी जिला प्रशासन की तरफ से खाली करने के आदेश दिए गए हैं। टावर जी में कुल 56 फ्लैट हैं और वर्तमान में 35-40 परिवार यहां रह रहे हैं।

सेटलमेंट के लिए दो विकल्प दिए गए

चिंटेल्स प्रबंधन चिंटेल्स इंडिया लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जेएन यादव का कहना है कि हमने सेटलमेंट के लिए दो विकल्प दिए हैं एक फ्लैट वापसी जिसमें 6500 रुपये प्रति वर्ग फुट और भुगतान की गई वास्तविक स्टांप ड्यूटी और सरकार द्वारा नियुक्त मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा निर्धारित इंटीरियर की लागत।

हमने पुनर्निर्माण का दूसरा विकल्प भी दिया है, जिसमें निर्माण सामग्री की लागत बढ़ने के कारण हम एक हजार रुपये प्रति वर्ग फीट चार्ज करेंगे। इस सूरत में हम कोई किराया नहीं देंगे। हमने फ्लैट एविक्शन का कोई नोटिस जारी नहीं किया है।

टावर ए और जी की रिपोर्ट को उपायुक्त जनवरी से लिए हुए बैठे हैं और अब अचानक 15 दिन के भीतर फ्लैट खाली करने का फरमान जारी कर दिया है। ये हमारे साथ जोर-जबरदस्ती है। हम घर खाली करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें पर्याप्त समय मिलना चाहिए। घर में बच्चे, बुजुर्ग हैं। अभी तक इंटीरियर का मूल्यांकन नहीं हुआ है। -तुषार चौधरी, जी टावर

यह बहुत दुखद है कि जिला प्रशासन ने लोगों के रहने के लिए कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना ही फ्लैट खाली करने का आदेश जारी कर दिया। मैंने खुद लिखित में जिला प्रशासन से पिछले एक साल में अनेकों बार वैकल्पिक फ्लैट की व्यवस्था करने की दरखास्त दी है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की। बिना वैकल्पिक फ्लैट की व्यवस्था किए बिना ही इस तरह का आदेश देना सीधे सीधे कानून का उल्लंघन है। -मनोज कुमार, जी टावर

दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के साथ-साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 34 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए टावर जी में रहने वाले निवासियों को अगले 15 दिनों के भीतर परिसर खाली करने के आदेश दिए हैं। इस कार्य के लिए डीटीपीई मनीष यादव को नोडल अधिकारी एवं ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है। इन आदेशों का उल्लंघन करने वाले के विरुद्ध आईपीसी की धारा 188 व आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। -निशांत कुमार यादव, डीसी व अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

निवासियों ने अतिरिक्त उपायुक्त को लिखा ई-मेल

  • समझौते की समय-सीमा के भीतर राशि का भुगतान न करने की सूरत में चिंटेल्स इंडिया के लिए डिफाल्टर का क्लाज जोड़ा जाना चाहिए। हमारी राशि के लिए सुरक्षा या पेनल्टी क्लाज होने की जरूरत है।
  • आंतरिक लागत और रजिस्ट्री शुल्क सहित समझौते में पूर्ण निपटान राशि का जिक्र होना चाहिए।
  • दस प्रतिशत भुगतान के बाद ही फ्लैट की चाबी सौंपने की शर्त हटाई जानी चाहिए। चिंटेल्स इंडिया लिमिटेड फ्लैट मालिकों से 10 प्रतिशत राशि के भुगतान पर ही सुप्रीम कोर्ट याचिका को वापिस लेने का हलफनामा मांग रही है। निवासियों का तर्क है कि 100 प्रतिशत राशि के भुगतान के बाद कंपनी के निदेशकों, कर्मचारियों के विरुद्ध सभी लंबित कानूनी केसो को वापस ले लिया जाएगा।
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