Mother's Day 2024: प्रेम, त्याग और ममता की मूरत है ‘मां’; हर मुसीबत में बन जाती है बच्चों का रक्षाकवच
जब बात बच्चों के भविष्य की आती है तो न तो वह परिवार और समाज की चिंता करती है और न ही अपने स्वास्थ्य की। आज पूनम अपने साथ-साथ 120 महिलाओं को स्वावलंबी बना चुकी हैं। पूनम ने बताया कि वर्ष 2016 में उनके पति की नौकरी चली गई। उनके बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे। फीस नहीं देने के कारण बच्चों को स्कूल से निकालने का डर था।
सोनिया, गुरुग्राम। ‘मां’ इस शब्द में ही पूरा संसार निहित है। जब बच्चों पर कोई मुसीबत आती है तो मां उनका रक्षाकवच बन जाती है। हर मुसीबत अपने ऊपर लेती है और बच्चों को कुछ नहीं होने देती है।
कई बार परिस्थितियां विपरीत होती हैं तो मां ही होती है जो बच्चाें को अपने सीने से लगाकर उनके हर दुख को दूर करने के लिए हर किसी से लड़ जाती है। यह कहना है कि गांव ताजनगर की रहने वाली पूनम शर्मा का। उनका कहना है कि मां में ही भगवान ने वो शक्ति दी हुई है जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती हैं।
जब बात बच्चों के भविष्य की आती है तो न तो वह परिवार और समाज की चिंता करती है और न ही अपने स्वास्थ्य की। आज पूनम अपने साथ-साथ 120 महिलाओं को स्वावलंबी बना चुकी हैं। पूनम ने बताया कि वर्ष 2016 में उनके पति की नौकरी चली गई। उनके बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे।
फीस नहीं देने के कारण बच्चों को स्कूल से निकालने का डर था। कहां जाएं, क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था। ऐसे में उन्होंने खुद ही आत्मनिर्भर बनने की ठानी और मिलेट्स से बनी चीजों का बिजनेस शुरू किया।
न कोई डिग्री न डिप्लोमा, कला के बूते मिली पहचान
पूनम शर्मा का कहना है कि गांव के माहौल में एक महिला के लिए अपने पैरों पर खड़ा होना बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपने मिलेट्स से बनी चीजों को बेचने की शुरुआत की तो लोगों के ताने सहे। बस उनको यही ध्यान में था कि अगर पैसे नहीं मिले तो बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाएगी।
ऐसे में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने कदम आगे बढ़ाती गई। अपनी कला को पहचान देने के लिए गांव-गांव घूमी और अन्य महिलाओं को भी साथ लिया। पूनम के साथ अब करीब 120 महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो टिफिन सर्विस से लेकर पशुपालन और खेती-बाड़ी के कार्य कर रही हैं।
पूनम शर्मा को एक कार्यक्रम में सुषमा स्वराज पुरस्कार और नोएडा में हुए श्री अन्न कार्यक्रम में प्रथम पुरस्कार मिला है। हर वर्ष वह सरस मेले समेत अन्य मेलों में अपनी स्टाल लगाती हैं।