Haryana Election: महज 26 साल में गृह राज्यमंत्री बन गए थे राव नरबीर सिंह, राव इंद्रजीत सिंह को दी थी पटखनी
राव नरबीर सिंह हरियाणा की राजनीति में एक जाना-माना नाम हैं। मात्र 26 साल की उम्र में विधायक और गृह राज्यमंत्री बनने वाले राव नरबीर सिंह ने अपने राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। राव नरबीर सिंह 1987 में राव इंद्रजीत सिंह को चुनाव में हराकर विधानसभा पहुंचे थे। आइए राव नरबीर सिंह के राजनीतिक सफर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आदित्य राज, गुरुग्राम। अहीरवाल की राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाले राव नरबीर सिंह मात्र 26 साल की उम्र में ही न केवल विधायक चुने गए थे बल्कि प्रदेश के गृह राज्यमंत्री बन गए थे। हरियाणा ही नहीं पूरे देश में ताऊ के नाम से मशहूर चौधरी देवीलाल ने 1987 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद अपनी सरकार में उन्हें इतनी महत्वपूर्ण जगह दी थी।
राव का छोरा कुछ करेगा... दिया मंत्री पद
ताऊ देवीलाल ने यह कहते हुए मंत्री पद दिया था कि राव का छोरा कुछ करेगा। परिवार की राजनीतिक पृष्टभूमि को देखते हुए देवीलाल ने अपने मंत्रिमंडल में युवा चेहरे को शामिल किया था। वरिष्ठ भाजपा नेता राव नरबीर सिंह ने अपना पहला चुनाव जाटूसाना से 1987 में लोकदल के टिकट पर लड़ा था।
उस चुनाव में उन्होंने अहीरवाल के दिग्गज राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले वर्तमान में गुड़गांव से सांसद व केंद्रीय योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह को हराया था।
राव इंद्रजीत की हार की हुई थी काफी चर्चा
राव इंद्रजीत सिंह की हार उस समय काफी चर्चा का विषय बना था क्योंकि राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल के राजा राव तुलाराम के वंशज हैं। यही नहीं हरियाणा की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी रहे पूर्व मुख्यमंत्री स्व. राव बीरेंद्र सिंह के सुपुत्र हैं। राव बीरेंद्र सिंह केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे थे।
इस जीत से राव नरबीर सिंह ने उस समय लोकदल के वरिष्ठ नेता चौधरी देवीलाल सहित सभी दिग्गजों को अपना दीवाना बना लिया था। उम्र केवल 26 साल होने की वजह से सभी नेता स्नेह देते थे। चौधरी देवीलाल हर जगह यही कहा करते थे कि राव का छोरा कुछ करेगा।
तीन बार विधायक रहे राव नरबीर सिंह के पिता
दरअसल, राव नरबीर सिंह के पिता स्व. राव महाबीर सिंह तीन बार विधायक रहे। वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। उनके चौधरी देवीलाल के साथ बेहतर संबंध थे। राव नरबीर सिंह के दादा राव मोहर सिंह आजादी से पहले 1942 एवं 1946 में पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए थे।
इस वजह से आजादी से पहले से लेकर आजादी के बाद तक के काफी नेताओं से राव नरबीर सिंह के परिवार का संबंध रहा। जब 1996 में प्रदेश में हरियाणा विकास पार्टी की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री बंसीलाल ने भी राव नरबीर सिंह को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी।
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