भानी, भ्याणी, भियानी और अब भिवानी के इतिहास की दिलचस्प कहानी, 645वां जन्मदिन मुबारक
भिवानी 26 फरवरी को यानि आज 645 वां जन्मदिन मना रहा है। महाराजा नीमसिंह ने 26 फरवरी 1376 को अपनी पत्नी भानी के नाम से इस शहर की स्थापना की थी। पढ़ें सारे उतार चढ़ाव के रोचक किस्से
By Manoj KumarEdited By: Updated: Wed, 26 Feb 2020 02:44 PM (IST)
भिवानी, जेएनएन। भ्याणी, भिवानी, मिनी क्यूबा, राजनीति का गढ़ कहा जाने वाला प्रदेश का जिला भिवानी एक लंबा इतिहास सहेजे हुए है। या यूं कहें भिवानी शहर की स्थापना के पीछे एक ऐतिहासिक कहानी है। महाराजा नीमसिंह ने 26 फरवरी 1376 को अपनी पत्नी भानी के नाम से इस शहर की स्थापना की थी। भानी की मौत होने के बाद नीमपाल सिंह ने भानी गांव की स्थापना की थी। कालांतर में भानी को भ्याणी, भियानी और इसके बाद वर्तमान में भिवानी कहा जाने लगा है।
इतिहासकार बताते हैं कि महाराजा नीमपाल सिंह द्वारा स्थापना के समय लगाया गया पेड़ आज भी लोहड़ एरिया में मौजूद है। परंतु कुछ लोगों का मानना है कि यहां हिंदू धर्म की देवी माता भवानी ने अपने चरण रखे थे और उससे इसका नाम बिगड़ कर भिवानी पड़ा। मुगल काल में यह एक महत्वपूर्ण औद्योगिक नगर था और आज भी हरियाणा और राजस्थान के बीच उद्योग का केंद्र है।भिवानी शहर की जनसंख्या
वर्ष जनसंख्या1901 35917
1911 311001921 332701931 358661941 439211951 521831961 581541971 730861981 1012771991 1216292011 1,69,424राजनीतिजिले में चार विधानसभा हलके हैं। इनमें भिवानी, लोहारू, तोशाम व बवानीखेड़ा। बवानी खेड़ा हिसार (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का हिस्सा हैं, जबकि शेष भिवानी-महेंद्रगढ़ (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का हिस्सा हैं।
2016 से पहले दादरी जिला भी था भिवानी का हिस्सा प्रदेश सरकार ने 2016 में दादरी जिले को अलग दर्जा दे दिया और दादरी व बाढड़़ा को अलग उपमंडल बना दिया।------2011 की जनगणना के अनुसार भिवानी जिले की आबादी 16 लाख 92 हजार 9 10 है। भिवानी देश में कुल मिलाकर 306वें स्थान पर है (कुल 640 में से)। जिले में जनसंख्या घनत्व 341 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (880/वर्ग मील) है। 2001-2011 दशक में इसकी जनसंख्या वृद्धि दर 14.32 फीसद थी। 2011 में भिवानी में प्रत्येक 1000 पुरुषों के पीछे 884 महिलाएं थी। साक्षरता दर 76.7 फीसद थी।
----इतिहास संकलनकर्ता जगतनारायण शर्मा ने बताया कि भिवानी 26 फरवरी को 645 वां जन्मदिन मनाने जा रहा है। महाराजा नीमपाल सिंह के नाम से यहां के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण हो चुका है। भिवानी के संस्थापक के सम्मान में एक और बड़े संस्थान की स्थापना की मांग की जा रही है।यूरोप से जुड़ा है भिवानी का उद्योग व्यवसायभिवानी : दक्षिण में थार रेगिस्तान को छूता हुआ भिवानी हरियाणा प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से 2016 से पहले भिवानी हरियाणा का सबसे बड़े जिलों में शामिल रहा है। इसके अलावा, भिवानी नगर शिक्षा, चिकित्सा एवं खेलकूद के क्षेत्र में आज अपनी अनूठी पहचान बना चुका है। औद्योगिक दृष्टि से भी भिवानी आजादी से पहले से महत्वपूर्ण शहरों में से एक रहा है। कपड़ा उद्योग के मामले में लुधियाना के साथ भिवानी की प्रतिस्पर्धा हमेशा रही है। बिडला ग्रुप ने भिवानी में 1942 में टीआइटी मिल की स्थापना की थी। बीटीएम व हिंदुस्तान गम इसी बड़े उद्योग समूह द्वारा स्थापित किए गए थे। हालांकि बीटीएम को कुछ वर्ष पूर्व डोनियर ग्रुप ऑफ मुंबई ने ले लिया। वर्तमान में बीटीएम व हिंदुस्तान गम आज भी शहर की शान बने हैं। इनके अलावा चिनार सिंथेटिक उद्योग भी कपड़ा व्यवसाय में एक बड़ा नाम है। यह एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, जिसका अधिकांश व्यापार राजस्थान, महाराष्ट्र सहित देशभर के राज्यों के अलावा अमेरिका, कनाडा व यूरोप के देशों के साथ होता है। कपास की ओटाई एवं धुनाई, तेल की मिलें एवं निर्माण की लघु इकाईयां यहां के प्रमुख उद्योग हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में भी भिवानी की पहुंच बेहतरीनशिक्षा की लिहाज से भी भिवानी बेहतरीन पायदान पर है। जहां भिवानी में प्रदेश का शिक्षा बोर्ड स्थापित है तो वहीं चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय 2015 से उच्च शिक्षा दे रहा है। इसके अलावा भिवानी में लगभग दस प्रौद्योगिकी संस्थान हैं, जिनमें से टेक्नालॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल्स एंड साइंस तो पूरे उत्तर भारत में अपने जैसा अकेला कालेज है। वैश्य कालेज, महाराजा नीमसिंह महाविद्यालय, राजीव गांधी महिला महाविद्यालय, चौ. बंसीलाल पॉलीटेक्नीक कालेज, आदर्श महिला महाविद्यालय, महाराणा प्रताप महाविद्यालय, बीआरसीएम बहल शामिल हैं।
बिट्स पिलानी से भी है यहां के शिक्षा जगत का नातादेश का विख्यात औद्योगिक महाविद्यालय, बिट्स पिलानी (राजस्थान) भिवानी से अधिक दूरी पर नहीं है तथा वहां अनेक विद्यालय शैक्षिक भ्रमण पर अपने छात्रों को ले जाते हैं।2001 में बनाया नया बस अड्डाभिवानी यातायात के जरिये आस-पास के संपूर्ण क्षेत्र से भलीभांती जुड़ा हुआ है। सन् 2001 में भिवानी के बस अड्डे को शहर के भीड़-भाड़ से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे सड़क यातायात और भी सुगम हो गया है।भिवानी से मुख्यत: छह तरफ सड़कें निकलती हैं, हिसार, तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी, जींद और रोहतक। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए लगभग हर समय सड़क और रेल यातायात उपलब्ध है। भिवानी एक बड़ा रेलवे जंक्शन है और यहां से तीन दिशाओं में रेलवे लाइन निकलती हैं, जिनमें से एक उत्तर की ओर पंजाब चली जाती है।
हवाई पट्टी को हवाई अड्डा बनाने की उम्मीद से भी बंधी है आसपूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल ने भिवानी के महम रोड पर हवाई पट्टी का निर्माण करवाया था। वर्तमान में इस हवाई पट्टी को केंद्र सरकार की उड़ान योजना में शामिल कर लिया गया है और संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इसे हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा।खेल विश्व मानचित्र पर छाएं हैं भिवानी के खिलाड़ी
भिवानी : खेल के क्षेत्र भिवानी के खिलाडिय़ों ने विश्व मानचित्र पर तिरंगा फहराया है। छोटी काशी को भिवानी के खिलाडिय़ों ने मिनी क्यूबा एक और उपनाम दिलाने में कामयाबी हासिल की है। कैप्टन हवासिंह, अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंद्र सिंह, द्रोणाचार्य अवार्डी कोच जगदीश कोई परिचय के मोहताज नहीं हैं। इनके अलावा अंतरराष्ट्रीय एथलीट शक्ति सिंह, भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान राममेहर सिंह, अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज दिनेश, देवसर के जितेंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरियाणवी मुक्के का दम दिखा चुके हैं। परमजीत सामौता ने कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीता था और वर्तमान में वह पुलिस विभाग में बतौर डीएसपी कार्यरत हैं। वर्तमान में विकास यादव, हलवास गांव के अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज नमन तंवर, देवसर के मनीष कौशिक मुक्केबाजों को पटखनी देकर ओलंपिक क्वालिफाई करने के लिए पहला राउंड पार कर चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्टन हवासिंह की बन रही है बायोपिक भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्टन हवासिंह के जीवन पर अभिनेता सूरज पंचौली बायोपिक बना रहे हैं। उनके नाम से भिवानी में उनके बेटे मुक्केबाज संजय श्योराण ने एकेडमी बनाई हुई है, जिससे काफी संख्या में मुक्केबाज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जौहर दिखा रहे हैं। द्रोणाचार्य अवार्डी कोच जगदीश सिंह बीबीसी (भिवानी बॉक्सिंग क्लब) के जरिये खेल प्रतिभाओं को निखार रहे हैं। इसके अलावा साई छात्रावास भिवानी में ही स्थित है। भिवानी का बहु-उद्देश्यीय खेल परिसर भीम स्टेडियम भी विख्यात है, जिसमें तैराकी, क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, आदि हर प्रकार के भीतरी और बाहरी खेलों के उपकरणों से लैस सुविधाएं युवाओं को उपलब्ध करवाई जाती हैं।
हर रोज 5 हजार युवा करते हैं अभ्यास भिवानी के भीम स्टेडियम व पांच मुक्केबाजी अकादमियों में करीब 5 हजार से अधिक युवा हर रोज कड़ा अभ्यास कर पसीना बहा रहे हैं। यहीं वजह है कि ओलंपिक खेलों में भिवानी के खिलाडिय़ों का योगदान पूरे देश में अग्रणी होता है। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. स्व. बंसीलाल ने हरियाणा की कमान संभालते ही बदली सूरतभिवानी : थार मरूस्थल राजस्थान सीमा से सटे भिवानी जिला रेतीले टीलों से घिरा हुआ था। सन 1966 में हरियाणा बना तो इस क्षेत्र में खेती योग्य भूमि बहुत ही कम थी और केवल बरसात पर ही निर्भर थी। लेकिन चौधरी बंसीलाल ने जैसे ही 31 मई 1968 को हरियाणा की कमान संभाली तो उन्होंने भिवानी सहित पूरे दक्षिण हरियाणा के सूखे इलाके को हरा-भरा करने की ठान ली। उन्होंने 22 दिसंबर 1972 को भिवानी को अलग जिला बनाया और इसके बाद इस इलाके लिए लिफ्ट इरिगेशन व फव्वारा सिंचाई योजना लेकर आए। उनकी इन्हीं योजनाओं की बदौलत आज पूरा जिला हराभरा है और यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। वे 1968 से 30 नवंबर 1975 तक लगातार सात साल कर हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ अच्छे संबंध होने का उन्हें फायदा मिला और दक्षिण हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के विकास में केंद्र सरकार ने पूरा सहयोग किया।
प्रदेश को तीन और दिल्ली को एक मुख्यमंत्री देने वाले भिवानी जिले ने राजनीति के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दिया है। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वर्तमान में बड़े नाम हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बनारसीदास गुप्त व मास्टर हुकूम सिंह ने भी भिवानी जिले के विकास में चार चांद लगाने का कार्य किया। हरियाणा की राजनीति में वर्तमान में कृषि मंत्री जेपी दलाल, वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी, सांसद धर्मबीर सिंह जैसे बड़े नेता वर्तमान में इस जिले के विकास की कमान संभाले हुए हैं।
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