Gurugram: फर्जी जीपीए करा प्रापर्टी बेच ठगी करने के मामले में दो को चार-चार साल की सजा, 10-10 हजार जुर्माना
Gurugram News ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट विक्रांत की अदालत ने मनोज और अनिल कुमार को गवाह व सबूतों के आधार पर दोषी करार दिया। उप जिला न्यायवादी हिमांशु यादव ने भी दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा देने की दलील रखी।
By Aditya RajEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 15 Jun 2023 11:20 AM (IST)
संवाद सहयोगी, बादशाहपुर। ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट विक्रांत की अदालत ने फर्जी जीपीए कराकर प्रापर्टी दूसरे के नाम कराने के मामले में दो लोगों को चार-चार साल की सजा सुनाई है। धोखाधड़ी की दो धाराओं में दो-दो साल की सजा का फैसला दिया।
पहले दो साल की सजा पूरी होने के बाद अगले दो साल की सजा चलेगी। नायब तहसीलदार अनीता रानी, हल्का पटवारी धर्मवीर, नोएडा के सब रजिस्ट्रार हरीश कुमार मित्तल, फारेंसिक लैब के डा. सतीश कुमार और पुलिस अधिकारियों समेत पूरे मामले में 18 गवाह पेश किए गए।
अदालत ने फिरोज गांधी कालोनी के रहने वाले मनोज और अनिल कुमार को सजा सुनाई। आरोपित बलवान सिंह को पूरे मामले से अनजान होने के कारण बरी कर दिया गया।
FIR दर्ज होने के पहले ही हो गई थी सतबीर यादव की मौत
पुलिस ने मामला 30 मई 2012 को सेक्टर-46 के नरेंद्र पाल दलाल की शिकायत पर बलवान सिंह और सतबीर यादव के विरुद्ध दर्ज किया था। पुलिस जांच में ही यह बात सामने आई थी कि सतबीर यादव की मौत एफआइआर दर्ज होने से पहले ही 17 मार्च 2012 को हो गई थी।
सेक्टर-46 की रेजिडेंसी ग्रीन सोसायटी के रहने वाले नरेंद्र पाल दलाल ने पुलिस को शिकायत दी कि रेलवे रोड पर 901 वर्ग गज का प्लाट कन्हई गांव के बलवान सिंह और फरीदाबाद के सेक्टर-21 के सतबीर यादव ने उनके साथ धोखाधड़ी कर बेचा है।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो बलवान सिंह इस मामले में बिल्कुल अनजान पाए गए। सतबीर यादव की मौत 17 मार्च 2012 को हो गई।पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो इस मामले फिरोज गांधी कालोनी के रहने वाले मनोज को तीन अप्रैल 2013 और अनिल को 21 अप्रैल को गिरफ्तार किया। छह मई 2013 को एक अन्य आरोपी अजय शर्मा को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
आरोपितों ने उत्तर प्रदेश के नोएडा से फर्जी जीपीए के आधार पर प्रापर्टी दूसरे व्यक्ति के नाम पर बेची थी। अदालत ने आरोपित अजय शर्मा को भी इस मामले में निर्दोष पाया।ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट विक्रांत की अदालत ने मनोज और अनिल कुमार को गवाह व सबूतों के आधार पर दोषी करार दिया। उप जिला न्यायवादी हिमांशु यादव ने भी दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा देने की दलील रखी। अदालत ने कहा कि आरोपित इस मामले में 10 साल से भी ज्यादा ट्रायल का सामना कर रहे हैं।
ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट विक्रांत की अदालत ने मनोज और अनिल को आइपीसी की धारा 468 के तहत दो साल और धारा 471 के तहत दो साल की सजा सुनाई। दोनों धाराओं के तहत दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
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