मॉल को बम से उड़ाने का मैसेज भेजने वाले का अब हो जाएगा पर्दाफाश! साइबर पुलिस ने रिस्पांस टीम और CBI से मांगी मदद
गुरुग्राम के एंबिएंस मॉल में 17 अगस्त को उस समय हड़कंप मच गया था। जब यहां पर लोगों और सुरक्षा एजेंसी को बम होने की खबर मिली थी। जांच में सामने आया कि मॉल को बम से उड़ाने का मैसेज भेजने वाले ने आईपी एड्रेस को छुपाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल किया था। साइबर पुलिस ने अब रिस्पांस टीम और CBI से इस संबंध में मदद मांगी है।
विनय त्रिवेदी, गुरुग्राम। एशिया के बड़े मॉल में से एक एंबियंस मॉल (Ambience Mall receives bomb threat) को बम से उड़ाने की धमकी देने के मामले की जांच के लिए गुरुग्राम साइबर पुलिस ने इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम और सीबीआई की मदद मांगी है। अभी तक की जांच में पता चला है कि धमकी भी ई-मेल भेजने वाले ने वीपीएन का इस्तेमाल किया था।
डीएलएफ फेज तीन थाना क्षेत्र स्थित एंबियंस मॉल को 17 अगस्त को बम से उड़ने की धमकी दी गई थी। धमकी भरा एक ई-मेल मॉल प्रबंधन के पास भेजा गया था। हालांकि, पुलिस और बम निरोधक दस्ते ने यहां पर जांच अभियान चलाया और कोई भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। पुलिस जांच में बताया गया था कि यह ई-मेल केवल भयभीत करने के लिए की गई थी।
इस संबंध में साइबर थाने में केस दर्ज किया गया। साइबर पुलिस मेल भेजने वाले सिस्टम के आइपी एड्रेस की तलाश में जुटी हुई थी। पता चला कि मेल भेजने वाले आरोपित ने वीपीएन का इस्तेमाल किया था। इससे उसकी लोकेशन कभी जर्मनी, कभी यूएस तो कभी क्रोएशिया की आई।
इसके बाद साइबर पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम से मदद मांगी है। यह टीम ऐसे मामलों में काम करती है। इसके अलावा सीबीआई (CBI) से भी साइबर पुलिस ने मदद मांगी है। सीबीआई भी कभी-कभी इस तरह के मामले देखती है। दोनों के सहयोग से आरोपित की तलाश की जा रही है।
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (Indian Computer Emergency Response Team) भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक कार्यालय है। यह साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने के लिए नोडल एजेंसी है। यह भारतीय इंटरनेट डोमेन की सुरक्षा संबंधी रक्षा को मजबूत करता है।क्या होता है वीपीएन
वीपीएन (VPN) का मतलब वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है। यह कंप्यूटर और वीपीएन प्रदाता के स्वामित्व वाले रिमोट सर्वर के बीच एक डिजिटल कनेक्शन स्थापित करता है। इससे कोई भी व्यक्ति किसी प्रतिबंधित साइट को भी आपरेट कर सकता है। इसका इस्तेमाल आईपी एड्रेस को भी छिपाने के किया किया जाता है। यह इंटरनेट पर वेबसाइट ब्लॉक और फायरवाल से भी बचाता है।
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सिद्धांत जैन, डीसीपी साइबर क्राइम