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Agroha Temple: हिसार में अग्रबंधुओं की कुलदेवी महालक्ष्मी का भव्य मंदिर, हनुमान की 90 फीट की लगी है प्रतिमा

अग्रोहा धाम को तीन भागों में बांटा गया है बीच वाला भाग मां लक्ष्मी व पूर्वी हिस्सा महाराजा अग्रसेन व पश्चिमी हिस्सा मां सरस्वती को समर्पित है। मंदिर के पिछले हिस्से में बारह ज्योर्तिलिंग से बना रामेश्वर धाम बना है। मंदिर के बीच में सरोवर का निर्माण किया गया है।

By Naveen DalalEdited By: Updated: Thu, 07 Oct 2021 12:27 PM (IST)
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हिसार में अग्रबंधुओं की कुलदेवी महालक्ष्मी का भव्य मंदिर।
हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार के नेशनल हाईवे नौ पर दिल्ली-सिरसा राष्ट्रीय राजमार्ग पर अग्रोहा के पास अग्रबंधुओं का सबसे बड़ा धाम अग्रोहा धाम स्थित है। यह दिल्ली से 185 किलोमीटर दूर है। हिसार रेलवे स्टेशन से अग्रोहा धाम की दूरी करीब 25 किमी है। गांव अग्रोहा का इतिहास महाभारत काल से रहा है। महाराजा अग्रसेन ने इस गांव को बसाया था। अग्रोहा धाम का निर्माण 1976 से प्रारंभ किया गया जो आज भी जारी है।

अग्रोहा धाम को तीन भागों में बांटा गया है बीच वाला भाग मां लक्ष्मी व पूर्वी हिस्सा महाराजा अग्रसेन व पश्चिमी हिस्सा मां सरस्वती को समर्पित है। मंदिर के पिछले हिस्से में बारह ज्योर्तिलिंग से बना रामेश्वर धाम बना है। मंदिर के बीच में सरोवर का निर्माण किया गया है, जिसको 41 पवित्र नदियों के जल के साथ पावन किया गया है। वैसे तो हर रोज ही धाम में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर साल अग्रोहा धाम में मेला लगता है, जिसमें देशभर से लाखों पर्यटक धाम को देखने आते है। वैसे तो मंदिर परिसर में बने अलग-अलग मंदिरों में आरती का समय सुबह पांच बजे प्रारंभ हो जाता है, जो दो घंटों तक चलता है। आरती होने के बाद मंदिर परिसर को पर्यटकों के लिए सुबह सात बजे खोल दिया जाता है जो रात के आठ बजे तक दर्शन कर सकते हैं।

देशभर से आते हैं हजारो श्रद्धालु

अग्रवाल समाज अग्रोहा धाम को अपना पावन धाम मानता है। धाम में काफी दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें मंदिर परिसर में कृष्ण लीला की झांकी, गजमुक्तेश्वर झांकी, जमीन के 15 फुट नीचे मां वैष्णो देवी गुफा, तिरुपति बालाजी, भगवान वेंकेटेशवर, भैरवनाथ, बाबा अमरनाथ के साथ-साथ हनुमान जी की 90 फुट ऊंची प्रतिमा शामिल है।

अग्रोहा टीले में छिपा महाभारत काल का इतिहास

महाभारत के युद्ध के पश्चात महाराजा अग्रसेन द्वारा अग्रोहा को अपनी राजधानी बनाया गया। यहां कई एकड़ में फैले टीले की यदि खुदाई की जाए तो आज भी महाभारत कालीन अवशेषों को प्राप्त किया जा सकता है।

म्यूजियम और आडिटोरियम बनाया जा रहा

महाराजा अग्रसेन जी की राजधानी हिसार जिले के अग्रोहा में थी। अग्रोहा में महाराजा अग्रसेन जी के नाम पर 30 एकड़ में भव्य अग्रोहा धाम व 277 एकड़ में मेडिकल कॉलेज बनाया हुआ है इसके साथ-साथ अनेकों सामाजिक व धार्मिक संस्था अग्रोहा में बनाई हुई है। अग्रोहा धाम में सभी देवी-देवताओं के मंदिर बने हुए हैं और अग्रोहा धाम में रहने के लिए 250 कमरे बने हुए हैं। अब अग्रोहा धाम में 20 करोड रुपए की लागत से भव्य महाराजा अग्रसेन जी के नाम का म्यूजियम, ऑडिटोरियम व 3.5 करोड़ की लागत से एसी धर्मशाला व करोड़ों रुपये की लागत से खाटू श्याम जी मंदिर के साथ-साथ महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल स्कूल भी बनाया जा रहा है।

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जयंती पर होगा विशेष कार्यक्रम

अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि महाराजा अग्रसेन जयंती 7 अक्टूबर 2021 को अग्रोहा धाम में भजन-कीर्तन, माला अर्पण व भंडारा का कार्यक्रम किया जाएगा। अग्रोहा  महाराजा अग्रसेन जी की राजधानी थी व धर्म नगरी है। महाराजा अग्रसेन जी ने देश में भाईचारा का संदेश देकर समाजवाद को बढ़ावा दिया। देश में पहले ऐसे ही राजा हुए जिन्होंने गरीब व जरूरतमंद को ऊंचा उठाने के लिए हर घर में एक ईंट व एक मुद्रा देने का नियम लागू किया। गरीब व्यक्ति ईंट से रहने के लिए अपना मकान बना लेता था, वह मुद्रा से व्यापार करके अपने परिवार का अच्छे ढंग से पालन पोषण कर लेता था।

ये है धाम की मान्यता

राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने बताया कि महाराजा अग्रसेन जी ने अपनी प्रजा को ऊंचा उठाने के लिए अनेकों ऐसी योजनाएं लागू की जिससे हर जरूरतमंद को काम मिला। महाराजा अग्रसेन जी ने माता लक्ष्मी जी की विशेष पूजा करने से माता लक्ष्मी जी ने महाराजा अग्रसेन जी को आशीर्वाद दिया था कि हमेशा आपके कुल में मेरा वास रहेगा इसलिए वैश्य समाज माता लक्ष्मी जी को अपनी कुलदेवी माता लक्ष्मी जी मानते हैं। वैश्य समाज द्वारा माता लक्ष्मी जी का शक्ति पीठ अग्रोहा धाम में बनाया हुआ है। अग्रोहा धाम के साथ पूरे विश्व के वैश्य समाज की आस्था जुड़ी हुई है और‌ अग्रोहा धाम आस्था का केंद्र है।

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