Hisar News: अब सेंसर बताएगा कि आपकी भैंस बीमार है..., केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र में शुरू हुई रिसर्च
केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र (सीआईआरबी) के विज्ञानियों जल्द ही ऐसा सेंसर बनाने वाले हैं जिससे भैसों के बीमार होने पर उनके मालिकों को तुरंत पता चल जाएगा। इसके लिए भैंसों के पेट में सेंसर (Sensor) लगेगा जिसके बाद उनके बीमार होने पर पशुपालकों को मोबाइल पर ही अलर्ट आ जाएगा। यह सेंसर सस्ता और किसान की पहुंच वाला बनाया जाएगा।
By Jagran NewsEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Fri, 15 Sep 2023 04:29 PM (IST)
हिसार, अमित धवन। हिसार पशुपालकों के लिए सुखद पल आने वाला है। केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र (सीआईआरबी) के विज्ञानियों ने ऐसा सेंसर बनाना शुरू कर दिया है जो भैंसों के बीमार होते ही पशुपालकों को अलर्ट कर देगा। सेंसर यह बताएगा कि उनकी भैंस में क्या-क्या बीमारियां पनपनी शुरू हो गई हैं।
यह कैप्सूलनुमा सेंसर भैंस के पेट में होगा। सेंसर क्लाउड कंप्यूटर सिस्टम पर प्रतिदिन डाटा भेजेगा। शुरुआती चरण में यह रिसर्च (सीआईआरबी) की हरियाणा में हिसार और पंजाब के नाभा सेंटर की एक हजार भैंसों पर किया जाएगा। रिसर्च पूरी होने के बाद किसानों की एक हजार भैंसों में इस सेंसर को लगाया जाएगा और उनके मोबाइल से सिस्टम कनेक्ट कर पशुपालकों के लिए उपयोगी बनाया जाएगा।
विदेशों में गाय का मिलता है कॉलर वाला सेंसर
विज्ञानियों की मानें तो भैंस के लिए कहीं भी ऐसा सेंसर सिस्टम नहीं है जो उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दें। विदेश में गाय के लिए वो सेंसर सिस्टम कॉलर के रूप में है। वो सेंसर करीब 10 हजार रुपये का आता है और उसका रूटर 25 हजार रुपये का है, जो सिर्फ 100 गायों का डाटा सेव करता है। भारत में सीआईआरबी की तरफ से तैयार किया जाने वाला यह सेंसर सस्ता और किसान की पहुंच वाला बनाया जाएगा।साढ़े 14 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी रुड़की और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड भी मदद करेगी। केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र को एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से प्रोजेक्ट मिला है। इस प्रोजेक्ट के तहत भैंस के स्वास्थ्य खराब होने से पहले ही उसकी बीमारी का पता लगाना है। करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी रुड़की और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड भी मदद करेगी।
भैंस के पेट में डाला जाएगा सेंसर
सीआईआरबी के विज्ञानी डा. अशोक कुमार बल्हारा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में पहले तीन साल दोनों सेंटर की भैंसों का पूरा डाटा तैयार किया जाएगा। उसके बाद किसानों की एक हजार भैंस में यह सेंसर डाला जाएगा। केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र हिसार और पंजाब के नाभा के सेंटर में 500-500 मुर्रा नस्ल की भैंस मौजूद हैं। इन सभी भैंसों के पेट में यह सेंसर डाला जाएगा। इस सेंसर से भैंस के पेट में तेजाब का मापदंड, भैंस ने खाना पीना कम कर दिया हो, शरीर का तापमान, अम्लीय व क्षारीय मापदंड का पता चलेगा। यह सेंसर जनन संबंधी और हारमोन्स लेवल को भी बताएगा। भैंस यदि खाना पीना छोड़ती है या फिर उसमें अन्य बीमारी होने लगती है तो तापमान के अनुसार सेंसर उसी समय विज्ञानी को अलर्ट देगा। यह सेंसर विज्ञानी के क्लाउड कंप्यूटर से जुड़ा होगा जो हर रोज का डाटा सेव करेगा।हरियाणा में 44 लाख भैंस
हरियाणा में इस समय 44 लाख से ज्यादा भैंस हैं। 2019 के पशुगणना के अनुसार, हिसार में उस समय चार लाख 26 हजार और जींद में तीन लाख 96 हजार से ज्यादा भैंस थीं। इन दो जिलों के अलावा भिवानी, फतेहाबाद, करनाल, सिरसा, सोनीपत, कैथल जिलों में दो लाख से ज्यादा भैंसों का आंकड़ा निकल कर आया था।ये भी पढ़ें: Haryana News: बस एक नंबर डायल करें और पाएं तुरंत मदद… हरियाणा सरकार की यह पहल करेगी सभी संकटों का निपटारा
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