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परंपरा, संस्कृत और संस्कृति का बढ़ावा देगा युवा महोत्सव का मंच

इस बार युवा महोत्सव में रीति-रिवाज संस्कृति और परंपराओं का बोलबाला रहेगा। युवाओं में संस्कारों के संचार और पारंपरिक जड़ों से जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय इस महोत्सव में कई बदलाव कर रहा है।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 07:24 PM (IST)
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परंपरा, संस्कृत और संस्कृति का बढ़ावा देगा युवा महोत्सव का मंच

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: इस बार युवा महोत्सव में रीति-रिवाज, संस्कृति और परंपराओं का बोलबाला रहेगा। युवाओं में संस्कारों के संचार और पारंपरिक जड़ों से जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय इस महोत्सव में कई बदलाव कर रहा है। इस बार युवा महोत्सव में सांस्कृतिक रंगों के साथ-साथ पारंपरिक खुशबू भी बिखरेगी। हरियाणवी संस्कृति और परंपरा से विद्यार्थियों को रूबरू कराने के लिए 'रीति-रिवाज' के नाम से गतिविधि (प्रतियोगिता) का भी समावेश किया जा रहा है। इसके अलावा संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत नाटक को भी इस महोत्सव में स्थान दिया गया है।

गुरुग्राम विश्वविद्यालय का यह दूसरा युवा महोत्सव होगा। इससे पहले 2019 में शंखनाद के नाम से पहला युवा महोत्सव हुआ था। इस बार द्रोणाचार्य कालेज की मेजबानी में आठ, नौ और दस दिसंबर को यह आयोजन होगा। इसके लिए दो नवंबर को पहली बैठक हुई थी और अगले बैठक अगले हफ्ते में होगी। इस बारे में बताते हुए द्रोणाचार्य कालेज की कल्चरल डीन डा. मीनाक्षी पांडे ने कहा कि अगली बैठक में सभी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत नाटक और रीति-रिवाज जैसी प्रतियोगिताओं से विद्यार्थी अपने पारंपरिक मूल्यों को पहचानेंगे।

प्रदेश में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रीति रिवाज और संस्कारों की प्रतियोगिता को युवा महोत्सव में पहले से शामिल किया हुआ है। उसी तर्ज पर गुरुग्राम विश्वविद्यालय भी अब इन चीजों को प्रमुखता से स्थान देगा। इस बार युवा महोत्सव में संस्कृत नाटक के जोड़े जाने से संस्कृत भाषा के प्रति विद्यार्थियों का रुझान भी बढ़ेगा और इसके प्रति समझ भी बढ़ेगी। इसके अलावा इस बार अभिभावक, सिपाही और शिक्षक नाम की गतिविधि को आजादी के अमृत महोत्सव से जोड़कर नई गतिविधि तैयार की गई है। अब इन नई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए विद्यार्थी तैयारी में लगे हुए हैं।

इस बार युवा महोत्सव में नई गतिविधियों का समावेश किया जा रहा है। इन गतिविधियों में हिस्सा लेकर विद्यार्थी जीत और हार से अधिक संस्कार और मूल्यों से अवगत होंगे। युवा महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं और कालेज इसे बेहतर तरीके से करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।

- डा. विरेंद्र अंतिल, प्राचार्य, द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय संस्कृत भाषा अपनी जड़ों की तरफ ले जाने वाली भाषा है। ऐसे में युवा महोत्सव में इसे शामिल करना विद्यार्थियों को सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना होगा। इसी तरह से रीति-रिवाज को इस महोत्सव में जोड़ना विद्यार्थियों को प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं से जोड़ेगा।

- डा. मीनाक्षी पांडे, कल्चरल डीन, संस्कृत विभागाध्यक्ष, द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय

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