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17 भाषाओं में लोक गीत गाकर रुनकी ने जीता लंदन का दिल

हंस राज, नया गुरुग्राम भारतीय लोक संगीत की दुनिया का जाना पहचाना नाम रुनकी गोस्वामी ने एक बार

By JagranEdited By: Updated: Sun, 03 Jun 2018 06:43 PM (IST)
17 भाषाओं में लोक गीत गाकर रुनकी ने जीता लंदन का दिल

हंस राज, नया गुरुग्राम

भारतीय लोक संगीत की दुनिया का जाना पहचाना नाम रुनकी गोस्वामी ने एक बार फिर अपनी प्रस्तुति से शहर व देश का नाम रोशन किया है। साइबर सिटी के निरवाणा कंट्री में रहने वाली 39 वर्षीय लोक गायिका ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के नेहरू सेंटर में 17 भाषाओं में 25 लोक गीतों की प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 30 मई को भारत व ब्रिटेन के संगीतप्रेमियों से भरे हॉल में जब रुनकी ने करीब दो घंटे की प्रस्तुति समाप्त किया तो समूचा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

सरहदों से परे है संगीत:

लंदन में अपनी सफल एकल प्रस्तुति के बाद रुनकी ने बताया कि जिस प्रकार से हर गीत पर लोगों की सराहना मिल रही थी, उन्हें एक क्षण के लिए भी नहीं लगा कि वो अपनी माटी और संस्कृति से मीलों दूर प्रस्तुति दे रही हैं। राजस्थान से लेकर दक्षिण भारतीय लोक गीतों की प्रस्तुति पर लोगों का समर्थन और उत्साह ने इस बात का एहसास करवाया कि वाकई संगीत की कोई सरहद नहीं होती। उन्होंने बताया कि प्रस्तुति के बाद संगीत सीख रहे ब्रिटिश स्कूल के कई छात्र उत्सुकता के साथ भारतीय लोक व पारंपरिक संगीत की बारीकियां सीखने आए और घेर कर खड़े हो गए। संगीत के साधकों का ऐसा प्यार और सम्मान मिला जैसे दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर या इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रस्तुति के बाद मिलता है। दोबारा आने का मिला आमंत्रण:

मात्र तीन साल की उम्र से ही शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखने वाली रुनकी देश-दुनिया के विभिन्न शहरों में अपनी गायिकी का जादू बिखेर चुकी हैं। लंदन में उन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु व उत्तराखंड के विभिन्न लोकगीतों की प्रस्तुति दी, जिसमें अवधी, मिर्जापुरी, मैथिली, भोजपुरी, हरियाणवी, मराठी, उड़िया, तमिल, तेलगू व बांग्ला भाषाओं समेत सभी प्रस्तुतियों से लोगों का दिल जीत लिया। कंसर्ट के बाद ब्रिटिश उच्चाधिकारियों ने रुनकी की प्रस्तुति का लंदन के प्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में आयोजित प्रस्तुतियों से तुलना करते हुए उन्हें अगले साल भी नेहरू सेंटर में आने का न्योता दिया।

संगीत सरहद और भाषाओं से परे होती है और इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। लंदन में भारतीय पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुति देना मेरे लिए एक अलग अनुभव रहा। भारत का प्रतिनिधित्व करना हमेशा गौरव का क्षण होता है।

-रुनकी गोस्वामी, गायिका

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