Kargil Vijay Diwas 2024: खेलने की उम्र में सर्वोच्च बलिदान, दुश्मन सेना के चार जवानों को सुलाया था मौत की नींद
देश कारगिल युद्ध (Kargil Vijay Diwas) विजय की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह युद्ध हजारों फुट ऊंची बर्फीली पहाड़ियों पर मई-जून 1999 में लड़ा गया। गुरुग्राम के दौलताबाद कुणी गांव के बिजेंद्र कुमार की देश के प्रति अलग ही जज्बा था। खुद के दम पर पाकिस्तानी सेना के चार जवानों को जहन्नुम में पहुंचाया था। पढ़िए इनकी वीरता की कहानी।
आदित्य राज, गुरुग्राम। (Kargil Vijay Diwas 2024 Hindi News) दौलताबाद कुणी गांव के बिजेंद्र कुमार के अंदर देशसेवा का ऐसा जज्बा था कि स्वजन उसकी शादी को टालकर सेना में भर्ती कराने के लिए मजबूर हो गए।
उसने अपने खेलने-कूदने की उम्र को सेना के लिए समर्पित कर कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। इससे पहले अपनी बटालियन के साथ मिलकर उन्होंने चोटी नंबर 5685 को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराने के लिए धावा बोल दिया।
चोटी पर कब्जा करने के बाद फहराया राष्ट्रध्वज
मात्र 17 वर्ष और नौ महीने की उम्र में अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अग्रिम पंक्ति में रहकर अकेले ही दुश्मन सेना के चार जवानों को मौत के घाट उतार दिया। चोटी पर कब्जा करने के बाद राष्ट्रध्वज फहराया। इसी दौरान एक पहाड़ी की आड़ में घात लगाए बैठे दुश्मन सेना के जवानों से बिरेंद्र को निशाना बनाते हुए गोलीबारी कर दी।एक गोली उनके सीने में लगी और वह हमेशा के लिए भारत माता की कोख में सो गए। बिजेंद्र कुमार की बचपन से ही सेना में भर्ती होकर दुश्मनों को धूल चटाने की इच्छा थी। इसके लिए उन्होंने दिन-रात शारीरिक मेहनत की। उनकी इच्छा पूरी हुई और वह सेना में भर्ती हो गए। प्रशिक्षण पर जाने से पहले स्वजन से कहा था कि जैसे ही मौका मिलेगा, वह दुश्मनों को निबटा देगा।
'पहले देश के लिए कुछ कर लूं, फिर शादी कर देना'
ट्रेनिंग पूरी कर 28 दिन के लिए घर आए। स्वजन ने शादी के लिए कहा तो जवाब दिया कि पहले देश के लिए कुछ कर लूं, फिर शादी कर देना। इसके बाद भी स्वजन ने शादी की तैयारी शुरू कर दी थी। इसी बीच कारगिल युद्ध हो गया। उन्हें भी कारगिल जाने का आदेश मिला। 13 कुमांउ रेजीमेंट में शामिल हुए।दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल ऑप्रेशन मेघदूत और बाद में आप्रेशन विजय में भाग लिया। 30 अगस्त 1999 को वह युद्ध में मात्र 17 साल 9 महीने की उम्र में बलिदान हो गए। वह कारगिल बलिदानियों में सबसे कम उम्र के थे। बलिदानी जवान बिजेंद्र कुमार के बड़े भाई राजेंद्र कुमार का गला रुंध गया।
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