साइबर अपराधियों से गोपनीय जानकारियां और ओटीपी ना करें शेयर : डीआइजी
जागरण संवाददाता हिसार डीआइजी बलवान सिंह राणा ने कोरोना महामारी के दौरान सक्रिय साइब
जागरण संवाददाता, हिसार : डीआइजी बलवान सिंह राणा ने कोरोना महामारी के दौरान सक्रिय साइबर अपराधियों से नागरिकों को सावधान व सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी मोबाइल ऐप, ईमेल, वाट्सएप, फेसबुक, मैसेज लिक व फोन पर बात करके गोपनीय जानकारी ले लेते हैं, इसलिए नागरिक ऐसे साइबर अपराधियों से सावधान रहते हुए अपनी गोपनीय जानकारियां या किसी प्रकार का ओटीपी शेयर ना करें। डीआइजी ने कहा कि कोरोना महामारी के इस समय का फायदा उठाते हुए साइबर ठग कोरोना का मुफ्त इलाज, दवा, वैक्सीन, संक्रमित न होने के दावे, ऑक्सिजन स्तर जांच, कोरोना काल में लोगों की सहायता और इलाज में खर्च रकम की प्रतिपूर्ति करने के नाम पर ई-मेल, वाट्सएप मैसेज भेजकर ठग झांसे में ले सकते हैं। बैंक खाते की पूरी जानकारी लेने के बाद ऑनलाइन फ्रॉड किया जा सकता है। इसी प्रकार से पेंशन धारकों को भी जालसाजी से सावधान रहने की आवश्यकता है। रिटायर हुए कर्मचारियों का डाटा लेकर पेंशनधारकों से भी फ्रॉड किया जा सकता है। पेंशन धारकों का भरोसा जीतने के लिए अपराधी उनकी सर्विस रिकार्ड, बैंक अकाउंट, पेंशन भुगतान आदेश व मासिक पेंशन की जानकारी देते हैं। ऐसे में पेंशन धारक साइबर अपराधियों को पेंशन निदेशालय का कर्मी समझ कर विश्वास न करें। अपराधी जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं होने के कारण पेंशन रोके जाने की बात कहते हैं और इसका फायदा उठाकर पेंशन धारक के मोबाइल पर एक एसएमएस भेजते हैं, जिसमें ओटीपी होता है। इसके बाद पेंशन धारक से ओटीपी बताने के लिए कहा जाता है। यह ओटीपी मिलते ही ठग पेंशनधारक के खाते में जमा रुपये ऑनलाइन दूसरे खाते या ई-वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि पेंशन धारकों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए विभाग की तरफ से कोई फोन नहीं किया जाता है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति के पास जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने का फोन आता है, तो वह ठगी का मकसद हो सकता है। यदि किसी पेंशन धारक ने अभी तक अपना जीवन प्रमाण पत्र ट्रेजरी या बैंक आदि में जमा नहीं करवाया है तो वे स्वयं उपस्थित होकर या आधिकारिक माध्यमों से ही अपना प्रमाण पत्र जमा करवाएं।