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हरियाणा में मंत्रिमंडल के फर्जी लेटर से 500 करोड़ की जमीन हथियाने की प्लानिंग का पर्दाफाश, आखिर क्या है पूरा मामला?

Haryana News पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Former CM Manohar Lal)के मंत्रिमंडल की कथित बैठक के आधार पर तैयार किए गए एक फर्जी पत्र से गुरुग्राम में लगभग 500 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन हथियाने के प्रयासों का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में कई अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल थे। इस संबंध में कई अफसरों को भी गिरफ्तार किया गया है

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 29 Mar 2024 08:38 AM (IST)
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Land Scam in Haryana: हरियाणा में मंत्रिमंडल के फर्जी लेटर से 500 करोड़ की जमीन हथियाने की कोशिश नाकाम
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल की कथित बैठक के आधार पर तैयार किए गए एक फर्जी पत्र से गुरुग्राम में लगभग 500 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन हथियाने (Land Scam in Haryana) के प्रयासों का राजफाश हुआ है। हरियाणा सचिवालय, राजस्व विभाग, गुरुग्राम और पंचकूला के अधिकारियों की मिलीभगत से इस गोलमाल को अंजाम दिया जाने वाला था। लेकिन इससे पहले कि अधिकारी और प्रॉपर्टी डीलर अपने मंसूबों में कामयाब होते, गोलमाल पकड़ में आ गया।

अफसरशाही में मचा जबरदस्त हड़कंप

इस पूरे घटनाक्रम से राज्य सरकार और प्रदेश की अफसरशाही में जबरदस्त हड़कंप मच गया है। गोलमाल करने वालों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का फर्जी पत्र तैयार किया, जिसके आधार पर बेशकीमती जमीन हड़पने की कोशिश की गई। इस पत्र के बाहर आते ही हरियाणा सरकार और अफसरशाही के हाथ पैर फूल गए। तीन दिन पहले इस मामले की शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास पहुंची थी।

अपने नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का पत्र देखकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद हैरान रह गए और उन्होंने मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद से जानकारी प्राप्त की। सभी गुप्तचर एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया। सीआइडी चीफ आलोक कुमार मित्तल और पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर को मामले की तह में जाने के निर्देश दिए गए।

मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने जब अपने कार्यालय की शाखा के कर्मचारियों को तलब किया तो पता चला कि मनोहर मंत्रिमंडल का यह पत्र पूरी तरह से फर्जी है।

पंचकूला में केस दर्ज कराने के दिए आदेश

इस पर कड़ा नोटिस लेते हुए मुख्य सचिव ने लेंड रिकॉर्ड के डायरेक्टर (डीएलआर) को पंचकूला में केस दर्ज कराने के आदेश दिए। पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर पूरे मामले की जांच आरंभ कर दी है।

गुरुग्राम में दो तथा रोहतक व सोनीपत में एक-एक मामले में फर्जी पत्र के आधार पर जमीन रिलीज कराने की कोशिश की गई है। पत्र में कैबिनेट ब्रांच के अधीक्षक का हस्ताक्षर भी फर्जी किया गया था। इस मामले में सचिवालय के तीन कर्मचारियों से पुलिस ने पूछताछ की, जिसमें पता चल गया कि किन-किन लोगों ने इस पूरे घपले को अंजाम देने की कोशिश की थी।

कई अफसरों कर्मचारियों को लिया गया हिरासत में

कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है, जिनसे गहराई से पूछताछ की जा रही है। हरियाणा पुलिस अब पंचकूला, सोनीपत, रोहतक व गुरुग्राम के भी कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ प्रॉपर्टी डीलरों की धरपकड़ करने वाली है। इस प्रकरण में गुरुग्राम के अलावा पंचकूला के एक बड़े प्रॉपर्टी डीलर की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।

कैबिनेट मीटिंग का एक फर्जी पत्र किया गया तैयार

इस तरह तैयार हुई 500 करोड़ की जमीन हथियाने की योजना राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम व फरीदाबाद में जमीन के बहुत अधिक दाम हैं। गुरुग्राम के बादशाहपुर और राजीव चौक क्षेत्र की बेशकीमती जमीन को रिलीज करने के लिए कैबिनेट मीटिंग का एक फर्जी पत्र तैयार किया गया। इस पत्र में 15 और 21 दिसंबर 2023 की तारीख लिखी हुई है, जबकि इस दौरान कोई कैबिनेट बैठक हुई ही नहीं थी।

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तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में नवंबर महीने में कैबिनेट बैठक हुई थी। इस फर्जीवाड़े का खुलासा कैबिनेट नोट पढऩे के बाद हुआ, जिसमें दर्ज भाषाई नोट में मुुख्यमंत्री और एफसीआर (वित्तायुक्त) दोनों के पद लिखे गए थे, जबकि कैबिनेट मीटिंग के सिस्टम में कैबिनेट मीटिंग का नोट वरिष्ठता के हिसाब से लिखा जाता है, लेकिन उसमें उसके विपरीत लिखा गया था।

फर्जी पत्र तैयार करने वाले लोग राजस्व विभाग के कर्मचारियों व प्रॉपर्टी डीलरों से मिलीभगत कर जमीन की रजिस्ट्री कराने की तैयारी में थे। लेकिन इससे पहले पत्र पकड़ में आ गया। बाद में पता चला कि मामला रोहतक व सोनीपत से भीजुड़ा है, जहां जमीन रिलीज कराने की कोशिश हुई। पुलिस अब ऐसे पूरे गिरोह पर शिकंजा कसने की तैयारी में है।

मनोहर लाल की सरकार ने नहीं किया जमीन का अधिग्रहण

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Former CM Manohar Lal) के कार्यकाल में जमीनों का अधिग्रहण तथा जमीनों को रिलीज करने की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद थी। मनोहर लाल ने किसी भी सरकारी परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया, जबकि किसानों से उनके बाजार रेट के हिसाब से जमीन खरीदी जाती थी। इसके लिए सरकार ने ई-भूमि पोर्टल बनाया हुआ है, जिस पर किसान अपनी जमीन बेचने के लिए सरकार के सामने पेशकश करते थे। दोनों पक्षों में ज्मीन के रेट पर यदि सहमति बनती थी, तभी उसकी खरीद होती थी।

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधानसभा में आन रिकॉर्ड कई बार कह चुके हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की तरह वह कभी भी जमीनों के अधिग्रहण और उन्हें रिलीज करने के चक्कर में नहीं पड़े हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों के पकड़ में आने पर फर्जीवाड़ा करने वालों को किसी सूरत में सरकार नहीं बख्शेगी।

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