रोशा घास से किसान होंगे मालामाल, मार्केट में बढ़ी डिमांड, जानें खासियत
रोशा घास की पैदावार किसान प्रति एकड़ 16 से 20 गाड़ी गोबर की भली भांति गली सड़ी खाद आखिरी जुताई के समय खेत में अच्छी प्रकार से मिलाए। प्रत्येक कटाई के बाद आवश्यकतानुसार जैविक खाद का प्रयोग करें।
जागरण संवाददाता, सिरसा। रोशाघास की किसान पैदावार लेकर आमदनी बढ़ा सकते हैं। इसकी मार्केट में तेजी से डिमांड बढ़ रही है। यह सुगंधित तेल वाली फसल है। इसका तेल सेंट, साबुन व अगरबत्ती में खुशबू व अन्य सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किया जता है। हरियाणा में इस फसल को काफी उपयोगी पाया गया है। इसे सभी सिंचित क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसकी फसल के लिए गर्म व खुश्क मौसम अच्छा रहता है।
भूमि को करें अच्छे से तैयार
हलकी दोमट मिट्टी, जिसमें पानी न ठहरता हो, इसके लिए अच्छी रहती है। खेत तैयार करने के लिए पिछली फसल काटने के बाद दो जुताइयां करके सुहागा लगा दें। मिट्टी भुर भुरी व उपजाऊ और खेत समतल होना चाहिए। इसी के साथ 10 मीटर लंबी, एक मीटर चौड़ी व 30 सेटींमीटर ऊंची क्यारी तैयार करें। प्रत्येक क्यारी में दो तिहाई भाग मिट़्टी व एक तिहाई भाग गोबर की गली सड़ी खाद तथा 5 मिलीलीटर क्लोरपाइरिफास डाले। एक एकड़ के लिए इस प्रकार की छह से आठ क्यारियां मई जून में तैयार कर लें। प्रत्येक क्यारी के लिए लगभग 350 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है। क्यारी में कतार से कतार से कतार की दूरी 12.5 सेटींमीटर रखें।पौघे रोपाई का सर्वोतम समय मानसून की बारिश शुरू हो जाने पर है। खेत में किसी वर्ष वाले दिन पौध को उखाड़ कर लगना अच्छा है।
दो से तीन सिंचाई जल्दी करें
किसान प्रति एकड़ 16 से 20 गाड़ी गोबर की भली भांति गली सड़ी खाद आखिरी जुताई के समय खेत में अच्छी प्रकार से मिलाए। प्रत्येक कटाई के बाद आवश्यकतानुसार जैविक खाद का प्रयोग करें। रोपाई के तुरंत बाद दो से तीन सिंचाई जल्दी से जल्दी करें ताकि पौधे शीघ्र जड़ पकड़ सके। लेकिन पानी खड़ा न रहने दें। गर्मियों में नमी रखने के लिए 15 से 20 दिन के अंतर पर तथा सर्दियों में एक मास के अंतर पर सिंचाई करें। इसकी पहली कटाई अक्टूबर नवंबर में तथा दूसरी कटाई अगले साल मई जून में की जाती है। जबकि तीसरी कटाई, सितंबर व अक्टूबर में ली जा सकती है।