आजीविका के मंच के साथ मिनी इंडिया के दर्शन कराता है सरस मेला: मनोहर लाल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरस मेला स्वयं-सहायता समूह की महिलाओं को आजीविका का मंच उपलब्ध कराने के साथ-साथ हमें मिनी इंडिया के दर्शन भी कराता है।
By JagranEdited By: Updated: Fri, 15 Apr 2022 05:30 PM (IST)
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरस मेला स्वयं-सहायता समूह की महिलाओं को आजीविका का मंच उपलब्ध कराने के साथ-साथ हमें मिनी इंडिया के दर्शन भी कराता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत के विजन को साकार करने का काम इसके माध्यम से किया जा रहा है। ऐसे आयोजन से देश के अन्य राज्यों की संस्कृति को निकट से जानने और समझने का सभी को अवसर मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरस मेले की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह ग्रामीण क्षेत्रों से आए स्वयं-सहायता समूह की बहनों को सीधे शहरी उपभोक्ताओं से जोड़ने का काम करता है। यह इन्हें बाजार उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि स्वयं-सहायता समूह की महिलाओं को निरंतर ऐसे प्लेटफार्म उपलब्ध हों। इसको ध्यान में रखते हुए पूरे वर्ष चलने वाले आयोजनों को लेकर योजना बनाई गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में बारी-बारी से हर माह पांच से 10 दिन के सरस मेले जैसे आयोजन कराए जाएंगे। सरस मेले के दौरान हर रोज आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी के रूस से आई महिला कलाकारों ने मुख्यमंत्री के समक्ष हरियाणवी गाने 'गजबन पानी नै चाली' और 'तेरी आख्यां का यो काजल' गीत के धुन पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी हरियाणवी संस्कृति की धमक विदेश तक पहुंच गई है और रूस की बालिकाओं ने हरियाणवी लोक गीतों पर ऐसी प्रस्तुति दी जैसी हमारे प्रदेश की बेटियां देती हैं। इससे पूर्व नरेंद्र शर्मा के ग्रुप ने 'तु मंनै लख्मीचंद की रागनी की टेक लागे से' पर हरियाणवी डांस के माध्यम से सभी का दिल जीता। मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की खूब सराहना की। दास्तान-ए-रोहनात नाटक का मंचन आज
जासं, गुरुग्राम: सेक्टर-29 स्थित लेजर वैली ग्राउंड में चल रहे सरस मेले में लोगों को हस्तनिर्मित विभिन्न उत्पादों की खरीदारी के साथ मनोरंजन का भी अवसर प्रदान किया जा रहा है। शनिवार शाम छह बजे दास्तान-ए-रोहनात नाम से एक नाटक का मंचन किया जाएगा। इस नाटक के माध्यम से लोगों को आजादी के आंदोलन में योगदान देने वाले वीरों की सत्य घटनाओं पर आधारित कथाओं के विषय में जानकारी दी जाएगी। इस नाटक के निदेशक मनीष जोशी हैं। रोहनात गांव के वीरों के नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हो पाए। ऐसे ही दो योद्धा हैं नोंदा राम और बिरहा दास। यह गांव अंग्रेजों के जुल्म का शिकार हुआ। नोंदा राम को अंग्रेजों ने तोप से उड़ा दिया गया था। वहीं बिरहा दास को भी मार दिया गया था। कहा जाता है कि मंगल पांडे भी इनसे मिलने आए थे और वहां के लोगों को संगठित करने में इन दोनों विभूतियों का महत्वपूर्ण और बड़ा योगदान था। 20 कलाकारों द्वारा इस नाटक का मंचन किया जाएगा।
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