Move to Jagran APP

Gurugram Prince Murder Case: प्रिंस हत्याकांड मामले में आरोपित नाबालिग माना जाएगा बालिग, अब क्या होगा आगे?

Gurugram Prince Murder Case प्रिंस हत्याकांड मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपित को बालिग मान लिया है। अब सेशन कोर्ट में ट्रायल चलेगा। अगली सुनवाई 31 अगस्त को सेशन कोर्ट में होगी। प्रिसं की तीन साले पहले गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 17 Oct 2022 07:58 PM (IST)
Hero Image
प्रिंस हत्याकांड मामले में आरोपित नाबालिग माना जाएगा बालिग
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपित भोलू को बालिग करार दे दे दिया। अब सेशन कोर्ट में ट्रायल चलेगा। अगली सुनवाई सेशन कोर्ट में ही 31 अक्टूबर को होगी। दोषी ठहराए जाने पर आरोपित को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। यदि बोर्ड नाबालिग मान लेता, वैसी स्थिति में मामला फैसले के साथ ही खत्म हो जाता क्योंकि नाबालिग को तीन साल से अधिक सजा देने का प्रविधान नहीं है।

आरोपित तीन साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है। उसकी हिरासत को ही सजा मान लिया जाता। बोर्ड के फैसले के बाद अब सभी पक्ष की नजर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आरोपित की जमानत अर्जी पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से आरोपित की जमानत अर्जी कई बार खारिज हो चुकी है। देश का यह पहला मामला है जिसमें नाबालिग आरोपित को बालिग मानकर ट्रायल चलेगा।

पहले स्कूल बस के सहचालक पर था शक

सोहना रोड स्थित एक नामी स्कूल के बाथरूम में आठ सितंबर 2017 को सात वर्षीय प्रिंस (अदालत द्वारा दिया गया नाम) की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। मामले में जांच करते हुए हत्या के कुछ ही घंटे बाद गुरुग्राम पुलिस ने स्कूल के एक बस सहायक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। प्रिंस के पिता को शुरू से ही विश्वास नहीं था कि बस सहायक उनके बेटे की हत्या कर सकता है।

इस वजह से वह मामले की सीबीआइ जांच पर अड़ गए थे। पिता की मांग और मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 16 सितंबर को सीबीआइ जांच कराने का फैसला लिया। 22 सितंबर को गुरुग्राम पुलिस से सीबीआइ को मामले को ट्रांसफर किया गया।

ये भी पढ़ें- Gurugram: भारतीय और विदेश के छात्रों में खूनी संघर्ष के बाद स्थिति तनावपूर्ण, सात दिन के लिए यूनिवर्सिटी बंद

पुलिस ने जिसे बनाया गवाह, वही निकला आरोपित

सीबीआइ जांच शुरू होते ही पूरा मामला ही उलट गया। जिस 11वीं कक्षा के छात्र भोलू (अदालत द्वारा दिया गया नाम) को गुरुग्राम पुलिस ने गवाह बनाया था, उसे ही सीबीआइ ने आरोपित मानते हुए सात नवंबर की रात गिरफ्तार कर लिया। तभी से आरोपित न्यायिक हिरासत में है।

फिर से मूल्यांकन के लिए दिया गया निर्देश

मामले की सुनवाई करते हुए बोर्ड ने 20 दिसंबर 2017 को आरोपित को बालिग मानकर मामला सेशन कोर्ट में भेज दिया था। इसके विरुद्ध बचाव पक्ष ने सेशन कोर्ट में अर्जी डाली लेकिन सेशन कोर्ट ने उसे बालिग माना। फिर बचाव पक्ष पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा। 22 अक्टूबर 2018 को फैसला सुनाते हुए फिर से मूल्याकंन करने का निर्देश बोर्ड को दिया गया।

मूल्यांकन के बाद सीबीआइ ने पेश की दलीलें

इस पर पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाल दी। 13 जुलाई 2022 को सुप्री़म कोर्ट ने भी बोर्ड को फिर से मूल्यांकन करने के लिए कहा। इसके बाद बोर्ड ने पीजीआइ रोहतक की टीम से मूल्यांकन कराया तो टीम ने कहा कि आरोपित की मानसिक स्थिति कभी भी गड़बड़ नहीं थी। फिर सीबीआइ, पीड़ित पक्ष और बचाव पक्ष ने अपनी दलीलें पेश कीं।

सीबीआइ के अधिवक्ता अमित जिंदल और पीड़़ित पक्ष के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने आरोपित को बालिग मानते हुए मामले को सेशन कोर्ट में भेजने की बात की जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता विशाल गुप्ता ने नाबालिग माना। तीनों पक्ष को सुनने के बाद सोमवार 4.30 बजे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के न्यायाधीश जतिन गुजराल, बोर्ड मेंबर निशा सैनी और छवि चौधरी ने फैसला सुनाया।

ये भी पढ़ें- Gurugram: इफको चौक के पास सूटकेस में मिली युवती की लाश, कहीं और हत्या के बाद यहां फेंका गया शव

पिता ने कहा संघर्ष बेकार नहीं जाएगा

पीड़ित पक्ष जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले से काफी खुश है। प्रिंस के पिता ने कहा चार साल के संघर्ष के बाद जब मामला दोबारा से जेजेबी के पास पुनर्विचार के लिए आदेश आए थे। तब कुछ मायूसी सी थी। पर आज जिस तरह का फैसला दिया है। उस फैसले से अब दोबारा न्याय मिलने की आस जगी है। अब लग रहा है कि संघर्ष बेकार नहीं जाएगा।

कई दिन तक हुई सुनवाई

एक अक्टूबर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पूरा दिन आरोपित छात्र की व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई की। बोर्ड ने भी उसके मानसिक स्तर का आकलन किया। तीन अक्टूबर को बोर्ड ने सीबीआइ को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। चार अक्टूबर को पीड़ित का पक्ष सुना गया। 10 अक्टूबर को आरोपित का पक्ष को सुनने के बाद बोर्ड ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 12 अक्टूबर के बाद 14 और फिर 17 अक्टूबर की तारीख तय की गई।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।