Denzil Keelor: पाकिस्तान को चटाई थी धूल, 90 साल की उम्र में ली आखिरी सांस; कौन थे एयर मार्शल डेंजिल कीलर?
Air Marshal Denzil Keelor 1965 के योद्धा नायक एयर मार्शल डेंजिल कीलर अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। 90 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। डेंजिल कीलर ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई और वीर चक्र दिया गया था। वे लंबे समय से गुरुग्राम के पालम विहार में रहते थे। पढ़िए उनके बारे में सब कुछ।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। सन् 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले वीर चक्र विजेता एयर मार्शल (रिटा.) डेंजिल जोसेफ कीलर (Air Marshal Denzil Keelor) का बुधवार शाम निधन हो गया। वह 90 साल के थे। उनका जन्म 1933 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था।
वह लंबे समय से परिवार सहित गुरुग्राम के पालम विहार इलाके में रह रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार दोपहर तीन बजे दिल्ली कैंट के शमशान स्थल पर सैनिक सम्मान के साथ किया जाएगा। अंतिम संस्कार से पहले कनॉट प्लेस स्थित चर्च में सुबह 11 बजे से प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी।
डेंजिल जोसेफ कीलर के छोटे भाई ट्रेवर कीलर भी एयर फोर्स में थे। उन्होंने भी पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की लड़ाई में विशेष भूमिका निभाई थी। उस समय दोनों की पहचान एयर फोर्स में लड़ाकू पायलट भाइयों के रूप में थी।
डेंजिल जोसेफ कीलर छह नवंबर 1954 को एयर फोर्स में शामिल हुए थे। उन्होंने 1965 एवं 1971 की लड़ाई में खासकर 1965 की लड़ाई में नायक जैसी भूमिका निभाई थी। वह फाइटर पायलट की भूमिका में थे। उन्होंने 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी लड़ाकू विमान सेबर जेट को मार गिराया था। इससे पाकिस्तान की हालत काफी पतली हो गई थी। कुछ ही दिनों की लड़ाई में पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे।
घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे डेंजिल जोसेस
Denzil Keelor ने 1971 की लड़ाई में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। जीत के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था। उस समय वह ग्रुप कैप्टन थे। बताया जाता है कि मार्च 1978 में कीलर काफी ऊंचाई पर टाइप 77 विमान उड़ा रहे थे। उसी दौरान छतरी उड़ गई थी। उस घटना में वह गंभीर रूप से घायल हाे गए थे।उनके लिए विमान को संभालना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन वह सफलतापूर्वक विमान को वापस बेस पर ले आए थे। उनकी आंखों में भी काफी दिक्कत आ गई थी। इसके अलावा भी कई बार उन्होंने विमान की आपातकालीन लैंडिंग सफलतापूर्वक बेस पर कराई थी। उनकी पहचान एक कुशल पायलट के रूप में भी थी।
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