Gurugram: चिंटेल्स पैराडिसो सोसायटी के दो और टावर खाली कराने के निर्देश, IIT की टीम ने बताया रहने लायक नहीं
बिल्डिंग के निर्माण में निम्न गुणवत्ता के कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया। कमेटी ने पाया कि बिल्डिंग में स्टील वर्क तथा रीइन्फोर्समेंट में पूरी तरह से जंग लग गया है जिससे स्ट्रक्चर की मजबूती कम हो गई है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 15 Feb 2023 08:48 AM (IST)
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। जिला प्रशासन ने चिंटेल्स पैराडिसो सोसायटी के टावर डी के बाद अब ई, एफ को भी रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया। मंगलवार को अतिरिक्त उपायुक्त गुरुग्राम (एडीसी) विश्राम कुमार मीणा ने आइआइटी दिल्ली की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए जानकारी दी। इस दौरान उनके साथ डीटीपी एन्फोर्समेंट भी मौजूद रहे।
एडीसी ने रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि आइआइटी की टीम ने टावर के निर्माण में ढांचागत कमियां पाई हैं, जिसकी मरम्मत तकनीकी और आर्थिक आधार पर संभव नही है। बिल्डिंग के निर्माण में निम्न गुणवत्ता के कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया। कमेटी ने पाया कि बिल्डिंग में स्टील वर्क तथा रीइन्फोर्समेंट में पूरी तरह से जंग लग गया है जिससे स्ट्रक्चर की मजबूती कम हो गई है।
दोनों ही टावर रहने की दृष्टि से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। इससे पहले जिला प्रशासन डी-टावर को गिराने के आदेश जारी कर चुका है लेकिन डी-टावर के फ्लैटों की आकलन रिपोर्ट फाइनल न होने से आवंटियों के क्लेम सेटल नहीं हुए जिसके चलते अभी तक टावर गिराने की दिशा में काम शुरू नहीं हुआ है। करीब एक माह पहले आइआइटी दिल्ली की तरफ से टावर, ई, एफ की स्ट्रक्चरल आडिट रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी गई थी लेकिन प्रशासन की तरफ से इसे सार्वजनिक करने में लगातार देरी की जा रही थी।
10 फरवरी को हादसे का एक साल पूरा होने पर लोगों ने धरना प्रदर्शन कर उपायुक्त से मुलाकात की थी और मांग की थी कि टावर, ई, एफ की रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक किया जाए।
पानी और रेत की घटिया गुणवत्ता, कंक्रीट में जंग लगने के मुख्य कारण
आइआइटी दिल्ली की रिपोर्ट में बताया गया है कि पानी में हाई क्लोराइड व रेत की घटिया गुणवत्ता कंक्रीट में जंग लगने के दो बड़े मुख्य कारण साबित हुए हैं। बिल्डर प्रबंधन की मानें तो निर्माण कार्य का जिम्मा भयाना बिल्डर्स को दिया गया था, जिसमें पानी और भवन सामग्री की जिम्मेदारी ठेकेदार की थी।नवंबर में ही दोनों टावरों को खाली कराने की सिफारिश की थी
आइआइटी दिल्ली की तरफ से नवंबर में डी-टावर की फाइनल आडिट रिपोर्ट के देने के समय ही टावर ई, एफ को भी खाली कराने की सिफारिश की थी। उपायुक्त गुरुग्राम के निर्देश पर बिल्डर प्रबंधन को टावरों को खाली करा लोगों को वैकल्पिक फ्लैट देने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन निवासियों ने फाइनल आडिट रिपोर्ट आने तक फ्लैटों को खाली करने से मना कर दिया था।
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