हरियाणा में मंत्रिमंडल के फर्जी लेटर से 500 करोड़ की जमीन हथियाने की प्लानिंग का पर्दाफाश, आखिर क्या है पूरा मामला?
Haryana News पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Former CM Manohar Lal)के मंत्रिमंडल की कथित बैठक के आधार पर तैयार किए गए एक फर्जी पत्र से गुरुग्राम में लगभग 500 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन हथियाने के प्रयासों का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में कई अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल थे। इस संबंध में कई अफसरों को भी गिरफ्तार किया गया है
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल की कथित बैठक के आधार पर तैयार किए गए एक फर्जी पत्र से गुरुग्राम में लगभग 500 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन हथियाने (Land Scam in Haryana) के प्रयासों का राजफाश हुआ है। हरियाणा सचिवालय, राजस्व विभाग, गुरुग्राम और पंचकूला के अधिकारियों की मिलीभगत से इस गोलमाल को अंजाम दिया जाने वाला था। लेकिन इससे पहले कि अधिकारी और प्रॉपर्टी डीलर अपने मंसूबों में कामयाब होते, गोलमाल पकड़ में आ गया।
अफसरशाही में मचा जबरदस्त हड़कंप
इस पूरे घटनाक्रम से राज्य सरकार और प्रदेश की अफसरशाही में जबरदस्त हड़कंप मच गया है। गोलमाल करने वालों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का फर्जी पत्र तैयार किया, जिसके आधार पर बेशकीमती जमीन हड़पने की कोशिश की गई। इस पत्र के बाहर आते ही हरियाणा सरकार और अफसरशाही के हाथ पैर फूल गए। तीन दिन पहले इस मामले की शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास पहुंची थी।
अपने नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का पत्र देखकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद हैरान रह गए और उन्होंने मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद से जानकारी प्राप्त की। सभी गुप्तचर एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया। सीआइडी चीफ आलोक कुमार मित्तल और पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर को मामले की तह में जाने के निर्देश दिए गए।
मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने जब अपने कार्यालय की शाखा के कर्मचारियों को तलब किया तो पता चला कि मनोहर मंत्रिमंडल का यह पत्र पूरी तरह से फर्जी है।
पंचकूला में केस दर्ज कराने के दिए आदेश
इस पर कड़ा नोटिस लेते हुए मुख्य सचिव ने लेंड रिकॉर्ड के डायरेक्टर (डीएलआर) को पंचकूला में केस दर्ज कराने के आदेश दिए। पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर पूरे मामले की जांच आरंभ कर दी है।गुरुग्राम में दो तथा रोहतक व सोनीपत में एक-एक मामले में फर्जी पत्र के आधार पर जमीन रिलीज कराने की कोशिश की गई है। पत्र में कैबिनेट ब्रांच के अधीक्षक का हस्ताक्षर भी फर्जी किया गया था। इस मामले में सचिवालय के तीन कर्मचारियों से पुलिस ने पूछताछ की, जिसमें पता चल गया कि किन-किन लोगों ने इस पूरे घपले को अंजाम देने की कोशिश की थी।
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