अरावली के बरसाती पानी का संरक्षण कर विकसित किए जा सकते हैं पर्यटन स्थल
अरावली पहाड़ियों से घिरी साइबर सिटी को अरावली की तलहटी में बारिश के पानी को संरक्षित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। झीलों में पानी संरक्षित किए जाने से जहां जल स्तर ऊपर आएगा।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 27 Jul 2021 08:10 PM (IST)
महावीर यादव, बादशाहपुर (गुरुग्राम)
अरावली पहाड़ियों से घिरी साइबर सिटी को अरावली की तलहटी में बारिश के पानी को संरक्षित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। झीलों में पानी संरक्षित किए जाने से जहां जल स्तर ऊपर आएगा। वहीं लोगों को मनोरंजन के लिए बेहतर स्थान भी उपलब्ध होंगे। पर्यटन के क्षेत्र में यहां काफी संभावनाएं हैं। सप्ताहांत पर आज भी काफी संख्या में लोग वीरान पड़ी अरावली पहाड़ियों पर भ्रमण व सैर सपाटे के लिए जाते हैं। अरावली की तलहटी में प्राकृतिक झील के साथ कुछ कृत्रिम झीलों को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। प्रशासन इस बारे में जरा भी गंभीरता दिखाए तो साइबर सिटी को उदयपुर सिटी की तरह झीलों का शहर के रूप में विकसित किया जा सकता है। बरसों पहले अरावली से आने वाले पानी के संरक्षण के लिए वन विभाग व सिचाई विभाग की तरफ से जगह-जगह बांध बनाए गए थे। बांध के साथ बनी झील में पानी एकत्रित हो जाता था। यह पानी धीरे-धीरे भूगर्भ में समा जाता था। पानी व्यर्थ नहीं होता था और भूजल का स्तर भी बेहतर बना रहता था। विकास की भेंट चढ़ गए अधिकतर बांध
शहर का ज्यों-ज्यों विकास होता गया। गगनचुंबी इमारतें खड़ी होती गई। परिणाम स्वरूप रिहायशी क्षेत्र (आर-जोन) में अधिकतर बांध बिल्डरों ने अपनी मनमर्जी के मुताबिक खुर्द-बुर्द कर दिए। टीकली गैरतपुर बास की तरफ से आने वाले पानी को टीकली और गैरतपुर बास गांव में लगाए गए बांध पर रोका जाता था। घामडोज व भोंडसी की तरफ से आने वाले पानी के लिए भी गांव में बांध बनाए गए थे। इसी तरह घाटा कादरपुर की तरफ से आने वाले अरावली के पानी को संरक्षित करने के लिए घाटा, कादरपुर, झाड़सा और घसौला गांव के पास बांध लगाए गए थे। कई वर्षों से बरसात कम होने की वजह से पानी भी कम आने लगा। कई गांव के बांध तो आज भी मौजूद हैं। अधिकतर बांधों को विकास में आड़ आने पर हटा दिया गया। झीलों को विकसित कर बनाए जा सकते हैं पर्यटन स्थल अरावली की पहाड़ियों के प्रति शहर के लोगों का बेहद लगाव है। सैर सपाटा के लिए लोग काफी संख्या में अरावली की पहाड़ियों में जाते रहते हैं। दमदमा गांव में पर्यटन विभाग का होटल भी बना हुआ है। इस होटल के साथ बड़ी झील है। उसमें पर्यटन विभाग ने ग्राम पंचायत के साथ मिलकर बोटिग भी शुरू कर रखी है। इसी तरह भोंडसी गांव में चंद्रशेखर का भारत यात्रा केंद्र लोगों के आकर्षण का केंद्र है। भारत यात्रा केंद्र के साथ ही एक बड़ी झील है। इस झील को भी पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया जा सकता है। घाटा व कादरपुर की तरफ से अरावली का पानी गोल्फ कोर्स रोड से होते हुए शहर में प्रवेश करता है। पानी को कादरपुर और घाटा के पास कृत्रिम झील विकसित कर पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है। टीकली, पंडाला व गैरतपुर बास की तरफ से आने वाला अरावली का पानी बादशाहपुर ड्रेन से होता हुआ खांडसा और गाडोली से दौलताबाद गांव के पास भरता है।होंडा चौक का जलभराव भी इसी पानी के कारण होता है। इस जलभराव के कारण काफी किसान अपने खेतों में फसल भी नहीं उगा पाते हैं।
बारिश का पानी खेतों में भर जाता है। किसान अपनी फसल भी नहीं उगा पाते हैं। इन खेतों में भरने वाले पानी को और अरावली से आने वाले पानी को झीलों में डालने के लिए काम किया जा सकता है। प्रशासनिक अधिकारी इस बारे में योजना तैयार करें। इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। खेतों में पानी नहीं भरेगा और जल स्तर ऊंचा उठेगा। राव मान सिंह, अध्यक्ष किसान क्लब अरावली की तलहटी में पर्यटन स्थल विकसित किए जाने की काफी संभावनाएं हैं। जल संरक्षण के लिए वन विभाग समय-समय पर काम करता रहता है। जल संचयन को कई नए बांध भी बनाए गए हैं। हरियाणा वन विकास निगम ने भोंडसी अरावली की पहाड़ियों में एक कैंप तैयार किया है। इसी तरह दमदमा झील के अलावा कई झील पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकती हैं। अरावली के पानी को संरक्षित कर कई तरह के फायदे हो सकते हैं। सत्यभान, मुख्य वन संरक्षक (सेवानिवृत्त)
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