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हिसार के गांव कंवारी में खेत में दबी मिली भगवान विष्‍णु की भव्‍य मूर्ति, किसान बोला- बनेगा मंदिर

कंवारी में एक खेत में भगवान विष्‍णु की प्राचीनतम मूर्ति मिली है। किसान जब खेत की मिट्टी को समतल कर रहा था तो मूर्ति के दबे होने का पता चला। मूर्ति को जब बाहर निकाला गया तो मूर्ति की भव्‍यता को देखकर सब हैरान रह गए।

By Manoj KumarEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2022 03:24 PM (IST)
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हिसार जिले के गांव कंवारी में मिली प्राचीन विष्‍णु भगवान की प्रतिमा
मनोज कौशिक, हिसार। हिसार जिले के गांव कंवारी में एक खेत में भगवान विष्‍णु की प्राचीनतम मूर्ति मिली है। किसान जब खेत की मिट्टी को समतल कर रहा था तो मूर्ति के दबे होने का पता चला। मूर्ति को जब बाहर निकाला गया तो मूर्ति की भव्‍यता को देखकर सब हैरान रह गए। मूर्ति को देखने वालों का तांता लगा हुआ है।

मूर्ति बेहद सुंदर है और खुजराहो के मंदिरों के बाहर बनी आकृतियों की तरह ही इस मूर्ति की बनावट है। किसान ने कहा कि उनके गांव में बालू मिट्टी के टीले हैं। इनमें पानी सही से सिंचाई की जा सके और बारिश के मौसम में फसल की बिजाई जा सकी इसके लिए क्षेत्र को समतल किया जा रहा था। तभी ट्रैक्‍टर के पीछे जोड़े गए कल्‍टीवेटर का नुकीला हिस्‍सा मूर्ति से टकरा गया। इस पर किसान ने ट्रैक्‍टर रोक दिया गया और जब सही से खोदाई की गई तो पाया भगवान विष्‍णु की मूर्ति है।

70 से 80 किलो है मूर्ति का वजन

मूर्ति बेहद भव्‍य है तो साइज भी करीब दो फीट लंबा और चौड़ा है। मूर्ति का वजन भी 70 से 80 किलो है और एक व्‍यक्ति के लिए इसे उठा पाना आसान नहीं है। मूर्ति निकलने की सूचना गांव के सरपंच को भी दी गई और उन्‍होंने कहा कि मूर्ति का मंदिर बनाने की बात किसान द्वारा कही गई है। गांव में पंचायत कर फैसला लिया जाएगा कि क्‍या करना है।

1986 में भी निकली थी मूर्ति

किसान ने बताया कि गांव में खोदाई के दौरान ऐसे ही एक मूर्ति निकली थी। उस मूर्ति के निकलने पर भी इसी तरह से चर्चा चली थी और उस मूर्ति का भी भव्‍य मंदिर बनाया गया था। अब एक और मूर्ति निकली है। सरपंच ने कहा कि जिस तरह से हमारे गांव में मूर्तियां निकल रही है उससे लग रहा है कि नीचे कोई सभ्‍यता बसी हो सकती है।

मूर्ति पर हैं करीब 14 देवी देवताओं की फोटो

खेत में दबी मिली विष्‍णु भगवान की मूर्ति के अलावा अन्‍य 14 देवी देवतराओं की भी छवि है। भगवान गणेश, शिव भगवान और अन्‍य देवी देवताओं की भी मूर्ति है। मूर्ति पत्‍थर पर नक्‍काशी करके बनाई गई है। मूर्ति की बनावट पुराने समय में बनाए जाने वाली मूर्तियों से मेल खा रही है।

मूर्ति के आसपास मिली है पुरानी ईंटे

मूर्ति को निकालने के समय पतली और छोटी ईंटे मिली हैं। भट्टी में तैयार की जाने वाली वो पुरानी ईंटे जो हजारों साल पहले से प्रयोग की जाती रही हैं। ऐसे  में मूर्ति के प्राचनी होने की पुष्टि और भी सही से हो रही है। किसान ने कहा कि मैनें जीवन में इस तरह की भव्‍य तस्‍वीर कभी नहीं देखी है। यह हमारे लिए सौभाग्‍य की बात है।

हिसार के राखीगढ़ी में भी मिल चुकी साढ़े पांच हजार साल पुरानी सभ्‍यता

बता दें कि इससे पहले भी हिसार के गांव राखीगढ़ी में साढ़े पांच हजार साल पुरानी सभ्‍यता मिल चुकी है। यहां मिले कंकालों के डीएनए में भी चौकाने वाले खुलासे हो चुके हैं। राखीगढ़ी में साइट को सराकर ने अपने अधीन कर लिया है और यहां खोदाई करने का काम लगातार जारी है। इस क्षेत्र के आस पास अब इस तरह की चीजें मिलने से नए रहस्‍य सामने आ सकते हैं।

पुरातत्‍व विभाग के विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार

सरकारी नियमों के अनुसार जमीन में मिली किसी भी चीज पर उसी का हक होता है। मगर यह नियम कितनी फीट पर लागू होता है  और मूर्ति गांव में रहेगी या जांच के लिए विभाग लेकर आएगा। यह अभी साफ नहीं हो सका है। पुरातत्‍व विभाग के विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार अभी बना हुआ है।

कंवारीगांव का भव्‍य है इतिहास

गांव के सरपंच ने बताया कि कंवारीगांव का नाम एक महान महिला के नाम पर ही पड़ा है। जिसे गांव कंवारी नाम से ही जानता है। इसके पीछे की कहानी ये है कि कंवारी बुआ शादी नहीं करवाना चाहती थी। मगर उसका माता पिता ने भी रिश्‍ता तय कर दिया और उनके नाना ने भी रिश्‍ता तय कर दिया। एक ही दिन में दो बारात गांव में पहुंची। ऐसे में जब किसी ने कंवारीबुआ से पूछा कि तुमने तो कहा था कि शादी नहीं करोगी फिर दो बारात कैसे आई। इतना सुनते ही कंवारी बुआ जमीन में समा गई। तब से ही उनको सती मानकर गांव पूजता है और और उनके नाम पर ही गांव का नाम रखा गया है और उनके नाम का एक मंदिर भी बना हुआ है।

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