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हरियाणा की चार सीटों पर अपनों ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन, बगावती तेवर से बढ़ी सियासी हलचल

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। कई नेताओं ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर पार्टी आलाकमान को चुनौती दी है। पटौदी और सोहना सीट से तीन कांग्रेस नेता निर्दलीय मैदान में आ गए हैं। गुड़गांव और बादशाहपुर सीट पर भी सबकुछ ठीक नहीं है। इन दोनों सीटों पर भी अंदरखाते द्वंद्व चल रहा है।

By Vinay Trivedi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 15 Sep 2024 04:05 PM (IST)
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बगावत कर चुनाव में निर्दलीय उतरे नेता बढ़ाएंगे कांग्रेस की मुसीबत। फोटो- जागरण

विनय त्रिवेदी, गुरुग्राम। भाजपा के बाद कांग्रेस में भी बगावत कर कई नेताओं ने निर्दलीय नामांकन कर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है। अगर पार्टी हाईकमान की ओर से इन्हें मनाकर नामांकन वापस नहीं कराया जा सका तो ये नेता कांग्रेस प्रत्याशियों की मुसीबत बढ़ा सकते हैं। पटौदी और सोहना सीट से तीन कांग्रेस नेता निर्दलीय मैदान में आए हैं।

कांग्रेस नेताओं ने दिखाए बगावती तेवर

वहीं गुड़गांव और बादशाहपुर सीट पर भी सबकुछ ठीक नहीं है। इन दोनों सीटों पर भी अंदरखाते द्वंद्व चल रहा है। कांग्रेस पार्टी ने बादशाहपुर और गुड़गांव सीट पर आठ सितंबर को ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी। भाजपा में बगावत का दौर शुरू होने पर कांग्रेस ने पटौदी और सोहना सीट से प्रत्याशियों की घोषणा को अंतिम दिन तक होल्ड पर रखा। 12 सितंबर की रात पटौदी से पर्ल चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया।

पर्ल पूर्व विधायक स्व. भूपेंद्र चौधरी की बेटी हैं। वर्ष 2005 में कांग्रेस टिकट पर भूपेंद्र चौधरी ने इस सीट से जीते थे। उसके बाद 2009, 2014 तथा 2019 में कांग्रेस यहां से जीत नहीं पाई। सुधीर चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर 2014 और 2019 का चुनाव लड़ा था। 2014 में ये तीसरे और 2019 में चौथे स्थान पर रहे।

दो बार हारे नेताओं को नहीं मिलेगा टिकट

पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हें 18984 वोट मिले थे। इस बार भी इन्होंने टिकट की दावेदारी कर रखी थी, लेकिन कांग्रेस ने दो बार हारे और जमानत जब्त करा चुके नेताओं को टिकट नहीं देने की घोषणा की थी। इसलिए टिकट कटने पर ये पार्टी से बगावत पर उतर आए और निर्दलीय नामांकन भर दिया। दूसरी ओर सोहना सीट से भी दो वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से बगावत की।

इस सीट से रोहतास खटाना को कांग्रेस ने नामांकन के अंतिम दिन पार्टी में शामिल कराकर टिकट दिया था। यहां से 54 नेता दावेदारी कर रहे थे। टिकट की दौड़ में शामिल रहे डॉ. शमसुद्दीन और अरिदमन सिंह बिल्लू यहां से निर्दलीय मैदान में हैं। डॉ. शमसुद्दीन ने कांग्रेस के टिकट पर 2019 में चुनाव लड़ा था। 10735 वोट पाकर ये चौथे स्थान पर रहे थे।

कांग्रेस के वोट बैंक में लग सकती है सेंध

अरिदमन सिंह ने क्षेत्रीय पार्टियों से 1991 और 1996 में चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। ये दो महीने पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। राजपूत समाज से आने वाले अरिदमन सिंह की समाज पर अच्छी पकड़ है। फिलहाल निर्दलीय उतरे सभी नेताओं को हाईकमान की ओर से मनाने का प्रयास किया जा रहा है। निर्दलीय उतरे नेताओं के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लग सकती है।

वाट्सएप ग्रुपों में भड़ास निकाल रहे नेता

गुड़गांव और बादशाहपुर सीट पर भी सबकुछ ठीक नहीं है। इसके अलावा पटौदी और सोहना सीट से बगावत खुलकर सामने आई है। गुड़गांव और बादशाहपुर सीट से नेताओं में अंदरखाते द्वंद्व चल रहा है। कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन नेताओं के समर्थक वाट्सएप ग्रुपों में भड़ास निकाल रहे हैं।

गुड़गांव सीट से 32 नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी कर रखी थी। यहां से पार्टी ने जातीय समीकरण को साधकर पिछले महीने कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले मोहित ग्रोवर को मैदान में उतारा है। बादशाहपुर से वर्धन यादव पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से भी 17 नेताओं ने दावेदारी की थी। दोनों ही सीटों पर पार्टी के जिले के कई वरिष्ठ नेता प्रत्याशियों के साथ मंच साझा नहीं कर रहे हैं।

सुधीर चौधरी ने नामांकन वापस लेने के दिए संकेत

निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने वाले कांग्रेस नेता सुधीर चौधरी ने शनिवार को नामांकन वापस लेने के संकेत दिए हैं। इससे पहले शनिवार दोपहर उन्होंने नई अनाजमंडी जटौली में समर्थकों के साथ पंचायत की।

पंचायत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने सुधीर चौधरी को फोन कर मनाने की कोशिश की। इस पर पंचायत में निर्णय लिया गया कि एक कमेटी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान से मुलाकात करेगी और रविवार तक निर्णय ले सकती है।

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