Ratan Tata Passes Away: यूं ही नहीं बन गए थे अब्दुल कलाम मिसाइलमैन, पद्म विभूषण रतन टाटा का था अहम रोल
देश के मशहूर बिजनेसमैन पद्म विभूषण रतन टाटा का बीती रात देहांत हो गया। पिछले कुछ दिनों से बीमार होने की वजह से उन्हें मुंबई के कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। देशभर के तमाम हस्तियों ने रतन टाटा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कहा जाता है कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन बनाने में रतन टाटा की अहम भूमिका थी।
आदित्य राज, गुरुग्राम। पूरी दुनिया देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन ( (APJ Abdul Kalam Missile Man) के रूप में भी जानती है। उन्हें यह ख्याति दिलाने में प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा ने विशेष भूमिका निभाई थी।
रतन टाटा के सहयोग से मिसाइल बनाने के ऊपर तेजी से काम शुरू हुआ और कुछ ही साल के भीतर देश मिसाइलों से लैस राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल हो गया। डा. कलाम अपने भाषणों के दौरान अक्सर रतन टाटा के योगदान की चर्चा किया करते थे।
अब्दुल कलाम ने रतन टाटा के साथ सेना भवन में की मीटिंग
बात 1993 के दौरान की है। रतन टाटा कुछ समय पहले ही टाटा कसंल्टेंसी सविर्सेज (टीसीएस) के चेयरमैन बने थे। उस समय डा. कलाम एसए टू आरएम यानी साइंटिफिक एडवाइजर टू रक्षा मंत्री थे। उनकी देखरेख में डीआरडीओ के कई केंद्र में मिसाइल बनाने के ऊपर काम चल रहा था।
अलग-अलग केंद्र पर अलग-अलग पार्ट बनाए जा रहे थे। काम बहुत धीमी गति से चल रहा था। कई जगह काम चलने से आसानी से पता नहीं चल पा रहा था कि कहां पर कितना काम हुआ है। इससे डा. कलाम बहुत परेशान थे। वह प्रतिदिन कार्यों की रिपोर्ट लेना चाहते थे ताकि जल्द से जल्द मिसाइल तैयार हो सके। उन्होंने रतन टाटा (Ratan Tata Pass Away) के साथ सेना भवन में मीटिंग तय की।
सॉफ्वेयर बनने से मिसाइल बनाने की प्रक्रिया में आई तेजी
रतन टाटा अपनी कंपनी टीसीएस के तत्कालीन दिल्ली हेड फिरोज वंद्रेवाला एवं कंसल्टेंट प्रदीप यादव के साथ डा. कलाम से मीटिंग करने के लिए सेना भवन पहुंचे। मीटिंग में डा. कलाम ने अपनी परेशानी बताई। इस पर रतन टाटा ने कहा कि इस समस्या का समाधान एक ऐसा सॉफ्टवेयर हो सकता है, जो सभी जगह की रिपोर्ट कम्पाइल कर प्रस्तुत कर सके।
डा. कलाम ने रतन टाटा से सॉफ्टवेयर तैयार कराने को कहा। सॉफ्वेयर तैयार हुआ और प्रतिदिन की रिपोर्ट सामने आने लगी। इसका लाभ यह हुआ कि देश में तेजी से मिसाइल बनने लगे और कुछ ही साल के भीतर देश मिसाइलों से लैस हो गया। अपनी यादों की गठरी खोलते हुए वर्तमान में आईटी एवं टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों के संगठन हाइटेक इंडिया के प्रेसिडेंट प्रदीप यादव कहते हैं कि वह सेना भवन में टीसीसी की ओर से मिसाइल प्रोजेक्ट के को-ऑर्डिनेटर भी थे।
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