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Haryana News: एसी ब्लास्ट के बाद अस्पताल में लगी आग, एक की मौत; 18 गंभीर मरीज करने पड़े दूसरे अस्पताल में शिफ्ट

आईटीआई चौक के वीके न्यूरो केयर अस्पताल में शाम को एक हादसा हो गया। एयर कंडिशनर बॉक्स में ब्लास्ट होने के बाद पूरे अस्पताल में धुआं फैल गया। वहीं स्थिति की गंभीरता को समझते हुए मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होने के बाद हादसे में घायल महिला की देर शाम मौत हो गई।

By Subhash Chander Edited By: Deepak Saxena Updated: Mon, 27 May 2024 10:37 AM (IST)
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एसी ब्लास्ट के बाद अस्पताल में लगी आग, एक की मौत।
जागरण संवाददाता, हिसार। आईटीआई चौक स्थित वीके न्यूरोकेयर एंड ट्रामा रिसर्च अस्पताल में रविवार शाम को बड़ा हादसा हो गया। यहां एयर कंडिशनर बॉक्स में ब्लास्ट के बाद आग लग गई। इसके बाद पूरे अस्पताल में धुआं फैल गया। परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बना तो इमरजेंसी में अस्पताल में दाखिल गंभीर हालत वाले मरीजों को रेस्क्यू कर दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा।

गंभीर हालत वाले 18 मरीजों को शिफ्ट करने में सबसे अधिक भागदौड़ करनी पड़ी। इससे उनकी स्वास्थ्य सेवा भी प्रभावित हुई। एक महिला मरीज जींद के गांव रेवर की मंजीत कौर की शिफ्टिंग के बाद दूसरे निजी अस्पताल में मौत हो गई। उन्हें एक सड़क हादसे में घायल होने पर सुबह ही वीके न्यूरो केयर एंड ट्रामा रिसर्च अस्पताल में दाखिल कराया गया था।

चिकित्सकों के अनुसार, मंजीत कौर की मौत की वजह भी हादसे में लगी गंभीर चोट रहीं। वीके अस्पताल में हुए हादसे को लेकर बताया जा रहा है कि यहां शाम साढ़े पांच बजे प्रथम तल पर आईसीयू के पास जनरल वार्ड के बाहर लगे एसी में शार्ट सर्किट के कारण जोरदार ब्लास्ट हुआ। ब्लास्ट के बाद एसी की तारों में लगी आग की चिंगारी ने गैलरी के अन्य सामान को चपेट में ले लिया। हालांकि आग तेजी से नहीं भड़क पाई लेकिन धुएं ने पूरे परिसर को अपनी जद में ले लिया।

जिस समय घटना हुई तब प्रथम व द्वितीय तल पर आईसीयू व जनरल वार्ड में 18 मरीज भर्ती थे। मौके पर मौजूद स्टाफ कर्मियों, सिक्योरिटी गार्ड ने सबसे पहले मरीजों को अस्पताल से बाहर निकालकर शिफ्ट करना शुरू कर दिया।

आधे अग्निश्मन यंत्र साबित हुए नकारा

अस्पताल में जब आग लगने का हादसा हुआ तो शुरूआत में स्टाफ कर्मियों ने अग्निशमन यंत्रों से आग बुझाने का प्रयास किया। इस बारे में स्टाफ कर्मियों ने बताया कि उस दौरान परिसर में लगाए कुछ अग्निशमन यंत्र चल नहीं पाए। लेकिन गनीमत रही कि सूचना पाकर फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं थी। दमकल ने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। इस दौरान धुआं निकालने के लिए प्रथम तल के कुछ कमरों के शीशों को तोड़ा गया।

मरीज पेशाब की नली लपेट बाहर भागा

गांव दिनौद के बिजेंद्र ने कहा कि मेरे एक पांव में चलने में दिक्कत है और सिर की नसे में ब्लाकेज के कारण 6 दिन से भर्ती था। तेज धमाका हुआ तो धुआं फैल गया था, मैं जनरल वार्ड में अकेला था, दो मरीज आज ही डिस्चार्ज हुए थे। वहां धुआ होने लगा तो मैं किसी तरह उठकर वहां से चल पड़ा, मैंने पेशाब की नलकी को पेट पर बांध लिया और सीढ़ियों से होते हुए नीचे आ गया, आटो में बैठ कर अमनदीप अस्पताल में भर्ती हो गया।

पुलिस व रेहड़ी वालों ने भी किया सहयोग

डायल 112 व अर्बन एस्टेट थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। अस्पताल के बाहर रेहड़ी लगाने वालों ने भी मरीजों को बाहर निकालने में सहयोग किया। पुलिस व अन्य ने अस्पताल के स्टाफ कर्मियों के साथ मिलकर मरीजों को एंबुलेंस बुलाकर नजदीकि जिंदल अस्पताल व अन्य अस्पतालों में भर्ती करवा दिया। आग से कोई जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ।

अस्पताल के स्टाफ कर्मियों के अनुसार सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस दौरान डीएसपी संजीव कुमार, अर्बन एस्टेट थाना प्रभारी इंस्पेक्टर साधुराम टीम सहित पहुंचे थे। मौके पर पूर्व पार्षद जगमोहन मित्तल और हिसार संघर्ष समिति से जितेंद्र श्योराण मौके पर पहुंचे। इन दोनों ने भी मरीजों को शिफ्ट करवाने में काफी मदद की। इसके बाद अस्पतालों में जाकर मरीजों के हालचाल बारे भी जानकारी ली।

मेरी मां को धुएं से होने लगी थी सांस की दिक्कत

मनप्रीत ने बताया कि मेरी मां मंजीत कौर का रविवार सुबह एक्सीडेंट हो गया था। वीके न्यूरोकेयर अस्पताल में आइसीयू में भर्ती करवाया था। शाम को अचानक अस्पताल में आग लग गई। उस दौरान धुआं फैल गया था, माता को दिक्कत होने लगी थी, हालांकि स्टाफ कर्मियों ने एंबुलेंस बुलाकर जिंदल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। यहां पर डाक्टरों ने कुछ घंटे ही जीवित रहने की बात कही है।

अग्निशमन यंत्र नहीं चले

गांव लेघां के रमेश ने बताया कि मेरी कमर की नसों में समस्या थी। 11 दिन से यहां भर्ती था। प्रथम तल पर रूम नंबर 101 में था। अचानक धमाका हुआ था, इसके बाद धुआं फैल गया था। स्टाफ ने आग बुझाने का प्रयास किया, इस दौरान कुछ अग्निशमन यंत्र भी नहीं चले। मुझे व्हीलचेयर से नीचे लाए, इसके बाद एंबुलेंस से जिंदल अस्पताल में लाया गया।

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धुआं हुआ तो सभी के हाथ-पांव फूल गए

ईश कुमारी ने कहा कि मेरी मां फूला देवी को बेसुध होने पर 15 दिन पहले वीके अस्पताल में भर्ती करवाया था। रविवार शाम अचानक आग लग गई। धुआं हुआ तो सभी के हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन में मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया। मेरी मां को जिंदल अस्पताल में भर्ती करवाया।

सबसे पहले मरीजों को किया शिफ्ट

अस्पताल में उस समय 18 मरीज थे। एसी में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। दो सिक्योरिटी गार्ड समेत अस्पताल में 40 के करीब स्टाफ था। आग लगने पर चारों ओर धुआं फैल गया था। सभी ने मिलकर सबसे पहले मरीजों को बाहर निकालकर शिफ्ट किया। आग पर काबू पाने के लिए चार-पांच अग्निशमन यंत्रों से आग बुझा़ने का प्रयास किया था। बाद में फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने आग पर काबू पाया।

दो सिक्योरिटी गार्ड व अन्य स्टाफ ने कई मरीजों को निकाला बाहर

अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड आजाद नगर के दीपक व तोशाम के प्रवीन ने मरीजों को बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई, इनके चेहरे व कपड़े भी धुएं से काले पड़ गए थे। लेकिन इन्होंने हिम्मत से काम लेते हुए एक-एक कर सभी मरीजों को बाहर निकाल लिया। दोनों ने बताया कि जोर से धमाका हुआ था। वहां गए तो बहुत धुआं था, पहले तो कुछ सोच नहीं पाए। इसके बाद मरीजों को बाहर निकालना शुरू कर दिया था।

अस्पताल में लगी आग - सुविधा स्टोर के कर्मी ने दी फायर ब्रिगेड को सूचना

सुविधा स्टोर पर काम करने वाले हेमंत ने बताया कि उसकी पत्नी शिवाली वीके न्यूरो केयर अस्पताल में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। आग लगने पर उसकी पत्नी ने सूचना दी थी, जिसके बाद उसने फायर ब्रिगेड को फोन किया था।

हिसार संघर्ष समिति के जितेंद्र श्योराण ने बताया कि अस्पतालों, पीजी, स्कूलों को चेक करवाना चाहिए, आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं है तो कार्रवाई की जानी चाहिए।

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