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हरियाणा में मानसूनी बारिश से कहीं खराब हो रही फसलें तो कहीं अभी भी सूखी पड़ी है धरती

किसान के साथ साथ आमजन बरसात का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मानसून शुरू हुआ तो कई किसानों के चेहरे खिल उठे तो कहीं कई किसानों के चेहरे मुरझा गए। क्योंकि लगातार भारी बारिश से मूंग ग्वार बाजरा की फसल चौपट हो गई कपास में लाभ है

By Manoj KumarEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 11:39 AM (IST)
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भिवानी में मानसूनी बारिश से कपास की फसल में लाभ, बाजरा, मूंग, ग्वार की फसल में नुकसान

ढिगावा मंडी, मदन श्योराण। हरियाणा के कई जिलों में मानसून मेहरबान है तो कहीं अभी तक धरती सूखी है। हिसार में अभी तक मानसूनी बारिश सही से नहीं हुई है तो वहीं भिवानी में इतनी बारिश हुई कि कई फसलों में नुकसान होने लगा है। किसानों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कभी गर्मी सर्दी तो कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखे की भेंट चढ़ती फसलों के कारण ऐसा हाेता है। पहले बारिश ना होने के कारण खेतों को सिंचाई करके दो से तीन बार फसल की बिजाई की थी, फिर बारिश न होने के कारण फसलें सूखे की भेंट चढ रही थी।

किसान के साथ साथ आमजन बरसात का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मानसून शुरू हुआ तो कई किसानों के चेहरे खिल उठे तो कहीं कई किसानों के चेहरे मुरझा गए। क्योंकि 2 दिन पहले और अब 3 दिन लगातार भारी बारिश से मूंग, ग्वार, बाजरा की फसल चौपट हो गई तो वही कपास की फसल को लाभ मिला है, लेकिन कुछ स्थानों पर जलभराव के कारण कपास की फसल नष्ट हो रही है। ऐसे में किसानों को लाभ कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहा है।

बारिश से भूजल स्तर सुधरेगा

अबकी बार क्षेत्र में अच्छी खासी बारिश हो रही है। ऐसे में भू-जल स्तर में सुधार हो सकता है। यदि कुछ और बरसात होती है तो इससे भूजल स्तर में सुधार होगा। हालांकि फसलों में नुकसान बढ़ सकता है।

90 हजार एकड़ में खड़ा नरमा

 क्षेत्र में पिछले दिनों से हो रही बारिश अन्य फसलों के साथ-साथ नरमे को नुकसान पहुंचा रही है। भिवानी जिले में करीब 90 हजार एकड़ में नरमा, ग्वार 11000 एकड़, बाजरा 37000 एकड़, मुंग 13000 एकड़ और हरा चारा व अन्य फसलें 11000 एकड़ की बिजाई के साथ कुल 162000 एकड़ जमीन पर खेती की गई है। जिससे रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद लगाए बैठे किसानों के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

किसान महावीर श्योराण, महिपाल अमीरवास, पूर्व सरपंच रतन सिंह, चंद्रपाल, मामन राम, बिजेंदर छापड़ आदि किसानों ने बताया कि कपास की फसल में लाभ हुआ है लेकिन कहीं-कहीं पानी खड़ा होने के कारण कपास की फसल में भी नुकसान हुआ है। लेकिन मूंग, ग्वार और बाजरे की फसल को दो से तीन बार बिजाई करने के बाद भी खेत खाली दिखाई दे रहे हैं। भारी बारिश से मूंग, ग्वार और और बाजरे की फसल पर पानी फिर गया। किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही।

 कृषि अधिकारी डॉ चंद्रभान श्योराण ने बताया कि पिछले दो दिनों में हुई बरसात का  सभी फसलों जैसे कपास ,बाजरा , ग्वार ,दलहन आदि में फायदा ही है लेकिन जहां भी जल भराव हुआ है उसमें बहुत नुकसान है जैसे कपास की फसल जिसमें अगर खेतों में जल भराव हो गया तो पानी की निकासी बहुत जरूरी है नहीं तो पौधों की जड़ें गलने से सारी फसल नष्ट भी हो सकती है।

इसलिए किसान भाइयों से अपील है कि खेतों से पानी निकासी करें। बरसात से 2 दिन पहले बीजी गई बाजरा, ग्वार,दलहन और तिलहन आदि के खेतों में लाइनें बराबर होने से जमीन पनपीट (कुरंड) होने से इन फसलों के जमाव पर बुरा प्रभाव पड़ने से बहुत नुकसान हो सकता है जिसके कारण दोबारा बिजाई करनी पड़ सकती है। किसान भाइयों से अपील है कि देरी से बिजाई के लिए पछेती किस्मों का प्रयोग करें।

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