हम एक बच्चा तो... लेस्बियन कपल ने बताई फ्यूचर प्लानिंग, गुरुग्राम में अंजू और कविता ने की थी शादी
चार साल तक दोनों प्रेम संबंधों में रहीं। फिर फैसला लिया कि दोनों शादी करेंगी। गुरुग्राम में समलैंगिक जोड़े ने पूरे रीति रिवाज के साथ शादी की रस्में निभाईं। दोनों ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाकर मांग में सिंदूर भरा और सात फेरे भी लिए। गुरुग्राम की रहने वाली अंजू शर्मा पेशे से टीवी कलाकार हैं। उन्होंने मूलरूप से फतेहाबाद की रहने वालीं मेकअप आर्टिस्ट कविता से शादी की।
एएनआई, गुरुग्राम। गुरुग्राम में हाल ही में एक पारंपरिक समारोह में समलैंगिक जोड़ा अंजू और कविता ने शादी की है। शादी से दोनों काफी खुश नजर आ रही हैं। कविता ने अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि अंजू बहुत देखभाल करने वाली है। साथ ही उन्होंने समाज की अस्वीकृति और उनके प्रति नफरत वाले रवैये पर भी उन्होंने असहमति जताई है।
कविता ने कहा कि हमें पता था कि वीडियो हमारी शादी के सोशल मीडिया पर वायरल होंगे, लेकिन जब लोग मेरे परिवार को इसमें घसीटते हैं तो बुरा लगता है। मेरी पार्टनर बहुत देखभाल करने वाली है। मुझे अपने फैसले पर गर्व है और मैं उससे बहुत खुश हूं।
शादी को दो महीने हुए
कविता ने कहा कि हमारी शादी को दो महीने हो चुके हैं, लेकिन हम भविष्य में एक अनाथ बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे परिवार इतने समझदार हैं।परिवार को परेशान कर रहे लोग
कविता ने कहा कि लोग मेरे भाई, पिता और भाई के डेढ़ साल के बेटे को परेशान करते रहते हैं, लेकिन हम उनकी परवाह क्यों करें? मेरी मां अभी भी हमारी शादी से खुश नहीं हैं, लेकिन यह सिर्फ समय की बात है। वह हमारे फैसले से खुश होंगी। एक मां का दिल ऐसा ही होता है।
पार्टनर कर रही देखभाल
उन्होंने बताया कि उनकी पार्टनर उनकी उचित देखभाल कर रही है और उन्हें सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि वह एक टीवी सीरियल कलाकार हैं। मैं एक मेकअप आर्टिस्ट थी और दस साल तक हरियाणा में काम किया। लेकिन अब मैं काम नहीं करती, क्योंकि उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वह कमाएंगी और मुझे काम करने की कोई जरूरत नहीं है।क्या हैं नियम
2023 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मुद्दे पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक जोड़ों के विवाह करने या नागरिक संघ बनाने के अधिकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया और निर्णय संसद पर छोड़ दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से कहा कि वह विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकता या गैर-विषमलैंगिक जोड़ों को शामिल करने के लिए कानून की पुनर्व्याख्या नहीं कर सकता।
शीर्ष न्यायालय ने अप्रैल और मई में 10 दिनों तक दलीलें सुनीं। ये दलीलें समानता और गोपनीयता के अधिकार से लेकर विवाह द्वारा दिए गए कानूनी विशेषाधिकारों और अधिकारों और बच्चों पर समलैंगिक विवाह के प्रभाव तक थीं। याचिकाकर्ताओं का विरोध करने वालों में केंद्र सरकार, राष्ट्रीय बाल अधिकार निकाय एनसीपीसीआर और इस्लामी विद्वानों का संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद शामिल थे।
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