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ऐतिहासिक धरोहर हिसार का छाजुराम जाट कालेज अपने 100 साल पूरे करने जा रहा, हैरिटेज में हो सकता हैं शामिल

हिसार के सेठ छाजुराम ने जाट शिक्षण संस्थान की नींव 1925 में रखी थी। नींव के चारों काेनों में वेद रखे गए थे। उस समय हिसार के आसपास के गांवों के लोग निस्वार्थ सेवा करते थे। हर रोज एक गांव के ग्रामीण आते और निर्माण कार्य में हाथ बंटवाते।

By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalUpdated: Thu, 17 Nov 2022 08:06 AM (IST)
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अप्रैल 2024 में 100 साल पूरे होने पर कालेज प्रशासन जिला प्रशासन को सूचित करेगा।

हिसार, कुलदीप जांगड़ा। हिसार का ऐतिहासिक धरोवर जाट कालेज अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। ऐसे में जाट कालेज का भवन हैरिटेज में शामिल हो सकता हैं। सेठ छाजुराम ने अंग्रेजी शासन में जाट हाई स्कूल से शिक्षा की नींव रखी थी। आज इसका पूरे प्रदेश में डंका बज रहा है। इस कालेज से छात्र खेल, शिक्षा से लेकर राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। अप्रैल 2024 में 100 साल पूरे होने पर कालेज प्रशासन जिला प्रशासन को सूचित करेगा। इसके बाद ही हैरिटेज में शामिल होगी।

जानें खास बात

साल 1925 में सेठ छाजुराम ने जाट शिक्षण संस्थान की नींव रखी थी। नींव के चारों काेनों में वेद रखे गए थे। उस समय हिसार के आसपास के गांवों के लोग निस्वार्थ सेवा करते थे। हर रोज एक गांव के ग्रामीण आते और निर्माण कार्य में हाथ बंटवाते। संस्थान की चाहरदीवारी काफी मजबूत है और मोटाई में है। इसकी दीवार का एक पालां यानी रद्दा पूरे दिन में एक ही लगता था। जहां से काम शुरू होता, वहीं पर आकर शाम को खत्म होता।

अगले दिन दूसरे गांव के ग्रामीण पालां लगवाने आते। शुरू में यह जाट हाई स्कूल बनाया गया था। ग्रामीण बच्चों को 10वीं तक की शिक्षा मिलना शुरू हुई थी। उसी समय से शिक्षा का सफर शुरू हुआ वो आज भी कायम है। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को भी निशुल्क शिक्षा मिल सके। यह खासकर उनके लिए ही बनाया था। सन 1928 में संस्थान का निर्माण कार्य पूरा हुआ था।

कालेज पूरे प्रदेश में है विख्यात

सेठ छाजुराम ने अपने बेटे आदित्य की याद में यह शिक्षण संस्थान बनाया था। उनके बेटे का करीब तीन साल की उम्र में देहांत हो गया था। सेठ छाजुराम जूट के एशिया के सबसे बड़े व्यापारी थे। संस्थान का पूरा बजट खुद उठाया था। आज यह संस्थान पूरे प्रदेश में विख्यात है।

अंग्रेजी शासन में गर्वनर ने किया था उद्घाटन

संस्थान निर्माण के समय देश में अंग्रेजी शासन राज था और हिसार संयुक्त पंजाब का हिस्सा था। उन दिनों अंग्रेज शासन में हेल्ली विल्यमसन पंजाब के गर्वनर थे। सन 1928 में गर्वनर रहते वह खुद जाट हाई स्कूल का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उनके अलावा संयुक्त पंजाब के मंत्री व अन्य नेता व अधिकारी मौके पर आए थे।

1967 में बना स्कूल से कालेज में हुआ अपग्रेड

सन 1967 में जाट स्कूल से यह संस्थान जाट कालेज में अपग्रेड हुआ। तभी से बीए, बीएससी व बीकाम की पढ़ाई शुरू हुई। संस्थान में दो भवन है। एक में टीचिंग ब्लाक व एक में हास्टल था। टीचिंग ब्लाक में कालेज बन गया और हास्टल में अलग से सीनियर सेकेंडरी स्कूल। सेठ छाजूराम के परिवार से जस्टिस देवेंद्र सिंह लांबा का अपग्रेड करवाने में अहम योगदान रहा, जिन्होंने कालेज की मान्यता दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया। 1966 में हरियाणा आजाद होने पर बनी पहली सरकार में ही यह मान्यता मिली। जस्टिस देवेंद्र सिंह लांबा जाट एजुकेशन सोसायटी के मैनेजमेंट प्रधान भी रहे है।

खेलव राजनीति में भी है पूर्व छात्र

जब हाई स्कूल बना था, उस समय आसपास में कोई हाई या सीनियर सेकेंडरी स्कूल व कालेज था ही नहीं। लाहौर या अन्य बड़े शहर में ऐसी सुविधा थी। इस स्कूल व कालेज से पढ़ाई कर बहुत से छात्र बड़े मुकाम हासिल कर चुके हैं। पूर्व छात्र शिक्षा, खेल व इंजिनियर से लेकर राजनीति में विधायक व मंत्री तक का सफर तय कर चुके हैं। कामर्स संकाय में कालेज शुरू से अव्वल रहा है, क्योंकि कालेज में किताबों से लेकर शिक्षकों की अच्छी सुविधाएं है।

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