Gurugram News: कार्डियक अरेस्ट से मौत होने पर बीमा कंपनी ने रोक दिया था क्लेम, अब ब्याज के साथ देने होंगे 36.53 लाख
काेरोना की चपेट में आने के दौरान कार्डियक अरेस्ट से युवक की मौत होने पर बीमा पालिसी द्वारा 36.53 लाख रुपये को क्लेम रोकने पर उपभोक्ता आयोग ने ब्याज समेत वापस करने का आदेश दिया है। बीमा कंपनी की तरफ से क्लेम रोकते हुए कहा गया था कि बीमा धारक ने जो बीमा पालिसी ली थी कि उसके तहत वह हार्ट अटैक से मौत होने पर क्लेम दे सकते थे।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। काेरोना की चपेट में आने के दौरान कार्डियक अरेस्ट से युवक की मौत होने पर बीमा पालिसी द्वारा 36.53 लाख रुपये को क्लेम रोकने पर उपभोक्ता आयोग ने ब्याज समेत वापस करने का आदेश दिया है।
बीमा कंपनी की तरफ से क्लेम रोकते हुए कहा गया था कि बीमा धारक ने जो बीमा पालिसी ली थी कि उसके तहत वह हार्ट अटैक से मौत होने पर क्लेम दे सकते थे, लेकिन कार्डियक अरेस्ट से मौत होने पर नहीं दे सकते थे।
आयोग ने बीमा पालिसी की कंपनी की दलील को रद करते हुए क्लेम की राशि वापस देने का आदेश दिया है। यह आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष संजीव जिंदल ने दिया है। शिकायतकर्ता ने एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस पालिसी ली हुई थी।
बीमा कंपनी ने दिया था ये तर्क
सेक्टर-53 निवासी अर्चिता श्रीवास्तव ने आयोग में दायर की याचिका में बताया कि उनके पति निखिल सक्सेना अप्रैल 2021 में बीमार हो गए थे। इसके बाद उन्होंने निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। 30 अप्रैल को कोरोना के चलते उनकी मौत हो गई थी।
अस्पताल की तरफ से उनकी मौत हो कारण कार्डियक अरेस्ट बताया था। इसके बाद उन्होंने बीमा कंपनी में क्लेम के लिए आवेदन किया। उनका आवेदन खारिज करते हुए कंपनी ने कहा कि यह बीमारी उनकी द्वारा ली गई बीमा पालिसी के तहत नहीं आती है। इस पालिसी के तहत कंपनी हार्ट अटैक से मृत्यु होने पर क्लेम देती है। कार्डियक अरेस्ट से मौत पर नहीं देती है।
मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी से आयोग ने पूछा की क्या पालिसी देते समय बीमा धारक को यह जानकारी दी गई थी। इस पर कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह नौ प्रतिशत की दर से 36.53 लाख रुपये दें। इसके साथ ही शिकायतकर्ता को होने वाली परेशानी पर उन्हें पांच लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और कानूनी प्रक्रिया पर खर्च होने पर 55 हजार रुपये देने का आदेश दिया है।
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