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जब बना ऐसा समीकरण कि बंसीलाल के दोनों बेटे भिवानी सीट पर आए आमने-सामने

छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह पिता की हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। सुरेंद्र के बड़े भाई रणबीर महेंद्रा कांग्रेस के उम्‍मीदवार थे। मगर रणबीर महेंद्रा हार गए

By manoj kumarEdited By: Updated: Sun, 14 Apr 2019 04:13 PM (IST)
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जब बना ऐसा समीकरण कि बंसीलाल के दोनों बेटे भिवानी सीट पर आए आमने-सामने

हिसार [गौरव त्रिपाठी] दो साल सरकार चलने के बाद तमिलनाडु की पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कणगम (डीएमके) के समर्थन वापस ले लेने से केंद्र की आइके गुजराल की सरकार गिर गई। 1998 में देश में 12वें लोकसभा चुनाव हुए। इस बार भी किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। हरियाणा में चौधरी देवी लाल के नेतृत्व में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को चार सीटें मिलीं, हालांकि देवीलाल स्वयं रोहतक सीट से भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लगातार तीसरी बार चुनाव हार गए। कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं और भाजपा, बसपा व हरियाणा विकास पार्टी को एक-एक सीट पर जीत मिली थी। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के गढ़ भिवानी लोकसभा क्षेत्र से उनके दोनों बेटे ही आमने-सामने थे।

रोहतक: 383 वोट से हार गए चौधरी देवीलाल

इस सीट पर एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव में उतरे और उनके सामने थे प्रदेश के सियासी दिग्गज चौधरी देवीलाल। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 38.66 फीसद यानी 254951 वोट मिले थे। चौधरी देवीलाल को 38.61 फीसद यानी 254568 वोट मिले थे। इस तरह चौधरी लाल मात्र 383 वोट से फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हार गए। भाजपा के स्वामी इंद्रवेश ने भी इस सीट पर तगड़ी चुनौती दी। उन्हें 19.85 फीसद 130895 वोट मिले थे।

हिसार : जिंदल को हराकर बरवाला बने सांसद

इस लोकसभा सीट पर सुरेंद्र सिंह बरवाला ने इनेलो का परचम लहराया था। बरवाला ने हरियाणा विकास पार्टी के ओपी जिंदल को हराया था। बरवाला को 35.89 फीसद 260271 वोट मिले थे। ओपी जिंदल को 24.79 फीसद 179780 वोट मिले थे। पिछले चुनाव में हरियाणा विकास पार्टी से चुनाव लड़े जयप्रकाश (जेपी) ने इस बार समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का दामन थामा, लेकिन वे तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 23.60 फीसद 171129 वोट मिले थे।

भिवानी: भाई को हराकर सुरेंद्र सिंह बने सांसद

इस सीट पर बंसीलाल के दोनों बेटे ही आमने सामने से थे। छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह पिता की हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। सुरेंद्र के बड़े भाई रणबीर महेंद्रा कांग्रेस के टिकट पर उनके खिलाफ चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें मात्र 3.71 फीसद वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। सुरेंद्र सिंह 48.17 फीसद 361257 वोट पाकर सांसद बने थे। दूसरे स्थान पर रहे इनेलो के अजय सिंह चौटाला को 46.87 फीसद 351546 वोट मिले थे।

सिरसा : इंदौरा ने तोड़ा सैलजा का गढ़

इस लोकसभा सीट पर चौधरी दलबीर सिंह और उनकी बेटी कुमारी सैलजा की लगातार जीत इस बार थम गई। इनेलो प्रत्याशी सुशील कुमार इंदौरा 42.33 फीसद 309451 वोट हासिल कर लोकसभा पहुंचे थे। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही कुमारी सैलजा दूसरे नंबर पर रहीं और उन्हें 29.48 फीसद यानी 215521 वोट मिले थे। भाजपा के हंसराज को 25.24 फीसद 184562 वोट मिले थे।

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