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पिता की बेटे को डाक्टर बनाने की जिद, पहले बेची जमीन, फिर सब्जी बेचकर चलाया गुजारा

भिवानी के मुंढाल के पास जताई गांव के दिनेश ने नीट में 720 में से 632 अंक प्राप्त किए हैं। उनकी कहानी कई युवाओं को प्रेरित करने वाली है। छात्र के पिता ने पहले प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों से नीट की तैयारी कराने के लिए अपनी जमीन बेच तक दी।

By Naveen DalalEdited By: Updated: Sat, 10 Sep 2022 01:10 PM (IST)
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पिता ने बेटे को डाक्टर बनाने के लिए जमीन तक बेच दी, फिर भी नहीं मिली थी सफलता।
हिसार, जागरण संवाददाता। कई बार परीक्षा में निराशा हाथ लगने के बाद युवा हताश हो जाते हैं। जिन विद्यार्थियों के साथ आर्थिक तंगी होती है उनके लिए तो यह परिस्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। मगर इन सब परिस्थितियों को झेलकर हरियाणा के लाल ने अपने लिए डाक्टरी की पढ़ाई करने की राह निकाल ही ली। इसमें सिर्फ छात्र का ही नहीं बल्कि उसके परिवार का भी सबसे अधिक बलिदान रहा।

दरअसल मुंढाल के पास जताई गांव के दिनेश ने नीट में 720 में से 632 अंक प्राप्त किए हैं। उनकी कहानी कई युवाओं को प्रेरित करने वाली है। छात्र के पिता ने पहले प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों से नीट की तैयारी कराने के लिए अपनी जमीन बेच दी, बच्चे का फिर भी चयन न हुआ तो वह सब्जी बेचकर अपना घर चलाने को मजबूर हो गए। बेटे ने फिर भी कोचिंग की जिद की तो शिक्षक से कहा कि आप ही समझाएं और इसे मना करें कि अब नीट में नहीं होगा मगर एक दिन पूरी स्थिति बदल गई। अब नीट में इतने अच्छे अंक लेकर सभी के लिए दिनेशक मिसाल बना है।

पिता ने शिक्षक से कहा कि आप समझाएं छोड़ दे अब डाक्टर बनने की जिद

शिक्षक विवेक शर्मा बताते हैं कि पिछले साल मेरे शिक्षण संस्थान पर एक साधारण रंग रूप का लड़का जो कि देखने में बिल्कुल निर्धन परिवार से लग रहा था। उसने अपना नाम दिनेश बताया। वह ट्रायल क्लास लेने के लिए आया। तीन-चार दिनों के बाद वह अपने माता पिता के साथ सेंटर पर दाखिला लेने के लिए आया। उसके माता-पिता ने अपनी मार्मिक स्थिति को बताया कि वह मुंढाल के पास जताई गांव के रहने वाले हैं, उनका यह लड़का डाक्टर बनना चाहता है।

12वीं के बाद इसने एक साल ड्राप भी किया है, इसको हमने कई प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित संस्थानों से कोचिंग भी दिलवाई पर यह नीट की परीक्षा सफल नहीं कर सका। हम बहुत गरीब हैं और सब्जी बेचकर गुजारा करते हैं। इस को पढ़ाने व कोचिंग दिलवाने में हमारी जमीन भी बिक गई है। हमने इसे बहुत समझाने की कोशिश की परंतु इसमें हमारी एक न मानी और अब भी यह कह रहा है कि मैं डाक्टर ही बनूंगा आप इसे समझाएं। उनकी यह मार्मिक पीड़ा सुनकर मैंने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि मैं इसको पढ़ाऊंगा और यह अवश्य सफल होगा। इसके माता-पिता ने फीस के विषय में कहा कि हम कुछ निश्चित राशि ही दे सकते हैं जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।

यहां से शुरु हुई मेहतन और कठिन परिश्रम 

काेचिंग में जाने के बाद दिनेश ने अपनी सभी परिस्थितियों को दरकिनार कर मेहनत शुरू कर दीद। कुछ न समझ आता तो शिक्षकों से जाकर प्रश्न पूछते और अपने डाउट को ठीक करते। इसकी लगन और जुनून को देखकर हर कोई हैरान था। अपनी इसी सच्ची लगन और अटल विश्वास व सही दिशा के दम पर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया ।

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