Gurugram Prince Murder Case: पुलिस की भूमिका पर भी उठे थे सवाल, स्कूल कर्मचारी को बनाया था आरोपित
Gurugram Prince Murder Case दिल्ली से सटे गुरुग्राम के प्रिंस हत्याकांड मामले में आरोपित को बालिग मानकर केस चलाया जाएगा। इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे थे वहीं स्कूल कर्मचारी को आरोपित बनाया था।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 18 Oct 2022 08:28 AM (IST)
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। स्कूल के बाथरूम में मासूम सात वर्षीय छात्र की गला रेत कर हत्या किए जाने से हर वर्ग आहत था। जैसे-जैसे लोगों को घटना की जानकारी मिली लोग एकजुट होने लगे। एकजुटता दिखाकर न्याय की मांग में सभी हाथ एक साथ उठ खड़े हुए। लोगों का बढ़ता आक्रोश देख पुलिस ने आनन-फानन में स्कूल के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अशोक को मासूम की हत्या का आरोपित बना दिया।
आक्रोशित जनता ने की थी मामले की CBI जांच की मांग
पुलिस ने मामले को शांत करने के लिए और वाहवाही लूटने को स्कूल कर्मचारी को आरोपित तो बना दिया। लेकिन पुलिस की थ्योरी उस समय भी लोगों को हजम नहीं हो रही थी। आक्रोशित जनता मामले की लगातार सीबीआइ जांच की मांग कर रही थी।
सीबीआई ने जांच की तो हत्यारोपित स्कूल के ही 11वीं छात्र को बना गिरफ्तार किया गया। सीबीआइ के स्कूल कर्मचारी को क्लीन चिट देने के बाद अदालत ने भी बरी कर दिया। पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने के साथ ही दो भाजपा नेताओं की भी इस मामले में भूमिका बताई जा रही थी।
आठ सितंबर 2017 का है मामला
आठ सितंबर 2017 को एक पिता अपने बेटे और बेटी को स्कूल के गेट पर छोड़ कर गए। वे 10 मिनट बाद वापस अपने घर पहुंचे ही थे कि सूचना मिली कि उनके बेटे को चोट लगी है। इस दौरान स्कूल प्रबंधन ने छात्र को बादशाहपुर के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया। वहां से उनको एक बड़े अस्पताल में ले जाया गया। पिता अस्पताल पहुंचे तो मासूम दम तोड़ चुका था। मासूम की हत्या का समाचार मिलते ही आसपास की कालोनियों के लोग काफी संख्या में स्कूल के सामने एकत्रित होने लगे।
पिता ही रोजाना छोड़ते थे स्कूल
लोगों की भीड़ बढ़ती देख और हंगामा रोकने के लिए पुलिस ने आठ सितंबर को ही देर शाम इस मामले में स्कूल बस पर बतौर सहायक चतुर्थ कर्मचारी को आरोपित बना गिरफ्तार कर लिया। मृतक मासूम स्कूल बस से नहीं आते थे। बल्कि उनके पिता ही रोजाना स्कूल छोड़कर जाते थे। ऐसी स्थिति में स्कूल बस के सहायक की इस मामले में संलिप्तता पर सभी को संदेह हुआ। लोगों के लगातार सीबीआइ मांग के कारण सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने की संस्तुति दी।सीबीआइ ने जांच शुरू की तो उस जांच में भी स्थानीय पुलिस का सहयोग नकारात्मक रहा। सीबीआइ के अधिकारियों ने पुलिस के नकारात्मक सहयोग को लेकर भी कई बार सवाल उठाए। सीबीआइ ने नवंबर में इस मामले में स्कूल के ही 11वीं कक्षा के छात्र को आरोपित बना गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की इस मामले में बेहद किरकिरी हुई। इस मामले में एसीपी, थाना प्रबंधक और जांच अधिकारी समेत पांच पुलिसकर्मियों पर केस चलाने का मामला भी अभी अदालत में विचाराधीन है।
टाइमलाइन
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- 16 सितंबर 2017 को जांच सीबीआइ के हवाले
- 22 सितंबर को पुलिस ने सीबीआइ को केस की फाइल सौंपी
- सात नवंबर 2017 को सीबीआइ ने स्कूल के छात्र को ही आरोपित बनाया
- 20 दिसंबर 2017 को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपित छात्र को बालिग की तरह केस चलाने का आदेश दिया
- 22 अक्टूबर 2018 को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को उच्च न्यायालय ने फैसले की प्रक्रिया दोहराने और फिर से फैसला लेने के आदेश दिए
- 23 जुलाई 2019 को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के लिए मामला लिस्टेड हुआ
- दो सितंबर 2020 को उच्चतम न्यायालय ने भी आरोपित छात्र की जमानत याचिका को खारिज किया
- 13 जुलाई 2022 को उच्चतम न्यायालय ने जेजेबी के इस मामले में पुनः मूल्यांकन करने के आदेश दिए