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Gurugram: ग्रामीण क्षेत्र की अंजलि यादव बनीं सेना में लेफ्टिनेंट, दहेज लोभियों को दिया बड़ा संदेश

अंजलि यादव की सफलता से परिवार और गांव में खुशी का माहौल है। अंजलि यादव बताती है कि पिता से तो प्रेरणा मिली ही लेकिन मां नरवंती देवी और चाचा मुकेश यादव का पढ़ाई के लिए हमेशा सहयोग मिला। चाचा मुकेश यादव भी एमए बीएड हैं। शिक्षित होने के कारण मुकेश यादव ने भी अंजलि यादव को हमेशा पढ़ाई का महत्व समझाया।

By Sanjay GulatiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sun, 15 Oct 2023 10:12 AM (IST)
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Gurugram: ग्रामीण क्षेत्र की अंजलि यादव बनीं सेना में लेफ्टिनेंट
महावीर यादव, बादशाहपुर। ग्रामीण क्षेत्र की अंजलि यादव ने सेना में लेफ्टिनेंट बनकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है। पिता की प्रेरणा से अंजलि में सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने की भावना जागृत हुई।

अंजलि का कहना है कि महिला सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेटी को आगे बढ़ाने और उच्च शिक्षा देने की जरूरत है। बेटी पढ़ेंगी तो ही समाज का विकास होगा। अंजलि का दहेज लोभियों को भी बड़ा स्पष्ट संदेश है।

उनका कहना है कि बेटे वाले दहेज मांगते हैं। पर इसके लिए बेटी वाले भी दोषी हैं। दहेज में देने वाली राशि को अगर अपनी बेटी की पढ़ाई पर खर्च किया जाए तो दहेज देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पटौदी खंड के खेतियावास गांव की रहने वाली अंजलि यादव का मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज में लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हुआ है।

ऑल इंडिया में हासिल की आठवीं रैंक 

अंजलि ने ऑल इंडिया में आठवीं रैंक हासिल की है। लेफ्टिनेंट बनने से अंजलि यादव के परिवार और पूरे गांव में खुशी का माहौल है। अंजलि के चाचा मुकेश यादव का कहना है कि उनकी लाडो शुरू से ही सेना में जाने की इच्छुक रही।

शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रही अंजलि

अंजलि यादव ने 10वीं और 12वीं कक्षा रेवाड़ी के सूरज स्कूल से प्राप्त की। शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहने के कारण अंजलि यादव ने 10वीं और 12वीं की कक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए। अंजलि के पिता राजीव यादव सेना में सूबेदार के पद पर जम्मू कश्मीर में तैनात है।

पिता राजीव यादव की सेवा में होने के कारण यही सोच है कि उनके बेटा बेटी भी सेवा में भर्ती होकर देश सेवा करें। पिता राजीव यादव के सेना में होने के कारण चाचा मुकेश यादव पर एक घर परिवार की जिम्मेदारी है।

चाचा मुकेश यादव भी हैं एमए बीएड

अंजलि यादव बताती है कि पिता से तो प्रेरणा मिली ही, लेकिन मां नरवंती देवी और चाचा मुकेश यादव का पढ़ाई के लिए हमेशा सहयोग मिला। चाचा मुकेश यादव भी एमए बीएड हैं। शिक्षित होने के कारण मुकेश यादव ने भी अंजलि यादव को हमेशा पढ़ाई का महत्व समझाया। अंजलि यादव के दादा रमेश चंद खेतियावास गांव के काफी दिनों तक सरपंच भी रहे हैं।

अंजलि यादव का कहना है कि शिक्षा किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा गहना है। उनका लोगों को भी यही संदेश है कि बेटियों को भी बेटों के बराबर मानकर उच्च शिक्षा दें। छोटी उम्र में बेटियों की शादी ना करें। पढ़ी-लिखी बेटी दो घरों को संवारती है। बेटी पढ़ेगी और आगे बढ़ेगी तो समाज का विकास होगा।

आज हम सब महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं। बेटी के पढ़ने से ही सही मायने में महिला सशक्तिकरण हो सकता है। बेटियों के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी अब अपनी रूढ़िवादी मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

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